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वोट देते समय उम्मीदवारों में सबसे पहले क्या देखते हैं वोटर? aajtak.in के सर्वे के ये रहे नतीजे

aajtak.in ने अपनी विशेष प्रस्तुति 'देश का नेता कैसा हो' के जरिए जाना कि आम लोग अपने नेता में सबसे पहली चीज क्या देखना चाहते हैं. इस पर लोगों ने खुलकर अपनी राय रखी और आंकड़ों के मुताबिक 45 फीसदी लोग नेताओं में सबसे पहले ईमानदारी देखते हैं कि प्रत्याशी या नेता कितना ईमानदार है. इसके बाद लोग नेताओं की पढ़ाई-लिखाई को प्राथमिकता देते हैं.

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लोगों ने बताया उन्हें कैसा नेता चाहिए
लोगों ने बताया उन्हें कैसा नेता चाहिए

सात चरणों में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब नतीजों की बारी है. मंगलवार को चुनाव नतीजों का ऐलान हो जाएगा लेकिन उससे पहले aajtak.in ने अपनी विशेष प्रस्तुति 'देश का नेता कैसा हो' के जरिए जाना कि देश का वोटर वोट देते वक्त अपने नेता या उम्मीदवार में सबसे पहली चीज क्या देखता है. हजारों लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया और खुलकर अपनी च्वाइस बताई.

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ईमानदार नेता चाहते हैं लोग

सर्वे में 45 फीसदी लोगों के लिए नेताओं का ईमानदार होना सबसे पहली प्राथमिकता है. देश के लोग चाहते हैं कि चुनाव में उतरने वाले उम्मीदवार ईमानदार हो ताकि पारदर्शी तरीके से काम हो और उनके शहर या इलाके में विकास का काम तेजी से आगे बढ़े. वहीं 13 फीसदी लोगों के लिए पार्टी मायने रखती है. वो चुनाव में वोट डालने से पहले देखते हैं प्रत्याशी किस पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहा है.

डेटा

पढ़ा-लिखा नेता चाहते हैं लोग

सर्वे में 12 फीसदी लोगों ने कहा कि चुनाव में खड़े उम्मीदवार की डिग्री उनके लिए प्राथमिकता है. उनके लिए नेताओं का पढ़ा लिखा होना ज्यादा जरूरी है ताकि वो आम लोगों के हित में सही फैसले ले सके जबकि 12 फीसदी लोग उम्मीदवार के अनुभव को तवज्जो देते हैं. उनके लिए अनुभवी नेता ज्यादा मायने रखता है.

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इस विशेष सर्वे में 6 फीसदी लोगों ने घोषणा पत्र को अहम माना है. उनके लिए पार्टी या उम्मीदवार ने अपने घोषणा पत्र में किन समस्याओं को स्थान दिया है और वो प्राथमिकता के आधार पर किस समस्या को सुलझाएंगे ये ज्यादा महत्वपूर्ण है. वहीं 5 फीसदी ऐसे लोग भी हैं जो उम्मीदवार की लोकप्रियता के आधार पर ये तय करते हैं कि वो उनका नेता बनने योग्य है या नहीं. 

नेता की उम्र और जाति भी रखती है मायने

दो फीसदी लोगों के लिए नेताओं की उम्र भी मायने रखती है. वो ये देखते हैं कि नेता शारीरिक और सामाजिक तौर पर कितना सक्रिय है. 2 फीसदी लोगों के लिए उम्मीदवारों और नेता का आपराधिक इतिहास महत्वपूर्ण है जबकि 2 फीसदी लोग नेता की जाति के आधार पर तय करते हैं कि वो उनका प्रतिनिधित्व करने योग्य है या नहीं. वहीं एक फीसदी लोग नेता या प्रत्याशी की धन संपत्ति देखते हैं कि उनके पास कितना पैसा है.

 

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