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गाजियाबाद: अतुल गर्ग से नाखुश राजपूतों को मनाएंगे राजनाथ सिंह, नामांकन में शामिल होने के लिए पार्टी ने बुलाया

जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की जगह मौजूदा विधायक अतुल कुमार गर्ग को लाने के पार्टी के फैसले से समुदाय खुश नहीं है. खबरें तो राजपूत बहुल इलाकों से गर्ग को खदेड़े जाने की भी आई हैं. समुदाय की स्थानीय इकाइयों ने भी पार्टी से राजपूत उम्मीदवार को हटाकर दूसरे समुदाय से प्रत्याशी को उतारने के कारणों का जवाब मांगा है.

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Atul Kumar Garg and VK Singh
Atul Kumar Garg and VK Singh

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार गाजियाबाद लोकसभा सीट से अतुल कुमार गर्ग को उम्मीदवार बनाया है. शहर के राजपूत समुदाय के बीच उनके खिलाफ बढ़ते असंतोष के चलते पार्टी आलाकमान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आगे किया है. गाजियाबाद सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एकमात्र सीट है जहां पिछले कई दशकों से कोई राजपूत उम्मीदवार जीतता आ रहा है. 

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जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की जगह मौजूदा विधायक अतुल कुमार गर्ग को लाने के पार्टी के फैसले से समुदाय खुश नहीं है. खबरें तो राजपूत बहुल इलाकों से गर्ग को खदेड़े जाने की भी आई हैं. समुदाय की स्थानीय इकाइयों ने भी पार्टी से राजपूत उम्मीदवार को हटाकर दूसरे समुदाय से प्रत्याशी को उतारने के कारणों का जवाब मांगा है. पार्टी ने माहौल को भांपते हुए स्थानीय राजपूतों को शांत करने और गर्ग के लिए समर्थन जुटाने के लिए क्षेत्र से सांसद रह चुके राजनाथ सिंह को यहां भेजने का फैसला किया है.

गाजियाबाद सीट का जातीय समीकरण

पार्टी के एक वरिष्ठ व्यक्ति ने पुष्टि की है कि गर्ग 3 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगे और राजनाथ सिंह उनके साथ होंगे. इंडिया टुडे ने सबसे पहले गर्ग को पार्टी टिकट दिए जाने के बाद राजपूत समुदाय के बीच असंतोष के बारे में रिपोर्ट दी थी. राजनीतिक विश्लेषक और मानवविज्ञान रिसर्च स्कॉलर पुष्पेंद्र राणा के अनुसार, गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 5.5 लाख मुस्लिम, 4.7 लाख राजपूत, 4.5 लाख ब्राह्मण, 2.5 लाख बनिया, 4.5 लाख एससी, 1.25 लाख जाट, एक लाख पंजाबी, 75,000 त्यागी, 70,000 गुर्जर हैं और पांच लाख अन्य शहरी समुदाय के मतदाता हैं.

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आसान नहीं होगी बीजेपी की राह

राणा ने कहा, 'कई दशकों से राजपूत उम्मीदवारों का गढ़ होने के बावजूद बीजेपी ने एक बनिया उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फैसला किया है क्योंकि यह सीट समय के साथ पार्टी के लिए 'सुरक्षित सीट' बन गई है. बीजेपी उम्मीदवार जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने दो बार ऐतिहासिक अंतर से जीत हासिल की थी. 1991 से 2004 तक रमेश चंद्र तोमर इस क्षेत्र से सांसद रहे, जब यह क्षेत्र हापुड़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता था, 2004 में वह सुरेंद्र प्रकाश गोयल से हार गए. 

उन्होंने कहा, '2009 में राजनाथ सिंह यहां से सांसद बने और इसके बाद वीके सिंह ने दो बार भारी अंतर से जीत हासिल की. चूंकि गाजियाबाद एकमात्र ऐसी सीट थी जो पश्चिम यूपी में एक राजपूत उम्मीदवार को दी गई थी, अब यह भाजपा के लिए एक कठिन रास्ता होगा क्योंकि बड़ी आबादी के बावजूद पूरे क्षेत्र में कोई राजपूत उम्मीदवार नहीं है.'

समुदाय ने पत्र लिखकर जताई नाराजगी

राणा ने कहा, 'सहारनुपर से आगरा तक, बड़ी और निर्णायक आबादी के बावजूद किसी भी राजपूत उम्मीदवार को एक भी टिकट नहीं दिया गया है क्योंकि पार्टी उन्हें पारंपरिक मतदाता मानती है. गाजियाबाद सीट को समुदाय से छीनने से राजपूतों में असंतोष पैदा हो गया है.' जैसे ही पार्टी ने वीके सिंह की जगह अतुल गर्ग को उतारा, राजपूत विंग की स्थानीय इकाइयों ने असंतोष दिखाना शुरू कर दिया है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में अखिल भारतीय क्षत्रिय सभा ने नाराजगी जताते हुए समुदाय के लिए टिकट की मांग की है.

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