महाराष्ट्र की मतगणना समाप्त हो गई है. अब तक सभी सीटों के रुझान आ चुके हैं, जिसके मुताबिक बीजेपी-शिवसेना गठबंधन फिर से सरकार बनाने की स्थिति में है. 2014 के चुनाव में अलग लड़ने वाली बीजेपी-शिवसेना इस बार के चुनाव में साथ लड़ीं, लेकिन दोनों ही पार्टियों की सीटें कम हो गईं. वहीं कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्ता से दूर दिख रहा है, लेकिन राहत की बात ये है कि दोनों ही पार्टियों की सीटों में इजाफा हुआ है. साफ है कि नए विधानसभा में ये गठबंधन और ताकत के साथ नजर आएगा.
साल 2014 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब बीजेपी को 28.1 फीसदी वोट के साथ 122, शिवसेना को 19.5 फीसदी वोट के साथ 63 सीटें मिली थीं. दोनों का वोट शेयर जोड़ दें तो यह 47.6 फीसदी और सीटों की संख्या 185 पहुंचती थी. 2019 के चुनाव में देवेंद्र फडणवीस के दम पर बीजेपी और मजबूती के साथ सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही थी, लेकिन यहां पर उसकी उम्मीदों को झटका लगा है.
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के खाते में 161 सीटें आई हैं. अकेले बीजेपी को 105 सीटों पर तो शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली है. ऐसे में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 24 सीटों का नुकसान हुआ है.
बीजेपी को जहां 17 तो वहीं शिवसेना को 7 सीटों का नुकसान हुआ है. साफ है कि इसमें सबसे ज्यादा घाटा बीजेपी को हुआ है. वहीं कांग्रेस-एनसीपी की बात करें तो एक बार फिर ये गठबंधन सत्ता पर काबिज होने से पीछे रह गया है. हालांकि दोनों ही पार्टियों के लिए राहत की बात ये है कि उनकी सीटों में इजाफा हुआ है.
कांग्रेस-एनसीपी की बढ़ी ताकत
2014 में यूपीए को 35.5 फीसदी वोट के साथ 83 सीटें मिली थीं. तब कांग्रेस ने 18.1 फीसदी वोट के साथ 42 और एनसीपी ने 17.4 फीसदी वोट शेयर के साथ 41 सीटें जीती थीं. हालांकि इस बार एनसीपी कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतती नजर आ रही है.
कांग्रेस के नेतृत्व वाले इस गठबंधन के खाते में 98 सीटें आई हैं. अकेले एनसीपी को 13 सीटों का फायदा हुआ. यानी इस बार 54 सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते हैं. वहीं 2014 में 42 सीटों पर जीतने वाली कांग्रेस की भी ताकत इस बार बढ़ी है. कांग्रेस के खाते में इस बार 44 सीटें आई है.
नतीजों से साफ है कि बीजेपी-शिवसेना सरकार तो जरूर बना लेगी, लेकिन साथ लड़ने के बावजूद इस बार उनकी ताकत कम हुई है. वहीं कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन इस बार और विधायकों के साथ मजबूती से विधानसभा में नजर आएगा.