scorecardresearch
 

राम मंदिर से बनेगा माहौल, महिलाएं-लाभार्थी लगाएंगे बेड़ा पार, मोदी का चेहरा होगा जीत की गारंटी! 2024 के लिए क्या है BJP का प्लान?

लोकसभा चुनाव में बीजेपी 50 फीसदी वोट शेयर के साथ 400 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है तो इसके पीछे कौन से फैक्टर्स हैं? पार्टी के तरकश में कौन-कौन से तीर हैं जिनके सहारे वह यह लक्ष्य भेदने का भरोसा जता रही है?

Advertisement
X
राम मंदिर और पीएम मोदी
राम मंदिर और पीएम मोदी

लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं और सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. बीजेपी ने अबकी बार 400 के पार सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. पार्टी का टारगेट लोकसभा चुनाव में वोट शेयर 50 फीसदी के पार और एनडीए की सीटों की संख्या 543 सीटों के चुनाव में 400 के पार पहुंचाने का है.

Advertisement

अब सवाल यह भी उठ रहे हैं कि बीजेपी ने 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर और 400 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है तो उसके पीछे कौन से फैक्टर्स हैं? बीजेपी के तरकश में कौन-कौन से तीर हैं जिनके सहारे वह 400 सीटें और 50 फीसदी वोट शेयर का लक्ष्य भेदने की तैयारी कर रही है, भरोसा जता रही है?

राम मंदिर

बीजेपी की स्थापना के समय से ही अयोध्या और राम मंदिर निर्माण पार्टी के एजेंडे में रहा है. बीजेपी राम मंदिर पर फैसले से पहले यह नारा देती रही है- रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे. बीजेपी के इस नारे में 'तारीख नहीं बताएंगे' जोड़कर विपक्ष भी हमलावर रहा है. अब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, बीजेपी के बड़े नेता विपक्ष के इसी नारे को आधार बनाकर लगातार हमलावर हैं. यह बता रहे हैं कि अब तो तारीख भी बता दिए. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के काफी पहले से ही पूजित अक्षत कलश यात्रा से अक्षत के साथ निमंत्रण पत्र घर-घर पहुंचाने तक, कई अभियान चले.

Advertisement
अक्षत के साथ घर-घर बांटे जा रहे निमंत्रण पत्र (फाइल फोटोः पीटीआई)
अक्षत के साथ घर-घर बांटे जा रहे निमंत्रण पत्र (फाइल फोटोः पीटीआई)

बीजेपी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मार्च तक करीब ढाई करोड़ लोगों को अयोध्या में श्रीराम के दर्शन कराने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी और उसके पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस राम मंदिर दर्शन अभियान के तहत अलग-अलग क्षेत्रों की नामचीन हस्तियों को अयोध्या ले जाने का प्लान बनाया है. इसमें यह भी ध्यान रखा जाना है कि संबंधित व्यक्ति गैरविवादित रहा हो और उसका एक व्यापक वर्ग पर अच्छा प्रभाव हो. इसके तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ ही कला-साहित्य, गीत-संगीत, नृत्य-अभिनय, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग,साधु-संत-आचार्यों को राम मंदिर दर्शन कराने के लिए ले जाने का लक्ष्य बीजेपी ने रखा है.

ये भी पढ़ें- पसमांदा पर प्यार, गरीबों को रोजगार, विश्वास बढ़ाने के लिए संवाद... BJP की मुस्लिम पॉलिटिक्स समझिए

राम मंदिर हिंदू आस्था से जुड़ा मुद्दा है. बीजेपी की सियासत अपनी स्थापना के समय से ही इस मुद्दे के इर्द-गिर्द रही है. अयोध्या और राम मंदिर के इर्द-गिर्द दो से 303 सीट तक का सफर तय करने वाली बीजेपी ने 2024 में 400 पार का लक्ष्य निर्धारित किया है. पार्टी का टारगेट 50 फीसदी वोट शेयर पर भी है. बीजेपी की रणनीति राम मंदिर के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की है.

