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NDA या INDIA गठबंधन... फर्स्ट टाइम वोटर्स की पसंद कौन? क्या कहते हैं Exit Poll के आंकड़े

जनसंख्या के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हुए, 18 से 25 वर्ष की आयु के मतदाता इस चुनाव में राजनीतिक रूप से सक्रिय दिखे. बड़ी संख्या उनकी भी थी, जो कि पहली बार के मतदाता हैं. उनकी सामूहिक आवाज संभावित रूप से नीतियों को प्रभावित कर सकती है और भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे सकती है. राजनीतिक दल इस बदलाव से बहुत अच्छे से परिचित भी हैं.

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लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में फर्स्ट टाइम वोटर्स ने मतदान किया
लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में फर्स्ट टाइम वोटर्स ने मतदान किया

लोकसभा चुनाव संपन्न हुए 2 दिन बीत चुके हैं और अब रिजल्ट आने के लिए 24 घंटे से भी कम का समय बाकी है. इंतजार की इस आखिरी घड़ी में एक बार फिर से एग्जिट पोल के सर्वे को पलटकर देखें तो बहुत से दिलचस्प फैक्ट्स सामने आते हैं. इस बार का चुनाव इसलिए भी खास था, क्योंकि इसमें युवा शक्ति की अहम भूमिका निर्णायक हो सकती है, लिहाजा मतदाताओं के उस समूह पर नजर डालने का समय आ गया है, जिन्होंने इस चुनाव में अहम भूमिका निभाई. 

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पहली बार वोट देने वालों की बड़ी संख्या
जनसंख्या के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हुए, 18 से 25 वर्ष की आयु के मतदाता इस चुनाव में राजनीतिक रूप से सक्रिय दिखे. बड़ी संख्या उनकी भी थी, जो कि पहली बार के मतदाता हैं. उनकी सामूहिक आवाज संभावित रूप से नीतियों को प्रभावित कर सकती है और भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे सकती है. राजनीतिक दल इस बदलाव से बहुत अच्छे से परिचित भी हैं.

चुनाव से पहले पीएम मोदी ने की थी गेमिंग इन्फ्लुएंसर्स से बात
चुनावों की शुरुआत में, नरेंद्र मोदी का देश के सात शीर्ष गेमिंग इन्फ्लुएंसर्स के साथ बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था. पीएम मोदी ने इस वीडियो में उन इन्फ्लुएंसर्स से बात की थी, जिनकी औसत आयु 25 वर्ष थी. यहां तक ​​​​कि उन्हें यह भी बताया कि वह उनकी गेमिंग लैंग्वेज का यूज अपने भाषणों में कैसे कर सकते हैं. ऑनलाइन कंटेट क्रिएटर्स के लिए नेशनस कंटेट क्रिएटर्स अवॉर्ड्स के दौरान पीएम मोदी ने रणवीर अल्लाहबादिया और कामिया जानी जैसे प्रसिद्ध सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स लोगों के साथ दोस्ताना बातचीत का आनंद लिया. अल्लाहबादिया और जानी ने अपने प्लेटफॉर्म पर केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर, नितिन गडकरी और स्मृति ईरानी के इंटरव्यू भी स्ट्रीम किए हैं.

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इस बीच, राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने बेरोजगारी और अग्निपथ योजना को इंडिया ब्लॉक के लिए चुनावी मुद्दे के रूप में पेश किया. ये युवा न केवल जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और सामाजिक न्याय, बल्कि छात्रों को लोन संबंधी राहत, बेरोजगारी और अग्निपथ जैसी अनेक योजनाओं व कई अन्य मुद्दों के लिए भी प्रेरित करते हैं. 

कैसा रहा है यूथ का वोट शेयर?
अब सवाल उठता है कि, इस आउटरीच का रिजल्ट क्या निकला है? इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, इंडिया कलेक्टिव ने युवा वोट शेयर में भारी वृद्धि दिखाई है. 2019 की तुलना में अतिरिक्त 15 प्रतिशत युवा मतदाता, जो 2024 के चुनावों में कुल मिलाकर 41 प्रतिशत हो गया है, लेकिन एनडीए के लिए बहुत कुछ नहीं बदला है. सत्तारूढ़ गठबंधन को कुल मिलाकर 43 प्रतिशत युवा वोट शेयर प्राप्त है, जो 2019 की तुलना में एक प्रतिशत कम है.

