लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत का पारा हाई है. एक ओर NDA में सीट शेयरिंग को लेकर रस्साकसी चल रही है, तो वहीं विपक्षी दलों का गठबंधन MVA भी अभी फाइनल नतीजे पर नहीं पहुंचा है. उधर, शरद पवार का गृह क्षेत्र बारामती की सियासी लड़ाई भी दिलचस्प होती जा रही है. दरअसल, सूबे के राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि बारामती सीट पर ननद-भौजाई (सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार) एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक सकती हैं.
बारामती से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले सांसद हैं. वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि शरद पवार के भतीजे अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा सकते हैं. इसी बीच एक रोचक घटना हुई है. सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार ने बारामती में न सिर्फ मुलाकात की, बल्कि एक-दूसरे को गले भी लगाया और बधाई दी. बारामती के पास जलोची गांव में कालेश्वरी मंदिर में ननद-भौजाई (सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार) एक साथ दर्शन करने आई थीं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुनेत्रा पवार ने एक बयान में कहा कि मंदिर में पूजा करने के बाद मेरी मुलाकात सुप्रिया 'ताई' (मराठी में बड़ी बहन) से हुई. हम दोनों ने महाशिवरात्रि और महिला दिवस के अवसर पर एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं. मतलब साफ है कि सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार की मंदिर में हुई मुलाकात बेहद सामान्य थी, लेकिन इस घटना से सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं.
सुनेत्रा पवार ने पुणे की इंदापुर तहसील के शेलगांव गांव में स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हुए कहा था कि मैं आपको आश्वासन देती हूं कि अगर आप हमें मौका देते हैं, तो हम दोनों (वह और अजित पवार) आपके मुद्दों को हल करने के लिए काम करेंगे. सुनेत्रा ने ये भी कहा था कि जब उनकी शादी हुई, तो उनके पति (अजित पवार) एक किसान थे और वह आज भी किसान ही हैं, लेकिन अब वह एक "किसान राजनीतिज्ञ" हैं.
पीटीआई के मुताबिक महाराष्ट्र में अभी उम्मीदवीरों के नाम का ऐलान नहीं है. लेकिन इससे पहले ही सुनेत्रा पवार ने बारामती के मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ा दी है. वह लगातार संसदीय क्षेत्र में लोगों से मिल रही हैं. सभाएं कर रही हैं. सुनेत्रा मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए क्षेत्र के दौरे भी बढ़ा रही हैं.
वहीं, सांसद सुप्रिया सुले भी अपनी भाभी सुनेत्रा पवार पर लगातार निशाना साध रही हैं. हाल ही में पुणे में अपने प्रचार अभियान के दौरान सुप्रिया ने सुनेत्रा पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया था. सुले ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक जीवन में 15 साल बिताए हैं और उनका सदन उनके सांसद पदनाम से नहीं चलता है. यहां तक कि उनके विरोधी भी जानते हैं कि सुप्रिया सुले अपनी योग्यता और कड़ी मेहनत के कारण चुनी गई हैं. मैं संसद में अपने दम पर बोलती हूं और मुझे अपनी ओर से बोलने के लिए अपने पति की जरूरत नहीं है. अगर वह (सुनेत्रा) संसद में आती भी हैं तो उन्हें सदन में आने की अनुमति नहीं है और उन्हें अपने पर्स की देखभाल करते हुए कैंटीन में मेरा इंतजार करना होगा. सुले ने कहा था कि हमें संसद में पर्स की नहीं, बल्कि नोटपैड या आईपैड की जरूरत है.