Advertisement

विपक्ष को सनातन की पिच पर घेरने का प्लान

बीजेपी की रणनीति विपक्ष को सनातन की पिच पर घेरने की होगी. उदयनिधि स्टालिन के सनातन विरोधी बयान को लेकर बीजेपी विपक्षी पार्टियों को घेर ही रही थी कि अब कांग्रेस और अन्य दलों ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आयोजित कार्यक्रम का बहिष्कार कर बीजेपी को हमले का मौका दे दिया है. बीजेपी की रणनीति अब विपक्षी पार्टियों की इमेज सनातन विरोधी सेट करने की होगी, खासकर हिंदी बेल्ट में पार्टी के नेता इसे लगातार ईको करेंगे. पिछले कुछ दिनों में बीजेपी ने न्यौता अस्वीकार करने को लेकर विपक्ष पर जिस तरह से हमला बोला है, वह भी इसी रणनीति की तरफ इशारा करता है.

महिला वोट

आधी आबादी यानी महिलाओं को बीजेपी का साइलेंट वोटर तक कहा जाता है. महिलाओं को टारगेट कर शुरू की गई उज्ज्वला और अन्य योजनाओं के साथ ही तीन तलाक विरोधी कानून और महिला आरक्षण विधेयक संसद से पारित होने को भी बीजेपी बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच लेकर जा रही है. अब माना यह जा रहा है कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में भी सरकार महिलाओं के लिए विशेष ऐलान कर सकती है. कयास हैं कि बजट में महिला किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सम्मान राशि 6000 रुपये से बढ़ाकर 12000 रुपये करने का ऐलान सरकार की ओर से अंतरिम बजट में किया जा सकता है. महिला किसानों के लिए किसान सम्मान निधि की राशि दोगुनी करने से सरकार पर 120 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने के अनुमान हैं.

Advertisement
महिला वोट बैंक पर बीजेपी का फोकस (फाइल फोटो)
महिला वोट बैंक पर बीजेपी का फोकस (फाइल फोटो)

इसके अलावा सरकार आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर स्कीम शुरू करने का भी ऐलान कर सकती है. कहा तो यह भी जा रहा है कि मध्य प्रदेश में लाडली बहना, छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर स्कीम के वादे की सफलता को देखते हुए सरकार 21 साल से अधिक उम्र की उन महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर स्कीम शुरू करने को लेकर विचार कर रही है, जिन्हें किसी कारणवश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है. सरकार की योजना मनरेगा में भी महिला मजदूरों को प्राथमिकता देने की है. आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा में महिला मजदूरों की भागीदारी 59.26 फीसदी है. यह 2020-21 में 53.19 फीसदी के मुकाबले करीब छह फीसदी अधिक है.

ये भी पढ़ें- फिर वही मंडल, फिर वही कमंडल, नेपथ्य में नायक... क्या BJP फिर अपनाएगी आडवाणी वाला फॉर्मूला?

महिला मतदाताओं को प्राथमिकता दिए जाने के पीछे इनका लगातार बढ़ता टर्नआउट भी एक प्रमुख फैक्टर है. चुनाव दर चुनाव महिला वोटर्स का टर्नआउट बढ़ रहा है. कई सीटों पर पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिला वोटर्स की तादाद अधिक है. साल 2014 में देश में वोटर टर्नआउट 55 करोड़ तक पहुंच गया जिसमें 26 करोड़ महिलाएं थीं. इसी तरह 2019 के चुनाव में कुल 62 करोड़ वोट पड़े थे जिसमें 30 करोड़ महिलाएं थीं. टर्नआउट बढ़ा, पुरुषों के वोट भी बढ़े लेकिन महिलाओं के टर्नआउट में पुरुषों के मुकाबले पांच फीसदी अधिक इजाफा हुआ था.

Advertisement
पीएम मोदी की लोकप्रियता कैश कराने की रणनीति (फाइल फोटो)
पीएम मोदी की लोकप्रियता कैश कराने की रणनीति (फाइल फोटो)

अब अनुमान जताए जा रहे हैं कि 2024 में 70 फीसदी से अधिक वोटिंग हो सकती है. पिछले कुछ चुनावों में जिस तरह से वोटिंग के लिए महिलाओं का उत्साह नजर आया है, उसे देखते हुए कहा यह भी जा रहा है कि इसबार महिलाएं वोट डालने के मामले में पुरुषों को पीछे छोड़ सकती हैं. यह भी एक वजह है कि बीजेपी का फोकस महिला वोट पर है.

