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पप्पू यादव, लाल सिंह, दानिश अली... एक दिन में 2 पार्टियों का कांग्रेस में विलय, 2 पूर्व सांसद हुए शामिल

कांग्रेस के लिए 20 मार्च का दिन बेहद अहम रहा. बुधवार के दिन पप्पू यादव, दानिश अली और चौधरी लाल सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए. इतना ही नहीं, पप्पू यादव और चौधरी लाल सिंह ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया है.

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पप्पू यादव, चौधरी लाल सिंह और दानिश अली ने कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया (सभी फोटो- PTI)
पप्पू यादव, चौधरी लाल सिंह और दानिश अली ने कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया (सभी फोटो- PTI)

लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. ऐसे में सभी नेता और पार्टियां अपनी समीकरण बैठाने में लगे हुए हैं. इसी क्रम में 20 मार्च को तीन बड़े नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. इनमें पप्पू यादव, दानिश अली और चौधरी लाल सिंह का नाम शामिल है. इस दौरान पप्पू यादव ने अपनी 'जन अधिकार पार्टी' का कांग्रेस में विलय कर दिया. वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व बीजेपी नेता चौधरी लाल सिंह ने भी अपनी पार्टी 'डोगरा स्वाभिमान संगठन' का कांग्रेस में विलय कर लिया.

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सबसे पहले बात पप्पू यादव की करें तो वह 5 बार के पूर्व सांसद हैं. साथ ही वह पूर्वी राज्य के सीमांचल क्षेत्र में राजनीतिक तौर पर मजबूत पकड़ रखने के लिए जाने जाते हैं. AICC हेडक्वार्टर में कांग्रेस में शामिल होते समय उनके साथ उनके बेटे सार्थक रंजन और पार्टी के अन्य नेता भी मौजूद थे. 

कांग्रेस में शामिल होने पर क्या बोले पप्पू यादव?

पप्पू यादव ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें सम्मान दिया है और वह लोकतंत्र और संविधान को बचाने में मदद करने के लिए और देश में "तानाशाही" के खिलाफ पार्टी की लड़ाई में शामिल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरे कांग्रेस परिवार ने जो सम्मान दिया है वह हमारे लिए काफी है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ने हमें बहुत सम्मान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी ने भारत में लोगों का दिल जीता है, तो वह राहुल गांधी हैं और लोग उन्हें प्यार करते हैं. पप्पू यादव ने कहा कि इस देश और इसके लोकतंत्र को बचाने और संविधान की रक्षा के लिए एक तानाशाह के खिलाफ राहुल गांधी की लड़ाई में शामिल होने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. उन्होंने कहा कि हम 2024 का लोकसभा और निश्चित रूप से 2025 का विधानसभा चुनाव जीतेंगे. मैं अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को धन्यवाद देता हूं. मैं कांग्रेस को मजबूत करने के लिए संघर्ष करूंगा और इस संबंध में अपनी पूरी ताकत से काम करूंगा.

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कौन हैं पप्पू यादव?

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव बिहार की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं. पप्पू यादव 5 बार लोकसभा सांसद और विधायक रह चुके हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक सफर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शुरू किया था और सपा और आरजेडी में रहने के बाद साल 2015 में अपनी 'जन अधिकार पार्टी' बनाई थी. पप्पू यादव को किसी जमाने में लालू यादव का सबसे खास माना जाता था. तब यह भी अटकलें थीं कि वह आरजेडी के उत्तराधिकारी न बन जाएं. लालू यादव की पार्टी से वह दो बार सांसद भी रहे लेकिन उसी RJD ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया. बिहार में उनकी छवि बाहुबली और दबंग नेता के तौर पर है. पप्पू यादव साल 1990 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से विधानसभा चुनाव जीते. हालांकि इसके बाद उनका सियासी कद बढ़ गया और एक साल बाद ही साल 1991 के चुनाव में फिर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उन्हें पूर्णिया लोकसभा सीट से जीत हासिल हुई. वह 10वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद पप्पू यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार सियासत की ऊंची सीढ़ियां चढ़ते चले गए.

