लोकसभा चुनाव के बीच 'आजतक' ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से खास बातचीत की. इंडिया टु़डे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को दिए इंटरव्यू में प्रियंका ने पार्टी संगठन, परिवारवाद, रोजगार, धर्म समेत कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी. प्रियंका ने कहा कि हम विकास की बात कर रहे हैं, हमारी गारंटी सभी के लिए है. धर्म राजनीतिक मसला नहीं है, हर हिंदुस्तानी के दिल में भगवान हैं. साथ ही कहा कि महिलाओं को देश की राजनीति में भागीदार होना चाहिए.
जब प्रियंका गांधी से पूछा गया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में सिर्फ 2 सीटें जीती थीं, इसमें संगठन की कमजोरी थी या जैसा बीजेपी कहती है कि कांग्रेस की छवि परिवारवाद की बन गई है या भ्रष्ट पार्टी है. पार्टी ही परिवार है.
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जवाब देते हुए प्रियंका ने कहा कि यूपी में संघर्ष बहुत है. यूपी में हमारा संगठन 32 साल से सरकार में नहीं है, यूपी में हमारा संगठन मजबूत नहीं है, हमने इसे मजबूत बनाने का बहुत प्रयास किया है. हमारे जो काम थे, उसका नतीजा इस चुनाव में दिखेगा. संगठन को मजबूत करने में बहुत काम करना पड़ता है. हमने खूब प्रयास भी किया था. हमें ये पता था कि उस चुनाव (2014) में नतीजा नहीं आएगा, इसके बावजूद हमने तय किया कि हम पूरे दम से चुनाव लड़ेगे, चाहे नतीजा आए या न आए. इसके बाद संगठन में परिवर्तन भी आया है. आज हमारा संगठन गांव, ब्लॉक और जिलास्तर पर दिखने लगा है. इसी का नतीजा है कि यूपी में कांग्रेस और इंडिया ब्ल़ॉक ने अंडरकरंट क्रिएट किया है.
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परिवारवाद के मुद्दे पर क्या बोलीं प्रियंका?
प्रियंका ने रोजगार के मुद्दे पर कहा कि बीजेपी कहती है कि परिवार की पॉलिटिक्स. लेकिन बीजेपी अभियान चलाती है कि प्रियंका गांधी चुनाव नही लड़ रहीं. वह (बीजेपी) परिवारवाद की बातें करती है, तो न जाने कितने बच्चे, कितने चाचा-चाचियां, भतीजे भी तो इनकी पार्टी में हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी बीजेपी की तरह नहीं है, जहां एक व्यक्ति फैसला लेता है. उनके मंत्रियों को भी स्वतंत्रता नहीं है कि एक फैसला भी ले पाएं. हमारी पार्टी लोकतांत्रिक पार्टी है. हमारे अध्यक्ष बहुत अनुभवी नेता हैं. दशकों से राजनीति में हैं, तमाम संघर्ष झेल चुके हैं. ये कहना कि वो कठपुतलती हैं, ये गलत है. हां ये सच है कि उन्हें जहां जरूरत होती है, वो सलाह लेते हैं. इसके लिए वह सिर्फ सोनियाजी, राहुल से ही नहीं, बल्कि मनमोहन सिंहजी और चिदंबरम जी से भी सलाह लेते हैं.