विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस में सीट बंटवारे को लेकर अब तक सहमति नहीं बन सकी है. अलग-अलग राज्यों में सहयोगी दलों के बीच कई सीटों पर पेंच फंसा है. यही वजह है कि डेडलाइन के चार दिन बाद भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला नहीं निकल सका है. कई राज्यों में तो स्थिति यह है कि क्षेत्रीय सहयोगी दल किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं हैं. वे कांग्रेस पर ज्यादा से ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव बना रहे हैं. वहीं, कांग्रेस की लोकल बॉडी भी समझौते करने के मूड में नहीं है और 290 सीटों पर 'एकला चलो रे' फॉर्मूले के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस हाईकमान ने 4 जनवरी को एक बड़ी बैठक बुलाई है. इसमें सभी राज्यों के शीर्ष नेता हिस्सा लेंगे और सीटों पर दावेदारी की रिपोर्ट पर फाइनल मुहर लगाई जाएगी.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने सीट शेयरिंग को लेकर एक नेशनल अलायंस में कमेटी गठित की है. इस कमेटी ने 29 और 30 दिसंबर को मैराथन बैठक की थी और अलग-अलग राज्यों के जिम्मेदारी से बातचीत की थी. इस कमेटी के नेताओं ने 10 से ज्यादा राज्यों के नेताओं से मुलाकात की थी. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस 290 से ज्यादा सीटों पर 'एकला चलो रे' के साथ चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है. कांग्रेस हाईकमान का मानना है कि 2019 के चुनाव में जहां उसने जीत हासिल की थी, वहां वो फिर कैंडिडेट उतारेगे. इसके अलावा, जिन सीटों पर दूसरे नंबर पर आई थी, वहां भी अपने कैंडिडेट उतारने का मन बना लिया है. गठबंधन के प्रभाव वाले राज्यों में भी कांग्रेस चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है.
'कांग्रेस ने 290 सीटों की लिस्ट तैयार की'
ऐसी कुल 290 सीटों की लिस्ट तैयार की गई है, जहां कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. इससे पहले कांग्रेस की नेशनल अलायंस कमेटी ने सीटवार समीक्षा की और एक रिपोर्ट तैयार की है. कांग्रेस ने डेटा जुटाने के बाद जिन सीटों पर सहमति बनाई है, वहां किसी कीमत पर समझौता नहीं करने की बात कही है. कांग्रेस से जुड़े नेताओं का कहना है कि पार्टी ने पिछले दो लोकसभा चुनाव के डेटा को ध्यान में रखकर फॉर्मूला तैयार किया है.
'11 राज्यों के नेताओं के साथ बैठक'
पार्टी हाईकमान ने बिहार, यूपी, उत्तराखंड, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और झारखंड के नेताओं के साथ बैठक की है. इन बैठकों की रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को पहले ही दी जा चुकी है. गठबंधन कमेटी को हर राज्य के लिए एक नोट तैयार करने को कहा गया है. संभव है कि राज्यवार बातचीत के लिए गठबंधन कमेटी के सदस्य को आगे किया जाए.
'4 जनवरी को कांग्रेस की बड़ी बैठक'
कांग्रेस 4 जनवरी को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी. इसमें विभिन्न राज्यों के नेतृत्व को बुलाया गया है. इस बैठक को कांग्रेस की फाइनल मीटिंग के तौर पर माना जा रहा है, जिसमें सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी. इसी रिपोर्ट को कांग्रेस गठबंधन के सहयोगी दलों के सामने रखेगी और सीटों पर सहमति के प्रयास किए जाएंगे.
वे सीटें, जिन पर दावेदारी की तैयारी में कांग्रेस
जम्मू-कश्मीर में 2, लद्दाख में 1, पंजाब में 6 प्लस, चंडीगढ़ में 1, हिमाचल प्रदेश में 4, हरियाणा में 10, दिल्ली में 3, राजस्थान में 25, मध्य प्रदेश में 29, छत्तीसगढ़ में 11, उत्तर प्रदेश में 15-20, उत्तराखंड में 5, बिहार में 6 से 8, गुजरात में 26, ओडिशा में 21, पश्चिम बंगाल में 6 से 10, आंध्र प्रदेश में 25, तेलंगाना में 17, कर्नाटक में 28, महाराष्ट्र में 16 से 20, तमिलनाडु में 8, केरल में 16, गोवा में 2, झारखंड में 7 और पूर्वोत्तर के राज्यों की 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है.
'अलायंस की सहमति से फाइनल होंगी सीटें'
हालांकि, विपक्षी दलों की आम सहमति के बाद सीटों का बंटवारा फाइनल हो सकेगा. बता दें कि लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं. इसी साल कुछ महीने बाद आम चुनाव होने हैं. इसे लेकर सत्तारूढ़ एनडीए से मुकाबले के लिए विपक्ष की 28 पार्टियों ने इंडिया अलायंस तैयार किया है.
कांग्रेस इन राज्यों में अकेले लड़ना चाहती है चुनाव
राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, ओडिशा में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है.
बताते चलें कि 2019 के आम चुनाव में एनडीए ने 351 और यूपीए ने 90 सीटें जीती थीं. अकेले बीजेपी ने 303 और कांग्रेस ने 52 सीटों पर सिमट गई थी.