scorecardresearch
 

लाडली बहना योजना, PM मोदी का चेहरा और माइक्रो मैनेजमेंट... पढ़ें- मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत के 5 बड़े फैक्टर

मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को सिरे से नकार दिया और बीजेपी को पहली पसंद के तौर पर चुना है. मध्य प्रदेश में बीजेपी को 163 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल हुई है, जबकि कमलनाथ के चेहरे पर लड़ रही कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है.

Advertisement
X
मध्य प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है (फोटो-सोशल मीडिया)
मध्य प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है (फोटो-सोशल मीडिया)

मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर 'कमल' खिला है. बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर ये साबित कर दिया है कि शिवराज सरकार की योजनाओं पर जनता का भरोसा कायम है. इसके लिए अलावा पीएम मोदी का आक्रामक प्रचार भी बीजेपी के लिए बेहद कारगर साबित हुआ. 3 दिसंबर को जब वोटों की गिनती शुरू हुई, तो बीजेपी शुरुआती रुझानों से ही बढ़त बनाने लगी थी. जिस राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही थी. वहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. 230 सीट वालों राज्य में 116 बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा है. इस आकंड़े को बीजेपी ने छू लिया है. 

Advertisement

मध्य प्रदेश में बीजेपी को 163 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल हुई है, जबकि कमलनाथ के चेहरे पर लड़ रही कांग्रेस महज 66 सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है. 2018 में कांग्रेस को मौका भी मिला था, लेकिन 2020 में बाजी पलट गई थी. तभी से कांग्रेस 2023 के चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की बात कर रही थी, कांग्रेस के नेता कह रहे थे कि जनता सिंधिया की उस 'बगावत' का करारा जवाब देगी, जिसके चलते वह सत्ता से बाहर हुए थे. लेकिन इस बार तस्वीर पूरी तरह से बदल गई. मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को सिरे से नकार दिया और बीजेपी को पहली पसंद के तौर पर चुना है. यहां गौर करने बाली बात ये भी है कि इस चुनाव में कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के खाते में महिलाओं के 10 फीसदी ज्यादा वोट आए हैं. जानते हैं मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत के 5 बड़े फैक्टर्स कौन से हैं.

Advertisement

1. बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हुई लाडली योजना 

मध्यप्रदेश में BJP ने कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया है. कांग्रेस के नेता दावा कर रहे थे कि वह सूबे की सत्ता पर राज करेंगे, लेकिन जब ईवीएम खुलीं तो तस्वीर पूरी तरह बदल गई. सूबे में बीजेपी का कमल खिल गया. इसमें सबसे बड़ी वजह लाडली बहना योजना मानी जा रही है. कहा जा रहा है कि इसी के चलते बीजेपी को महिलाओं का बंपर वोट मिला है. शिवराज सिंह चौहान ने साल 2023 की शुरुआत में 'मुख्‍यमंत्री लाडली बहना योजना' की घोषणा की थी और 15 मार्च को इसे लॉन्च कर दिया गया था. इस योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं को पहले हर महीने 1,000 रुपये दिए जाने का ऐलान हुआ. लेकिन बाद में सीएम शिवराज ने इसमें इजाफा कर 1250 प्रतिमाह कर दिया. चुनाव जीतने के बाद शिवराज सिंह ने फिर दोहराया कि वह अपना वादा भूले नहीं है. लाडली बहना का पैसा बढ़ते-बढ़ते 3 हजार का आंकड़ा छुएगा. 
बता दें कि राज्य की एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल रहा है. एमपी की 7 करोड़ आबादी में लाड़ली बहना योजना की लाभार्थियों ने शिवराज को बंपर वोट दिया है. 

