राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाह ने बुधवार को एनडीए के सीट-बंटवारे के फॉर्मूले से नाराजगी की बातों को खारिज कर दिया. बता दें कि उनकी पार्टी को केवल एक लोकसभा क्षेत्र ही मिला है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी दावा किया कि उन्हें बिहार में काराकाट लोकसभा सीट के अलावा उनकी पार्टी के लिए विधान परिषद सीट का आश्वासन मिला है. काराकाट के पूर्व सांसद ने कहा, "यह सच है कि हम अधिक सीटों के लिए सौदेबाजी कर रहे थे. हर दूसरी पार्टी की तरह, हम सबसे उचित डील करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन एक गठबंधन में, सभी जुड़े हुए दलों का समायोजन जरूरी है.'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू छोड़ने के बाद एक साल पहले ही उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी. कुशवाहा इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में नहीं शामिल हुए थे, जिसे लेकर कई तरह की बातें सामने आई थीं. दरअसल, तब भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में बिहार के लिए एनडीए के फॉर्मूले की घोषणा की गई थी. इस लेकर कुशवाहा ने मीडिया बातचीत में कहा कि, 'नाराजगी जैसी बात नहीं थी, जिस दिन घोषणा हो रही थी, उस दिन हम बाहर थे और लेट होने की वजह से प्रेस वार्ता में शामिल नहीं हो पाए.' उन्होंने इस दौरान महागठबंधन को स्वार्थ के आधार पर जुटे हुए लोगों का गठबंधन बताया.'
मंगलवार को अपने दिल्ली आवास पर भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े के साथ अपनी तस्वीरें साझा करके सफाई पेश करने की कोशिश करने वाले कुशवाहा ने कहा, "मुझे बताया गया है कि मेरी पार्टी को लोकसभा सीट दी जाएगी और राज्य विधान परिषद में एक बर्थ. अब हमारा ध्यान एनडीए को बिहार की सभी 40 सीटें जीतने में मदद करना है.'' वर्तमान में, राष्ट्रीय लोक मोर्चा की संसद या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन में कोई उपस्थिति नहीं है.
इन अटकलों को खारिज करते हुए कि वह बेहतर डील के लिए विपक्षी गुट इंडिया गठबंधन से संपर्क कर सकते हैं, कुशवाहा ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी पूर्व में सूरज के उगने की तरह निश्चित है." कुशवाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए छोड़ दिया था और केंद्र में अपना मंत्री पद छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे, जिसे उन्होंने डेढ़ साल बाद छोड़ दिया था और आरएलएसपी का जेडी (यू) में विलय कर दिया था. पिछले साल, उन्होंने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार के गठबंधन को नापसंद करते हुए जेडी (यू) छोड़ दिया और नई पार्टी बनाने के बाद एनडीए में लौट आए थे.