लोकसभा चुनाव को लेकर रस्साकसी जारी है. सीट शेयरिंग को लेकर शिवसेना और कांग्रेस के बीच चल रही तानातनी खत्म होती नजर नहीं आ रही है. सांगली में शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जनसभा में ही डबल महाराष्ट्र केसरी चंद्रहार पाटील के नाम की घोषणा कर दी थी, कांग्रेस ने इस पर नाराजगी जाहिर की है. इतना ही नहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सांगली की सीट को लेकर उद्धव ठाकरे ने जो रवैया अपनाया है, इससे महाविकास आघाड़ी में बात बिगड़ भी सकती है. इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे के इस ऐलान की शिकायत कांग्रेस ने हाईकमान से भी की है.
उद्धव ठाकरे की ओर से सांगली से लोकसभा उम्मीदवार की घोषणा के बाद कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि सांगली लोकसभा सीट पर बातचीत चल रही है. इस पर कोई भी अंतिम फैसला होने से पहले उद्धव ठाकरे ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी, जो कि ठीक नहीं है. हम इस मामले में पार्टी के अंदर चर्चा करेंगे. साथ ही उद्धव ठाकरे से भी बात होगी.
शिवसेना और कांग्रेस के बीच सांगली के अलावा रामटेक, भिवंडी, मुंबई दक्षिण मध्य लोकसभा सीटों पर भी पेच फंसा हुआ है. कांग्रेस मुंबई से कम से कम तीन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन मुंबई में अपने प्रभाव के चलते शिवसेना (यूबीटी) ज्यादा सीटों पर लड़ने की बात कह रही है. इसलिए पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख भी करीब आ गई है. इसके बावजूद महाविकास आघाड़ी में सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक फाइनल मुहर नहीं लगाई है.
कैसे शुरू हुआ सांगली का विवाद?
कोल्हापुर से राजर्षि साहू महाराज के वंशज छत्रपति साहू को मैदान में उतारने के लिए शरद पवार ने काफी मशक्कत की. जब साहू महाराज चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए तो उन्होंने कांग्रेस के चिह्न पर लड़ने की कंडीशन रखी. शिवसेना का पुराना इतिहास प्रखर हिंदुत्व का रहा है. औऱ राजर्षि साहू महाराज की लैगेसी सेक्युलर विचारों की रही है. इसलिए यह चुनाव सिम्बॉलिक करने के लिए छत्रपति साहू पहली पसंद थे. लेकिन कोल्हापुर की सीट शिवसेना लड़ती और जीतती आ रही है. हालांकि वर्तमान सांसद संजय मंडलिक एकनाथ शिंदे खेमे के हैं. अगर शिवसेना (यूबीटी) कोल्हापुर की सीट छोड़ देती तो पूरे पश्चिम महाराष्ट्र में उनका एक भी उम्मीदवार नहीं रहेगा. इसलिए शिवसेना ने कोल्हापुर के बदले सांगली सीट की मांग की और अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया.
कांग्रेस का गढ़ रही है सांगली लोकसभा सीट
सांगली लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. वहां से 1980 से 2014 तक दिवंगत मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटील के घराने से ही उम्मीदवार लोकसभा में पहुंचा है. खुद वसंतदादा पाटील, उनके बेटे प्रकाशबाबू और पोते प्रतीक पाटील ने भी यहां से प्रतिनिधित्व किया है. लेकिन 2014 में बीजेपी ने यहां से संजयकाका पाटील को मैदान में उतारा और दो बार लोकसभा भी भेजा. वसंतदादा के पोते विशाल पाटील पिछले 10 साल से यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इस लोकसभा सीट में कांग्रेस के 2 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) का एक विधायक है, लेकिन शिवसेना का यहां से कोई विधायक नहीं है, जो एक विधायक खानापुर से चुनकर आए थे, उनका निधन हो गया. इसलिए शिवसेना (यूबीटी) का सांगली में कोई खासा प्रभाव नहीं है. फिर भी पश्चिम महाराष्ट्र से वह वाइप आउट ना हो जाएं, इसलिए शिवसेना (यूबीटी) ने यहां से ज्यादा ताकत लगाई है.
इन सीटों पर कांग्रेस उतारना चाहती है कैंडिडेट
शिवसेना से जिन सीटों पर कांग्रेस के बीच बात नहीं बन पा रही है, उसमें सांगली सबसे उपर है. बता दें कि सांगली सीट से दिवंगत सीएम वसंतदादा के पोते विशाल पाटील चुनाव लड़ना चाहते हैं. वहीं, दक्षिण मध्य मुंबई से कांग्रेस की मुंबई अध्यक्ष वर्षाताई गायकवाड के लिए पार्टी अड़ी हुई है. उधर, भिवंडी में दयानंद चोरगे के लिए पार्टी ने अपना वजन डाला है और रामटेक से रश्मि बर्वे को कांग्रेस चुनावी मैदान में उतारना चाहती है.
कौन हैं चंद्रहार पाटील?
चंद्रहार पाटील भालवणी गांव से आते हैं. डबल महाराष्ट्र केसरी का खिताब पाने वाले चंद्रहार ने जिला परिषद के सदस्य के रूप में भी काम किया है. तब वह एनसीपी के टिकट पर चुनकर आए थे. उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना मुझे उम्मीदवार के रुप मे उतारती है, तो मैं पूरे महाराष्ट्र के पहलवानों को साथ ला सकता हूं. 2020 में बालू तस्करी के मामले में तहसीलदार ऋषिकेश शेलके को पीटने पर विटा पुलिस ने उन पर FIR दर्ज की थी.