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'संवेदनशील मुद्दे पर हमारी सामूहिक जिम्मेदारी...', चुनाव के बीच मणिपुर हिंसा पर बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'असम ट्रिब्यून' अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा, भारत सरकार के समय पर हस्तक्षेप और मणिपुर सरकार के प्रयासों के कारण राज्य की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है. जब संघर्ष अपने चरम पर था तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में रहे और संघर्ष को सुलझाने में मदद के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ 15 से ज्यादा बैठकें कीं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा मामले में बयान दिया है. पीएम ने कहा, केंद्र सरकार के समय पर हस्तक्षेप करने और मणिपुर सरकार के प्रयासों के कारण राज्य की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि हमने वहां संघर्ष को खत्म करने के लिए अपने संसाधन और पूरी प्रशासनिक मशीनरी लगा दिया है. पीएम मोदी ने यह भी बताया कि मणिपुर में जब संघर्ष अपने चरम पर था, तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंचे और विवाद को सुलझाने में मदद के लिए अलग-अलग स्टेक होल्डर्स के साथ 15 से ज्यादा बैठकें कीं.

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'असम ट्रिब्यून' अखबार को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा, हमारा मानना ​​है कि स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. इस बारे में मैं पहले ही संसद में बोल चुका हूं. हमने संघर्ष को सुलझाने के लिए अपने सर्वोत्तम संसाधन और प्रशासनिक मशीनरी समर्पित कर दी है. दरअसल, मोदी से पूछा गया था कि मणिपुर की स्थिति को कैसे आंकते हैं और राज्य में जातीय सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? 

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'समय पर हस्तक्षेप से हालात में जबरदस्त सुधार हुआ'

पीएम ने आगे कहा, भारत सरकार के समय पर हस्तक्षेप और मणिपुर सरकार के प्रयासों के कारण राज्य की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है. जब संघर्ष अपने चरम पर था तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में रहे और संघर्ष को सुलझाने में मदद के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ 15 से ज्यादा बैठकें कीं. राज्य सरकार की जरूरत के अनुसार केंद्र सरकार लगातार अपना सहयोग दे रही है. राहत एवं पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है. राज्य में आश्रय शिविरों में रहने वाले लोगों की राहत और पुनर्वास के लिए एक वित्तीय पैकेज भी दिया गया है.

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मणिपुर में कब शुरू हुई हिंसा?

तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.

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