2. PM मोदी का आक्रामक चुनाव प्रचार बना संजीवनी 

Advertisement

मध्य प्रदेश में पीएम मोदी ने बैक टू बैक कई रैलियां कीं. इसका असर चुनावी नतीजों में साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही बीजेपी ने एमपी में कैंपेन चलाया था "मोदी के मन में एमपी, एमपी के मन में मोदी". बीजेपी के इस कैंपेन ने कांग्रेस के कल्याणकारी वादों को नुकसान पहुंचाया. पीएम मोदी ने एमपी में अपनी 14 रैलियों में हर बार कांग्रेस पर प्रहार किया और भ्रष्टाचार के साथ ही परिवारबाद को मुद्दा बनाया. पीएम मोदी मध्य प्रदेश के वोटर्स को ये भरोसा दिलाने में भी कामयाब रहे कि उनका मध्य प्रदेश पर स्पेशल फोकस है. 

3. महिला वोटरों पर फोकस करने की रणनीति कारगर रही

मध्य प्रदेश में बीजेपी को मिले इस प्रचंड बहुमत के पीछे शिवराज सरकार की योजनाओं का असर है. सीएम शिवराज सिंह का पूरा फोकस महिला वोटर्स पर था. चुनाव प्रचार के दौरान वह इस बात पूरा फोकस रखते थे कि उनकी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने का पूरा प्रयास कर रही है. चाहे वह लाडली लक्ष्मी योजना हो या लाडली बहना. अपने कैंपेन में शिवराज ने हमेशा यही प्रोजेक्ट करने की कोशिश की कि उनका महिलाओं के उत्थान पर पूरा ध्यान है. इसी के चलते वह महिला वोटर्स के साथ कनेक्ट बना सके. जिसका लाभ उन्हें चुनाव परिणामों में मिला है. लिहाजा बीजेपी ऐसी छवि बनाने में भी सफल रही जिससे उसे महिलाओं, गरीब मतदाताओं के साथ-साथ दलितों और आदिवासी लोगों के बीच मदद मिली.

Advertisement

4. काम आई बीजेपी की एकजुटता 

मध्य प्रदेश का दुर्ग बचाने के लिए बीजेपी ने इसा बार खास रणनीति अपनाई. जब कैंडिडेटस के नामों का ऐलान हुआ तो पार्टी ने सभी को चौंकाया. दरअसल, बीजेपी ने चुनावी रण में अपने दिग्ग्ज नेताओं को उतारा था. इसका बीजेपी को बड़ा लाभ मिला है. इसके साथ ही राज्य और केंद्रीय नेताओं ने मिलकर चुनाव लड़ा. कहीं कंफ्यूजन को कोई स्थिति पैदा नहीं होने दी. बीजेपी के नेता यह मैसेज देने में भी कामयाब रहे कि डबल इंजन की सरकार सूबे के विकास के लिए बेहद जरूरी है. अगर परिणाम भगवा पार्टी के पक्ष में आए तो एमपी में विकास का पहिया तेजी से दौड़ेगा. इसके अलावा बीजेपी के दिग्गज नेताओं से लेकर बूथ स्तर का कार्यकर्ता तक एक समन्वय दिखाई दिया. जिसका पार्टी को फायदा पहुंचा.

5. माइक्रो मैनेजमैंट बना जीत का बड़ा फैक्टर

भाजपा ने 2022 में ही चुनावों पर काम करना शुरू कर दिया और पिछले चुनावों में हारी हुई सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा जल्दी कर दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के प्रत्येक मंडल में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कीं और उनकी टीम के नेताओं को जीता का साफ मैसेज दिया. इसका शब्दशः पालन हुआ और बूथ स्तर तक इस मैसेज को फॉरवर्ड किया. बीजेपी ने रणनीति के तहत उन सीटों के लिए कैंडिडेट्स की घोषणा भी जल्दी कर दी थी जिन पर वह पिछले चुनावों में हार गई थी. लिहाजा उन सीटों पर उम्मीदवारों को वोटर्स के साथ कनेक्ट बनाने में ज्यादा समय मिला. 

Live TV

Advertisement
Advertisement