महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भले ही अनुच्छेद 370 और पाकिस्तान सहित राष्ट्रवाद के मुद्दे के सहारे बीजेपी दोबारा सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही हो. लेकिन महाराष्ट्र के अलग-अलग रीजन में लोगों के मुद्दे अलग-अलग हैं. उत्तर महाराष्ट्र के लोग कृषि संकट और प्याज की गिरती कीमतों से परेशान हैं तो विदर्भ में किसान आत्महत्या एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. जबकि, मराठवाड़ा में पीने के पानी की कमी और बेरोजोगारी चर्चा के केंद्र में है. वहीं, कोंकण-मुंबई रीजन में आर्थिक मंदी और पीएमसी बैंक घोटाला बड़ा मुद्दा है.
उत्तर महाराष्ट्र का सियासी समीकरण
नॉर्थ महाराष्ट्र में कुल 35 विधानसभा सीटें आती हैं. ये इलाका कभी कांग्रेस का मजूबत दुर्ग हुआ करता था, लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अपनी पकड़ मजबूत बनाने में सफल रही हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरीश महाजन नॉर्थ महाराष्ट्र से कांग्रेस के साफ होने का दावा कर रहे हैं.
एकनाथ खड़से यहां बीजेपी का चेहरा हैं, पार्टी ने उनकी बेटी रोहणी खड़से को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, एनसीपी के दिग्गज नेता और पार्टी के ओबीसी चेहरा छगन भुजबल मैदान में हैं. उत्तर महाराष्ट्र में कृषि संकट, प्याज की गिरती कीमतें, सूखा का संकट और वन अधिकार अधिनियम जैसे मुद्दे हावी हैं. 2014 के चुनाव में नॉर्थ महाराष्ट्र की 35 सीटों में से बीजेपी 14, शिवसेना 7, कांग्रेस 7, एनसीपी 5 और अन्य को 2 सीटें मिली थी.
विदर्भ: फडणवीस का गृह क्षेत्र
महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है. इंदिरा गांधी के द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद भी विदर्भ के लोगों ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा था. बीजेपी को इस इलाके में अपनी जड़ें जमाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में विदर्भ इलाके की कुल 62 सीटों में से बीजेपी 44 सीटें जीतने में सफल रही थी. जबकि शिवसेना को 4, कांग्रेस को 10, एनसीपी को 1 और अन्य को 4 सीटें मिली थीं.
विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है. यहां किसानों की आत्महत्या और सिंचाई परियोजनाएं एक बड़ा मुद्दा है. किसानों के बारिश की कमी और खराब उत्पादन के चलते आत्महत्या करने के मामले लगातार आ रहे हैं. यह इलाका महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याओं के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यहां दलित समुदाय की बड़ी आबादी है और जीत हार में अहम भूमिका मानी जाती है. सीएम फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से चुनावी मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस का इस इलाके में चेहरा माने जाने वाले नाना पटोले विदर्भ की सकोली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
मराठवाड़ा: बड़े नेताओं का घर
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाका अपने सूखाग्रस्त हालात के चलते सुर्खियों में रहता है, लेकिन पिछले दिनों इस इलाके में काफी बारिश हुई है. जबकि 2016 में इसी इलाके के लातूर में पानी की इतनी किल्लत हुई कि रेलवे के जरिए पानी भेजा गया था. इस इलाके में मराठा समुदाय के साथ-साथ मुस्लिमों की बड़ी आबादी है. इसी का नतीजा है कि मराठवाड़ा के औरंगाबाद लोकसभा सीट से AIMIM जीतने में सफल रही थी.
मराठवाड़ा इलाके में सबसे बड़ा मुद्दा पीने के पानी की कमी, कृषि संकट और बेरोजगारी है. जबकि यह पूरा इलाका कृषि पर आधारित है. 2014 के चुनाव में मराठावाड़ा इलाके की 46 सीटों में से बीजेपी 15, शिवसेना 11, कांग्रेस 9, एनसीपी 8 और अन्य को 3 सीटें मिली हैं. इस तरह बीजेपी और शिवसेना ने पिछले चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया था.
