चुनावी सीजन में नेताओं का पाला बदलना आम बात है. हर चुनाव में ऐसा देखने को मिलता है. महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी यह परंपरा नजर आई है. दिलचस्प बात ये है कि ज्यादातर नेता सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के पक्ष में गए हैं. एक और खास बात ये कि जिन इलाकों के नेताओं की एंट्री बीजेपी या शिवसेना में हुई है, वहां विपक्षी दलों का दबदबा रहा है. लिहाजा, इसे बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की एक मजबूत चुनावी रणनीति के तौर भी देखा जा रहा है.
नामांकन से पहले चुनावी सीजन में 31 बड़े नेताओं ने बीजेपी या शिवसेना ज्वाइन की है. इनमें ज्यादातर नेता या तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी के विधायक हैं या उनसे जुड़े बड़े नेता हैं. एनसीपी के जयदत्त क्षीरसागर, कांग्रेस के सुजय विखे पाटील, पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता विजय मोहिते पाटील पहले ही बीजेपी का रुख कर चुके थे. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जबरदस्त ने हालात और बदल दिए. नतीजा ये हुआ कि एनसीपी-कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी-शिवसेना का रुख करना शुरू कर दिया. इस कड़ी में राणा जगजीत सिंह, शिवेन्द्र राजे भोसले, वैभव पिचड़, मधुकर पिचड़, गणेश नाइक, भास्कर जाधव, सचिन अहिर समेत नेताओं की लंबी लिस्ट बन गई.
एक खास बात ये है कि पश्चिमी महाराष्ट्र से आने वाले नेताओं की संख्या इनमें ज्यादा है, जहां विपक्षी गठबंधन कांग्रेस-एनसीपी की तुलना में बीजेपी उतनी मजबूत नहीं है.
पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी रही है मजबूत
पश्चिमी महाराष्ट्र वो इलाका है जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है. 2014 में मोदी लहर के बाजवूद एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने पश्चिमी महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन किया था. मराठाओं के गढ़ रूप में मशहूर पश्चिमी महाराष्ट्र एनसीपी प्रमुख शरद पवार की अच्छी पकड़ रही है.
एनसीपी ने इस चुनाव में कुल 41 सीटें जीती थीं, जिनमें से 19 सीटें पश्चिमी महाराष्ट्र की हैं. जबकि 42 सीट जीतने वाली कांग्रेस को पश्चिमी महाराष्ट्र में 10 सीटें मिली थीं. वहीं, बीजेपी की बात की जाए तो 71 सीटों वाले पश्चिमी महाराष्ट्र में उसे 24 सीट ही मिल पाई थीं और शिवसेना ने 13 सीटें जीती थीं.
बीजेपी ने साधा समीकरण
बीजेपी के प्रत्याशियों की सूची पर गौर किया जाए तो पार्टी ने पश्चिमी महाराष्ट्र में अच्छा जातीय समीकरण बनाया है. पहली ही लिस्ट में बीजेपी ने 47 मराठाओं को टिकट दिया है, इनमें से ज्यादातर पश्चिमी महाराष्ट्र से प्रत्याशी हैं.
इस लिहाज से एक तरफ जहां बीजेपी-शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से आने वाले विधायकों व नेताओं को अपनी पार्टी में जगह देकर विपक्ष को कमजोर किया है, वहीं टिकट वितरण में समीकरण साधकर बीजेपी ने पश्चिमी महाराष्ट्र को मजबूती के साथ फतह करने की रणनीति पर काम किया है.