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मेरठ में रामायण सीरियल के 'राम' के खिलाफ सपा का 'गुर्जर कार्ड', क्या अरुण गोविल को टक्कर दे पाएंगे अतुल प्रधान?

मेरठ में बीजेपी के फायर ब्रांड नेता संगीत सिंह सोम को हराकर चर्चा में आए अतुल प्रधान को सपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है. प्रधान 2022 में सरधना सीट से पहली बार विधायक बने थे. अतुल की पत्नी भी राजनीति में सक्रिय हैं और पिछले साल मेयर का चुनाव हार गई थीं. पत्नी मेरठ की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रही हैं.

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मेरठ-हापुड़ सीट पर सपा ने अतुल प्रधान और बीजेपी ने अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाया है. (फाइल फोटो)
मेरठ-हापुड़ सीट पर सपा ने अतुल प्रधान और बीजेपी ने अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाया है. (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव का आगाज हो गया है. यूपी की मेरठ सीट पर हर किसी की नजर है. यहां से बीजेपी को टक्कर देने के लिए सपा गठबंधन ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया है. सपा ने सरधना से विधायक अतुल प्रधान (41 साल) को कैंडिडेट घोषित किया है. सपा ने पहले भानुप्रताप को उम्मीदवार बनाया था. अब अतुल प्रधान विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक के बैनर तले चुनावी मैदान में उतरेंगे. मेरठ लोकसभा सीट से बीजेपी ने अरुण गोविल और बसपा ने देवव्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है. मेरठ में 4 अप्रैल को नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है.

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इस बार बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए सपा और कांग्रेस ने गठबंधन कर रखा है. बीजेपी और इंडिया ब्लॉक के कैंडिडेट सामने आने के बाद चुनावी चर्चाएं तेज हो गई हैं. सपा उम्मीदवार अतुल प्रधान को कांग्रेस को समर्थन रहेगा तो बीजेपी उम्मीदवार अरुण गोविल को राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल, सुभासपा और निषाद पार्टी का समर्थन मिलेगा. बीजेपी के गोविल रामायण सीरियल में राम का किरदार निभाकर चर्चा में रहे हैं. आइए जानते हैं अतुल प्रधान के बारे में...

'2012 में राजनीति में आए अतुल'

अतुल प्रधान को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है. अतुल प्रधान गुर्जर समाज से ताल्लुक रखते हैं और वेस्ट यूपी में सपा के विश्वसनीय और तेजतर्रार नेताओं में भी गिने जाते हैं. अतुल प्रधान ने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में राजनीति में कदम रखा था. वे सरधाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और तीसरे नंबर पर आए थे. बीजेपी के संगीत सिंह सोम चुनाव जीते थे. उसके बाद सपा ने 2017 के चुनाव में एक बार फिर अतुल प्रधान पर भरोसा जताया. यह चुनाव भी प्रधान बीजेपी के संगीत सिंह सोम से हार गए थे. हालांकि, उनका वोट प्रतिशत बढ़ा था और दूसरे नंबर पर आए थे.

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'अखिलेश के करीबी होने का मिला फायदा'

अखिलेश यादव से बढ़ती करीबी का भी अतुल को बहुत फायदा मिला और 2022 के चुनाव में एक बार फिर सपा-रालोद गठबंधन ने अतुल प्रधान को सरधना सीट से टिकट दिया और उन्होंने बीजेपी के दिग्गज, दो बार के विधायक संगीत सिंह सोम को पटखनी दे दी. अतुल प्रधान ने संगीत सोम को 18 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. अतुल प्रधान पहली बार विधायक बने और पूरे प्रदेश में चर्चा में आए थे. 

'सपा छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे अतुल'

प्रधान मेरठ जिले के मवाना तहसील के गडीना गांव के रहने वाले हैं. इससे पहले अतुल प्रधान छात्र राजनीति करते थे. उन्होंने भीमराव अंबेडकर डिग्री कॉलेज से पढ़ाई पूरी की और स्टूडेंट पॉलिटिक्स से करियर की शुरुआत की. अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद अतुल प्रधान को समाजवादी पार्टी छात्र सभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. अतुल अपने विवादित बयानों से भी चर्चा में रहे हैं. गुर्जर समाज से आने वाले अतुल प्रधान पश्चिमी यूपी में अखिलेश के भरोसेमंद माने जाते हैं.

