Madhya Pradesh Panchayat Aaj Tak: मध्य प्रदेश पंचायत आजतक के मंच पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिरकत की. उन्होंने राज्य की सत्ता में फिर से बीजेपी आने का दावा किया है. सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि मुझे सड़क पर आने की चुनौती दी गई थी. सिंधिया ने यह भी कहा कि आने वाला मध्य प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
सिंधिया ने कहा, पांच साल पहले मेरा वक्तव्य अलग था. क्योंकि मेरे दिल के अंदर एक ज्वालामुखी थी. अगर जनता मौका देगी तो बेहतर करके दिखाएंगे. लेकिन, 15 महीने में ही झूठ, लूट और फूट की सरकार स्थापति हो गई. आशाओं और अभिलाषाओं पर पानी फेर दिया गया. वादाखिलाफी की गई. और मुझे ललकारा गया कि सड़क पर आ जाओ. तब आप क्या करोगे? ये तय नहीं करोगे कि सड़क पर आ जाओ.
'मुझे कुर्सी पाने की चाह नहीं'
सिंधिया ने कहा, मेरी मंशा कुर्सी पर आने की नहीं थी. हां, ये सही है कि 2018 के चुनाव में मेरा योगदान रहा है. मुझे चुनाव बाद कांग्रेस हाईकमान ने कहा कि कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया है. मैंने भी कहा कि बनाईए. हम साथ थे. मैं पहले भी सीएम पद का उम्मीदवार नहीं था. आज भी सीएम पद का उम्मीदवार नहीं हूं. मैं विकास की मंशा के साथ काम करता हूं. सिंधिया ने कहा, आज बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ आ रही है. उन्होंने कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा.
'पीएम मोदी के नेतृत्व में लड़ेंगे चुनाव'
मैं मानता हूं कि केंद्रीय लीडरशिप ने तय किया है कि हमारा चुनाव प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और ये निर्णय सारे राज्यों के लिए है. जहां तक मध्य प्रदेश की बात है, शिवराज सिंह जी हमारे मुख्यमंत्री हैं. 18 साल उनके नेतृत्व में ही हमारा प्रदेश प्रगति और विकास कर पाया है. आज उनके नेतृत्व में ही हम लोग साथ में, सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं. जो उन्होंने मध्य प्रदेश के लिए किया है, मैं एमपी का नागरिक होने के नाते उनका कृतज्ञ हूं. उनका मध्य प्रदेश के लिए ऊर्जावान नेतृत्व रहा है. मेरा मध्य प्रदेश सौभाग्यशाली रहा है.
'15 साल बाद मंत्री बने समर्थकों ने छोड़ी थी कांग्रेस'
समर्थकों के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर सिंधिया ने कहा, राजनीति में कोई सरपंच पद नहीं छोड़ता. 25 विधायक कैबिनेट मंत्री थे. 15 साल बाद मंत्री बने थे. इतना बड़ा त्याग और तपस्या को छोड़ दिया. साथ में पार्टी छोड़ी और चुनाव जीतकर वापस आए. उपचुनाव की 29 सीटों में से 28 सीटें कांग्रेस की झोली में थी. जब उपचुनाव हुए तो 19 सीटें कांग्रेस हार गई.
'बीजेपी में कार्यकर्ता की क्षमता के आधार पर टिकट मिलता'
भाजपा में काबिलियत और मैरिट के आधार पर टिकट दिए जाते हैं. किसी की सिफारिश पर चुनाव में टिकट नहीं मिलते हैं. जनता के प्रति जुड़ाव देखा जाता है. क्षेत्र में कराए गए विकास देखा जाता है. चाहे आप 2018 में आए हों या बीजेपी में 40 साल से कार्यकर्ता हों. यहां टिकट का चयन कार्यकर्ताओं की क्षमता के आधार पर किया जाता है. सिंधिया को भी तब ही अवसर मिलेगा, जब उनका जनता के प्रति जुड़ाव देखा जाएगा. यहां अन्य पार्टियों की तरह नहीं होता है.
'उत्कृष्ट व्यक्ति को मिलना चाहिए टिकट'
मैं यह बताना चाहता हूं कि 2018 में भी जब मैं कांग्रेस में था, तब मैंने टिकट के लिए सिर्फ उत्कृष्ट प्रत्याशियों के नाम आगे बढ़ाए थे. जो उपयुक्त व्यक्ति है, उसी का नाम देना चाहिए. आज भी इस श्रेणी में उन लोगों का नाम दे रहा हूं, जो मानता हूं कि उत्कृष्ट हैं. मेरे साथ जुड़े हों या नहीं. मेरा लक्ष्य सिर्फ सरकार बनाना है. सरकार बनना चाहिए.