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आरे पर रार, पर्यावरण की आड़ में बीजेपी को ताकत दिखा रही शिवसेना

वर्ली विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने विरोध कर रहे लोगों का समर्थन किया, फिर पूरी पार्टी ही आंदोलन के समर्थन में उतर आई.

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शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे (फाइल फोटोः ट्विटर)
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे (फाइल फोटोः ट्विटर)

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  • शिवसेना ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा
  • आंदोलन के समर्थन में खुलकर उतरी सेना

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तेज होती सरगर्मी के बीच शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने आ गई हैं. सीटों पर सहमति के बगैर दोनों दलों ने गठबंधन का ऐलान कर यह तो बता दिया कि हम साथ-साथ हैं, लेकिन बयानबाजियां नहीं थमीं.

अब आरे में पेड़ों की कटाई ने शिवसेना को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है. आरे की रार में शिवसेना पर्यावरण के बहाने अपनी ताकत दिखा रही है. पहले वर्ली विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने विरोध कर रहे लोगों का समर्थन किया, फिर पूरी पार्टी ही आंदोलन के समर्थन में उतर आई.

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शिवसेना की नेता शीतल महात्रे ने रात में ही तस्वीरें ट्वीट कर अपने आरे में होने की जानकारी दी, जिसे रीट्वीट करते हुए शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने लिखा कि क्यों मुंबई मेट्रो मुंबइकरों को अपराधी की तरह ट्रीट कर रही है और सतत विकास की संवेदनशील मांग नहीं सुन रही.

आदित्य का पीएम पर निशाना 

आदित्य ने नाम लिए बगैर अपनी सहयोगी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट कर निशाना साधा. अपने ट्वीट में ठाकरे ने कहा कि इस तरह से जंगल काटे जा रहे हैं तो प्लास्टिक प्रदूषण पर बोलने का कोई प्वाइंट नहीं है. दूसरी तरफ शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी को आरे जाते समय पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इससे पहले ठाकरे ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अलग लाइन पकड़ते हुए आरे में पेड़ काटने का विरोध किया था.

क्या होगा इस फूट का परिणाम

विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तिथि करीब आती जा रही है. ऐसे में शिवसेना की ओर से आ रहे लगातार बयान और अब आरे को लेकर चल रही तकरार क्या गठबंधन को नुकसान पहुचाएगी, यह बहस शुरू हो गई है. राजनीति के जानकारों की मानें तो विपक्ष की निष्क्रियता के कारण इसके अधिक नुकसान की संभावना नहीं है. हां, शिवसेना का यह रुख इस बात का संकेत है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं.

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