महाराष्ट्र के प्राचीनतम शहरों में शुमार किए जाने वाले भंडारा शहर की खोज 11वीं सदी में हुई थी. ब्रिटिश दौर की बात करें तो यह 1853 में उनकी सत्ता के अधीन आया. 1947 से 1956 के बीच भंडारा जिला विदर्भ का हिस्सा रहा. 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के साथ, भंडारा जिले को मध्य प्रदेश से बॉम्बे राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया, जो उसी साल अस्तित्व में भी आ गया. 1960 में महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ इस जिले को भी नए राज्य का हिस्सा बना दिया गया.
महाराष्ट्र के 36 जिलों में से एक भंडारा भी एक जिला है और 2011 की जनगणना के मुताबिक इस जिले की आबादी 12 लाख है जो राज्य का पांचवां सबसे घनी आबादी वाला जिला है. इस जिला का क्षेत्रफल 4087 स्क्वायर किलोमीटर है और क्षेत्रफल के लिहाज से राज्य का तीसरा सबसे छोटा राज्य है.
12 लाख की आबादी
भंडारा जिले में 12 लाख की आबादी में 6.1 लाख पुरुषों की तो महिलाओं की आबादी 5.9 लाख है. इनमें से 76 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग के लोगों की है. 17 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. धर्म के आधार पर देखें तो इस जिले में 84 फीसदी आबादी हिंदुओं की है. 2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले में प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 982 महिलाएं रहती हैं. साक्षरता दर के आधार पर देखा जाए तो
भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के सुनील बाबूराव मेंधे सांसद हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने करीबी प्रतिद्वंदी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पंचबुधे नाना जयराम को 1,97,394 वोटों के अंतर से हराया था. सुनील बाबूराव मेंधे को 6,50,243 वोट मिले थे जबकि एनसीपी के पंचबुधे नाना जयराम को 4,52,849 वोट हासिल हुए.
भंडार-गोंदिया लोकसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इससे पहले इस लोकसभा सीट का नाम भंडारा था, लेकिन अब ये सीट दो जिलों भंडारा और गोंदिया में पड़ती है और दोनों ही जिलों की 3-3 विधानसभा सीट इस लोकसभा के तहत आती हैं.
छह विधानसभा सीट
भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभाएं आती हैं. इसमें तुमसर, भंडारा, साकोली, अर्जुनी मोरगांव, तिरोड़ा बीजेपी के पास है जबकि गोंदिया कांग्रेस के पास है.
परिसीमन से पहले तक 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भंडारा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. 1999 में चुन्नीलाल ठाकुर और 2004 में शिशुपाल पटेल ने जीत हासिल की थी, लेकिन परिसीमन के बाद 2009 में बाजी पलट गई. एनसीपी के उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल ने बाजी मारी और उनके प्रतिद्वंदी निर्दलीय उम्मीदवार नाना पटोले को चुनाव हराया.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर नाना पटोले ने जीत हासिल की थी, उन्होंने एनसीपी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को हराया था. लेकिन बाद में पार्टी आलाकमान से नाराजगी के चलते नाना पटोले ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. इस इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में एनसीपी के मधुकर राव कुकड़े चुनाव जीत गए.
हरियाणा के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. दोनों ही राज्यों में 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे जबकि 24 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे आएंगे.