लाभार्थी वोट बैंक पर नजर

बीजेपी का फोकस केंद्र और राज्यों की सरकार की ओर से चलाई जा रही अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों पर भी है. विकसित भारत संकल्प यात्रा के जरिए सरकार की रणनीति लाभार्थियों तक पहुंचने और उन्हें सरकार की योजना से हुए लाभ की याद दिलाने की भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या में उज्ज्वला योजना की 10 करोड़वी लाभार्थी मीरा मांझी के घर जाना भी लाभार्थियों को सीधे कनेक्ट करने की रणनीति का ही अंग माना जा रहा है. केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हो या मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना, कई डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजनाएं भी चल रही हैं. बीजेपी की नजर उस वोटर वर्ग पर है जिसे डायरेक्ट कैश बेनिफिट योजना का लाभ मिल रहा है.

Advertisement
लाभार्थी वोट बैंक पर बीजेपी का फोकस (फाइल फोटोः पीटीआई)
लाभार्थी वोट बैंक पर बीजेपी का फोकस (फाइल फोटोः पीटीआई)

वादे पूरे करने वाली पार्टी की इमेज

बीजेपी के एजेंडे जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का मुद्दा भी रहा है. लंबे समय तक जम्मू कश्मीर को लेकर 'एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान... नहीं चलेगा' का नारा बुलंद करती रही बीजेपी की सरकार में अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला हुआ जिस पर अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से भी मुहर लग गई है. जम्मू कश्मीर में 'एक विधान-एक निशान-एक प्रधान' की मांग से लेकर राम मंदिर के निर्माण और नागरिकता संशोधन अधिनियम के संसद से पारित होने तक, बीजेपी की रणनीति वादे पूरे करने वाली पार्टी की इमेज गढ़ने की भी है.

मोदी का चेहरा बनेगा गारंटी

बीजेपी ने हाल के चुनाव में मध्य प्रदेश में 'एमपी के मन में मोदी' और राजस्थान में 'मोदी साथे राजस्थान' जैसे नारे दिए थे. बीजेपी ने राज्यों के चुनाव के लिए जो घोषणा पत्र भी जारी किया था, उसका नाम संकल्प पत्र की जगह मोदी की गारंटी कर दिया गया था. दोनों ही राज्यों में बीजेपी की बड़ी जीत को पीएम मोदी की गारंटी पर जनता की मुहर के तौर पर भी देखा गया. पिछले कुछ चुनावों का वोटिंग पैटर्न भी यह बताता है कि लोग पीएम मोदी के चेहरे पर वोट करते हैं.

Advertisement
अयोध्या में मीरा मांझी के घर पहुंच पीएम मोदी ने पी थी चाय (फाइल फोटो)
अयोध्या में मीरा मांझी के घर पहुंच पीएम मोदी ने पी थी चाय (फाइल फोटो)

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवारी के बाद बीजेपी की ओबीसी वोट बैंक में पैठ मजबूत हुई है. पार्टी की रणनीति ओबीसी के साथ ही एससी-एसटी वोटर्स को भी साथ लाकर वोटों का नया समीकरण गढ़ने की है. पीएम मोदी की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का ग्राफ भी करीब 10 साल सरकार चलाने के बाद भी जस की तस बनी हुई है. ऐसे में बीजेपी की रणनीति मोदी की गारंटी को ट्रंप कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करने की होगी.

बदले सियासी समीकरण

कई राज्यों में 2019 के पिछले चुनाव के मुकाबले सियासी समीकरण बदले हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी तब विपक्ष में थी, अबकी सूबे की सत्ताधारी दल के रूप में चुनाव मैदान में जाएगी. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार थी और इसबार पार्टी विपक्ष में है लेकिन तब अकेले थी और इसबार एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्यूलर के साथ गठबंधन है. महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था. अबकी बीजेपी और शिवसेना साथ हैं लेकिन उद्धव ठाकरे की राह अलग है.

ये भी पढ़ें- राम मंदिर से 2024 चुनाव की पिच कैसे सेट करेगी बीजेपी? 4 पॉइंट में समझिए रणनीति

एनसीपी भी दो धड़ों में बंट चुकी है और अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ एनडीए में है. बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू अबकी विपक्षी इंडिया गठबंधन में है और ऐसे में बीजेपी का पूरा जोर 2014 की तरह अधिक सीटें जीतने पर है. यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के साथ त्रिकोणीय मुकाबला है तो वहीं पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और कांग्रेस के बीच खींचतान चल रही है. बदली परिस्थितियों में बीजेपी की रणनीति मोदी की लोकप्रियता को वोट और सीट में कैश कराने की होगी.

Live TV

Advertisement
Advertisement