दानिश अली ने थामा कांग्रेस का हाथ

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अमरोहा से लोकसभा सांसद दानिश अली ने भी आज कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया. दानिश अली को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछले साल पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया था. दानिश अली की कांग्रेस के साथ बढ़ती नजदीकियां पार्टी को अखर रही थीं, लिहाजा बसपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इसी के बाद दानिश अली खुलकर कांग्रेस के समर्थन में खड़े दिखे. वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल हुए थे. उन्होंने यहां तक कहा था कि यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण पल है. मैं बहुत गहन चिंतन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं. 

कांग्रेस में शामिल होने के बाद ये बोले दानिश अली

दानिश अली ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा कि आज देश के जो हालात हैं, वो किसी से छिपी नहीं है, एक तरफ विभाजनकारी शक्तियां हैं. दूसरी तरफ देश के गरीब, वंचित, पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने वाले लोग हैं. आज हम एक दोराहे पर खड़े हैं, आज फैसला लेने का वक्त आ गया है. हमें विभाजनकारी शक्तियों से लड़ना है. लेकिन इनसे लड़ने के लिए कुछ अड़चनें आ रही थी. इसलिए मैंने ये फैसला लिया है और कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से मेरी लगातार बात हो रही थी.

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कब आए थे चर्चा में?

दानिश अली उस वक्त चर्चा में आए थे, जब बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में चंद्रयान-3 की चर्चा के दौरान बसपा सांसद कुंवर दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजक शब्दों का प्रयोग किया था. दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को चिट्टी लिखकर रमेश बिधूडी की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. कांग्रेस ने मांग की थी कि बिधूड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इस घटना के बाद राहुल गांधी ने दानिश अली से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी.

कौन हैं दानिश अली?

दानिश अली का जन्म 10 अप्रैल 1975 को हुआ था. पांच भाइयों में सबसे छोटे दानिश ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है. वह पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में एक्टिव हो गए थे. उन्होंने राजनीति की शुरुआत जनता दल (सेक्यूलर) से की थी. बाद में वह बसपा में शामिल हो गए. दानिश अली अमरोहा से सांसद हैं. 2019 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के कंवर सिंह तंवर और कांग्रेस के सचिन चौधरी को मात देते हुए जीत हासिल की थी. 

PDP-BJP सरकार में मंत्री रहे चौधरी लालसिंह भी कांग्रेस में शामिल

जम्मू-कश्मीर के पूर्व बीजेपी नेता चौधरी लाल सिंह आज कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने अपनी पार्टी 'डोगरा स्वाभिमान संगठन' का कांग्रेस में विलय कर दिया. चौधरी लाल सिंह उधमपुर सीट से 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं. चौधरी लालसिंह कांग्रेस के टिकट पर 2004 और 2009 में उधमपुर सीट से जीते थे. लाल सिंह 2014 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए और बाद में पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया. हालांकि कठुआ रेप केस पर विवाद के चलते लाल सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. लाल सिंह ने बीजेपी छोड़ने के बाद अपनी पार्टी 'डोगरा स्वाभिमान संगठन' बनाई थी. बताया जा रहा है कि कांग्रेस उधमपुर लोकसभा सीट से भाजपा के कैंडिडेट डॉ. जितेंद्र सिंह के खिलाफ चौधरी लाल सिंह को मैदान में उतार सकती है. चौधरी लालसिंह की कठुआ जिले में अच्छी राजनीतिक पकड़ है. ये उधमपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. 

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कौन हैं चौधरी लाल सिंह?

चौधरी लालसिंह उधमपुर से 2 बार के पूर्व सांसद हैं. वह जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य मंत्री और वन मंत्री रह चुके हैं. लाल सिंह ने छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. इसके बाद चौधरी लाल सिंह 1996 के जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में बशोली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद वह 2002 में वह फिर से विधायक चुने गए. जब तत्कालीन राज्य में कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन सत्ता में था, तब उन्हें स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के रूप में जम्मू-कश्मीर कैबिनेट में शामिल किया गया था. इसके बाद वह 2004 में 14वीं लोकसभा में उधमपुर से सांसद चुने गए. इसके बाद चौधरी लाल सिंह 2009 में 15वीं लोकसभा में भी उधमपुर सीट से दोबारा सांसद बने थे, लेकिन अगस्त 2014 में लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और कठुआ में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. चौधरी लाल सिंह ने 2018 में कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. साथ ही भाजपा भी छोड़ दी और बाद में अपनी पार्टी बना ली थी.

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