महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान से ठीक पहले कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है. हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने इस्तीफा दिया है तो मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे संजय निरुपम ने स्पष्ट तौर पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सवालों के घेरे में खड़ा किया है. संजय निरुपम की टिप्पणी पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने जवाब दिया है.
अशोक चव्हाण ने संजय निरुपम के पार्टी में गुटबाजी के आरोप पर कहा कि यह उनकी निजी राय हो सकती है. चव्हाण ने कहा, 'जब तक वो पार्टी में मजबूती के साथ थे, वो अच्छा बोल रहे थे. लेकिन जब बात नहीं बनी तो वो आलोचना कर रहे हैं.'
संजय निरुपम को यह जवाब देते हुए चव्हाण ने आगे ये भी कहा कि वो उनके दोस्त हैं और इस मसले पर कुछ ज्यादा नहीं कहना चाहते हैं. चव्हाण ने यह टिप्पणी संजय निरुपम के उस बयान पर की है, जिसमें उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने दरबारियों से मुक्ति पानी चाहिए. निरुपम ने कहा था कि वो सोनिया गांधी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें ऐसे लोगों से छुटकारा पाना चाहिए.
टिकट वितरण पर उठाए हैं सवाल
संजय निरुपम ने आरोप लगाया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार भी महाराष्ट्र नहीं आए हैं और अपने दोस्तों से बातचीत के आधार पर टिकट बांट दिए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे लोग बेकार हैं, पार्टी चलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
21 अक्टूबर को होने जा रहे मतदान से पहले महाराष्ट्र व हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी सार्वजनिक मंचों से सामने आ रही है. हैरान करने वाली बात ये है कि कांग्रेस से बगावत करने वाले नेता सीधे तौर पर कांग्रेस हाईकमान को निशाने पर ले रहे हैं और उन पर सवाल उठा रहे हैं.