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'पत्नी सीमा रह चुकी हैं जिला पंचायत अध्यक्ष'

अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान मेरठ में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. बीजेपी की सरकार आने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लगा गया, जिसके बाद सीमा प्रधान ने इस्तीफा दे दिया था. उस दौरान सीमा प्रधान ने बीजेपी सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगाया था. 2023 में सपा ने सीमा प्रधान को मेयर का टिकट भी दिया था. हालांकि, वे तीसरे नंबर पर आई थीं. बीजेपी के हरिकांत आहूवालिया ने जीत हासिल की थी. मेयर चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के उम्मीदवार अनस दूसरे नंबर पर आए थे. यहां AIMIM उम्मीदवार ने सपा का गेम बिगाड़ दिया था.

atul pradhan

2022 के चुनाव में दाखिल शपथ पत्र के अनुसार, अतुल प्रधान का पेशा खेती है. वे ग्रेजुएट हैं. पिछड़ी जाति से आते हैं. अलग-अलग थानों में उन पर 38 मुकदमे दर्ज हैं.

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मेरठ का सियासी समीकरण क्या है?

मेरठ-हापुड़ सीट पर मुस्लिम वोटर्स की बड़ी भूमिका रहती है. यहां मुसलमानों का बड़ा तबका रहता है. दलितों की भी बड़ी आबादी रहती है. 2011 के आंकड़ों के अनुसार, मेरठ की आबादी करीब 35 लाख है, इनमें 65 फीसदी हिंदू, 36 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं. मेरठ में कुल वोटरों की संख्या 1964388, इसमें 55.09 फीसदी पुरुष और 44.91 फीसदी महिला वोटर हैं. मेरठ लोकसभा के साथ हापुड़ का कुछ क्षेत्र भी जुड़ता है. कुल मिलाकर यहां 5 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ शहर, मेरठ दक्षिण और हापुड़ की सीट है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का केंद्र और क्रांतिधरा भूमि माने जाने वाली मेरठ लोकसभा सीट राजनीतिक संदेश के हिसाब से अहम सीट मानी जाती है. 

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1990 के दौर में देश में चला राम मंदिर आंदोलन का मेरठ में सीधा असर दिखा और इसी के बाद ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन गई. 2009 से यह सीट बीजेपी के पास है. पिछले तीन चुनाव बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने जीते. इस बार बीजेपी ने अग्रवाल का टिकट काटकर अरुण गोविल को मैदान में उतारा है.

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आज नामांकन दाखिल करेंगे अरुण गोविल

अरुण गोविल आज बीजेपी की ओर से नामांकन दाखिल करेंगे. गोविल रोड शो निकालते हुए नामांकन फाइल करेंगे. शुभकामना बैंक्वेट हॉल में सभा होगी. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सभा को संबोधित करेंगे. उसके बाद वे नामांकन दाखिल करवाने के लिए कलेक्टरेट जाएंगे. रोड शो एफ 57, शास्त्रीनगर से शुरू होगा और कलेक्ट्रेट तक जाएगा. इससे पहले सोमवार को गोविल के लोकसभा चुनाव कार्यालय का शुभारंभ किया गया. अरुण गोविल ने पत्नी श्रीलेखा व परिवार के अन्य सदस्यों व पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर हवन पूजन किया. मेरठ लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा. 

कौन हैं अरुण गोविल?

रामानंद सागर के टीवी सीरियल रामायण में अरुण गोविल (66 साल) ने भगवान राम की भूमिका निभाई है. मेरठ उनका गृहनगर है. गोविल उन मशहूर हस्तियों में शामिल थे, जिन्होंने जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के भव्य अभिषेक समारोह में हिस्सा लिया था. गोविल 2021 में बीजेपी में शामिल हुए थे. वे समय-समय पर अपनी सरकार की नीतियों की तारीख करते देखे गए. गोविल ने फिल्म 'आर्टिकल 370' में पीएम मोदी का रोल प्ले किया था. गोविल ने अभिनेता बनने से पहले बीएससी में दाखिला लिया था. उनकी पहली फिल्म पहेली 1977 में रिलीज हुई थी. 1980 के दशक के अंत में रामानंद सागर के टीवी सीरियल रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने के बाद गोविल एक घरेलू नाम बन गए. उसके बाद उन्होंने कई टेलीविजन शो में अभिनय किया और कई उड़िया, तेलुगु, भोजपुरी और ब्रज भाषा की फिल्मों में भी काम किया.

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