
राम मंदिर... आस्था से जुड़ा यह मुद्दा दशकों तक देश की सियासत की धुरी रहा है. 22 जनवरी को रामलला की अयोध्या के भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ ही विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत तमाम संगठन इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने, दिव्य-भव्य रूप देने में जुटे हुए हैं. वहीं, इस आयोजन के सियासी निहितार्थ और 2024 के चुनाव से कनेक्शन पर भी बात हो रही है.
राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से देशभर में जो माहौल बन रहा है उसे बीजेपी के लिहाज से लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के अनुकूल बताया जा रहा है. राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने या न होने को लेकर विपक्ष के असमंजस से बीजेपी को और खुलकर फ्रंट फुट पर आने का मौका मिल गया है.
बीजेपी के तेवर देखकर लग रहा है कि पार्टी राम मंदिर की पिच पर आक्रामक बैटिंग करने वाली है. ऐसा हुआ तो 2024 के चुनावों में उसे विपक्ष पर बड़ी बढ़त मिल सकती है. आज दिल्ली में बीजेपी की बड़ी बैठक भी हो रही है जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहेंगे और इसमें राम मंदिर के 22 जनवरी आयोजन को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा की जानी है.
बीजेपी की पहचान माइक्रो लेवल पर काम करने वाली पार्टी की है. इसकी वही छाप रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर होने जा रहे आयोजन पर भी नजर आ रही है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है लेकिन देशस्तर पर इसे लेकर आयोजनों की श्रृंखला करीब महीने भर पहले से ही शुरू हो चुकी है. राम मंदिर को लेकर फिलहाल बीजेपी की रणनीति को चार पॉइंट में समझा जा सकता है.
1- जिले-मोहल्ले-घर तक पहुंचने की रणनीति
राम और राम मंदिर का मुद्दा आस्था से जुड़ा रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले बीजेपी की रणनीति राम मंदिर मुद्दे को लेकर हर जिले, हर गांव-मोहल्ले और घर तक पहुंचने की है. पूजित अक्षत कलश यात्राएं निकलीं तो अब अक्षत के साथ भगवान राम की फोटो और पत्र बांटे जा रहे हैं. नेपाल के जनकपुर धाम से अयोध्या तक घर वास यात्रा हो रही है.
2- आस्था को धार देने की मुहिम
घर-घर, गांव-गांव रामलला की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जानकारी पहुंच जाने के बाद बीजेपी की रणनीति आस्था को धार देने की है. इसके लिए दर्शन की मुहिम चलाने से लेकर गांव-गांव मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों पर आध्यात्मिक आयोजन तक, बड़ी रणनीति पर काम चल रहा है. बीजेपी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दो से ढाई महीने में दो से तीन करोड़ लोगों को राम मंदिर में दर्शन कराने का लक्ष्य रखा है.
रामनवमी भी अधिक दूर नहीं है. रामनवमी में देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी तादाद में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं. ऐसे में कहा ये भी जा रहा है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की टाइमिंग भी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के मुफीद है.
3- विपक्ष को राम मंदिर की पिच पर घेरना
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी के साथ ही लेफ्ट, टीएमसी समेत कई राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं को न्यौता गया है. लेफ्ट पार्टियों ने इस आयोजन से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया है. वहीं, कांग्रेस समेत कुछ पार्टियां इसे लेकर असमंजस में हैं. आरजेडी प्रमुख लालू यादव औरा राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर लगा था जिसमें मंदिर को मानसिक गुलामी का मार्ग बताया गया था. विपक्षी पार्टियों के असमंजस और इस तरह को पोस्टर्स को लेकर बीजेपी ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि बीजेपी की रणनीति विपक्ष को राम मंदिर की पिच पर घेरने की होगी.
4- मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका बताना
बीजेपी राम मंदिर आंदोलन को लेकर बुकलेट छपवाकर वितरित करने की भी तैयारी में है. इस बुकलेट के जरिए पार्टी की रणनीति मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका बताने की है. इस बुकलेट में उन घटनाक्रमों का जिक्र करने की भी तैयारी है जो राम मंदिर आंदोलन की राह में रोड़े अटकाने के लिए हुए थे और जिनमें कथित रूप से विपक्ष की भूमिका थी.