इसका मतलब यह है कि इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों ने अपने चुनाव अभियानों के दौरान उन मुद्दों को सामने रखा जो युवा मतदाताओं (बेरोजगारी, सरकारी नौकरियां, राज्य परीक्षाओं के पेपर लीक, अग्निपथ योजना, मुद्रास्फीति, कम नौकरी के अवसर, रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव आदि से संबंधित हैं। ) पर प्रभाव डालने में कामयाब रहे. सोशल मीडिया, युवा जनसांख्यिकी के लिए एक फर्स्ट न्यूज सोर्स है और इस महत्वपूर्ण वोटर्स ग्रुप को शामिल करने और संगठित करने वाले संदेशों से भरा हुआ है.

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एनडीए को हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 61 प्रतिशत के साथ हाई यूथ वोट शेयर मिला है, जिसमें 2019 के बाद से क्रमशः दो और एक प्रतिशत की गिरावट आई है. गुजरात में, 58 प्रतिशत युवा मतदाताओं ने एनडीए को चुना. जो कि 2019 से केवल एक प्रतिशत की गिरावट है.


दक्षिणी राज्यों में, एक्सिस माई इंडिया ने पाया कि एनडीए को आंध्र प्रदेश में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 57 प्रतिशत की पर्याप्त युवा वोट हिस्सेदारी हासिल हुई. इस बीच, कर्नाटक में एनडीए ने अपना युवा वोट शेयर तीन फीसदी बढ़ाकर 57 फीसदी तक पहुंचा दिया. इन दोनों राज्यों में विपक्षी दल क्रमशः युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (आंध्र प्रदेश) और कांग्रेस (कर्नाटक) में सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं.

INDIA ब्लॉक के हिस्से में कितने आए युवा वोट
इंडिया ब्लॉक के लिए, सबसे अधिक वोट शेयर में बढ़त हरियाणा राज्य में हुई, जहां युवा वोट शेयर 18 प्रतिशत से बढ़कर 47 प्रतिशत हो गया. दूसरे स्थान पर दक्षिणी राज्य केरल था, जहां 47 प्रतिशत युवा मतदाताओं ने गठबंधन को चुना. दिलचस्प बात यह है कि 2019 के बाद से तीन प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. दिल्ली और राजस्थान में, गठबंधन को 45 प्रतिशत का युवा वोट शेयर प्राप्त हुआ. दिल्ली में तीन प्रतिशत का लाभ और राजस्थान में 12 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि हासिल हुई है. झारखंड में, सात प्रतिशत की बढ़त हुई और कुल युवा वोट हिस्सेदारी 44 प्रतिशत हो गई.

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अनुमान है कि 18 से 25 वर्ष के बीच के 210 मिलियन युवा, जिनमें भारत के 970 मिलियन मतदाताओं में से 22 प्रतिशत शामिल हैं, इस चुनावी मौसम में वोट देने के लिए तैयार थे. 18-25 जनसांख्यिकीय के लिए मतदान प्रतिशत, में 2014 के बाद से बदलाव देखा गया. 2009 में 54 प्रतिशत से, अगले चुनाव तक इस समूह का मतदान प्रतिशत बढ़कर 68 प्रतिशत हो गया, जो सभी आयु समूहों के राष्ट्रीय औसत 66 प्रतिशत से अधिक है. 2019 में इसमें एक प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन फिर भी यह 67 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था. इसमें कुल 229 मिलियन योग्य युवाओं में से 153 मिलियन शामिल हुए हैं.

लोकनीति और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ के चुनाव बाद विश्लेषण के अनुसार, इनमें से 41 प्रतिशत या लगभग 63 मिलियन युवाओं ने 2019 में भाजपा को वोट दिया. यह देखते हुए कि उस वर्ष दो राष्ट्रीय पार्टियों, भाजपा और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर 110 मिलियन था, 63 मिलियन युवा वोटों ने भाजपा को अपने प्रतिद्वंद्वी पर बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया होगा. 

97 सीटों पर स्विंग फैक्टर के रूप में काम कर सकता है युवा
इस साल, युवा वोट कम से कम 97 सीटों पर स्विंग फैक्टर के रूप में काम कर सकता है, जहां 2019 में जीत का अंतर पांच प्रतिशत से कम था. भाजपा ने इनमें से 41 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 19 और अन्य पार्टियों ने 37 सीटें जीतीं. इसलिए राजनीतिक दलों के बीच देश के युवाओं, विशेषकर पहली बार आए युवाओं को अपने पक्ष में करने के लिए खास जोर आजमाइश हुई. 

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By Subham Singh and Milan Sharma

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