हालांकि यह इलाका कांग्रेस का मजबूत दुर्ग रहा है. कांग्रेस के अशोक चव्हाण विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे हैं. इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व सीएम विलासराव देशमुख के बेटे अमित और धीरज देशमुख लातूर की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं.
पश्चिमी महाराष्ट्र को एनसीपी से छिनने की कवायद में बीजेपी
पश्चिम महाराष्ट्र को चीनी बेल्ट के तौर पर पहचाना जाता है. एनसीपी का यह इलाका मजबूत गढ़ है. चीनी मिलों को सहकारी समितियों के जरिए चलाने वाले स्थानीय नेताओं के माध्यम से यहां की राजनीति चलती रही है. 2019 के चुनाव में एनसीपी सभी चार संसदीय सीटें जीती हैं, वे इसी इलाके की हैं. 2014 के चुनाव में पश्चिम महाराष्ट्र की 71 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 24, शिवसेना 13, कांग्रेस 10, एनसीपी 19 और अन्य 4 सीटें जीतने में सफल रही थी.
बीजेपी ने इस इलाके से एनसीपी के राजनीतिक सफाए के लिए उनके नेताओं को अपने साथ मिलाया. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस और एनसीपी से आए मराठा नेताओं को उतारा है. हालांकि कांग्रेस के पूर्व सीएम सुशील कुमार शिंदे, पृथ्वीराज चव्हाण और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट इसी इलाके से आते हैं. पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली, सतारा और पुणे में बाढ़ पीड़ितों को समय पर राहत की कमी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इसके अलावा आर्थिक मंदी और उद्योगों को बंद होना बीजेपी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है.
कोंकण रीजन में रत्नागिरी रिफाइनरी बड़ा मुद्दा
महाराष्ट्र का कोंकण इलाके में 39 विधानसभा सीटें आती हैं. इस इलाके में रायगढ़ और रत्नागिरी जैसे बड़े शहर आते हैं. रायगढ़ और रत्नागिरी में एनसीपी कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है. नानार रिफाइनरी रत्नागिरि में एक चुनावी मुद्दा बना हुआ है. विपक्ष के विरोध करने के चलते बीजेपी और शिवसेना इस मुद्दे पर बैकफुट पर खड़ी नजर आ रही है. इसी के चलते शिवसेना भी इस रिफाइनरी के विरोध में खड़ी हो गई है. बीजेपी का यहां चेहरा नारायण राणे बने हुए हैं, बीजेपी ने उनके बेटे नितेश राण को कोंकण क्षेत्र से उतारा है. 2014 के चुनाव में कोंकण रीजन के तहत आने वाली 39 सीटों में से बीजेपी 10, शिवसेना 15, कांग्रेस 1, एनसीपी 8 और अन्य को 6 सीटें मिली थी.
मुंबई में पीएमसी बैंक घोटाला और आरे कॉलोनी का मुद्दा
मुंबई रीजन में कुल 36 विधानसभा सीटें आती हैं. मुंबई में कांग्रेस और एनसीपी खराब बुनियादी ढांचे के आरोपों के साथ बीजेपी और शिवसेना को हराने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी हैं. मुंबई में पीएमसी बैंक घोटाला, इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड, आरे कॉलोनी लड़ाई और आर्थिक मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. आदित्य ठाकरे इस बार वर्ली से चुनावी मैदान में उतरे हैं.
मुंबई में शिवसेना बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसी तरह कांग्रेस एनसीपी से ज्यादा सीटों पर मैदान में है. 2014 के चुनाव में मुंबई क्षेत्र की 36 सीटों में से बीजेपी 15, शिवसेना 14, कांग्रेस 5 और अन्य को 2 सीटें मिली थी. जबकि एनसीपी अपना खाता नहीं खोल सकी थी.