scorecardresearch
 

चुनावी डेब्यू के लिए आदित्य ठाकरे ने वर्ली को ही क्यों चुना, ये 5 फैक्टर जिम्मेदार

महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार के तीन पीढ़ियों की राजनीति में ये पहली बारशिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव में किस्मत आजमाने उतरे हैं. शिवसेना के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले आदित्य ठाकरे के लिए वर्ली विधानसभा सीट काफी सेफ मानी जा रही है.

Advertisement
X
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे

Advertisement

  • ठाकरे परिवार की तीसरी पीड़ी चुनावी मैदान में
  • आदित्य ठाकरे ने वर्ली सीट से नामांकन पत्र भरा
  • वर्ली सीट शिवसेना का मजूबत गढ़ माना जाता है

शिवसेना के 52 साल के सियासी सफर में आज का दिन ऐतिहासिक है. 'ठाकरे परिवार' के तीन पीढ़ियों की राजनीति में ये पहली बार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव में किस्मत आजमाने उतरे हैं. आदित्य ने मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल किया.

मुंबई के बांद्रा इलाके में रहने वाले आदित्य ठाकरे ने बांद्रा सीट चुनाव लड़ने के बजाय वर्ली विधानसभा क्षेत्र से उतरने के पीछे सोची समझी रणनीति है. इसीलिए वर्ली सीट से शिवसेना के मौजूदा विधायक सुनील शिंदे ने आदित्य ठाकरे के चुनावी मैदान में उतरने की इच्छा को देखते हुए अपनी दावेदारी को छोड़ दिया है. यह सीट शिवसेना के राजनीतिक उत्ताराधिकारी माने जाने वाले आदित्य ठाकरे के लिए काफी सेफ मानी जा रही है.

Advertisement

1. शिवसेना का मजबूत दुर्ग

मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट शिवसेना का मजबूत गढ़ माना जाता है. 1990 में शिवसेना ने पहली बार जीत दर्ज की थी. इसके बाद यह सिलसिला 2004 तक जारी रहा. 2009 में एनसीपी ने खाता खोला था, लेकिन 2014 में शिवसेना ने एक बार फिर कब्जा जमा लिया था. विधानसभा क्षेत्र के अंदर आने वाले सभी 6 पार्षद शिवसेना के हैं. यही वजह है कि ठाकरे परिवार की राजनीतिक संभालने वाले आदित्य ठाकरे ने वर्ली सीट से चुनावी पारी खेलने के लिए उतर रहे हैं.

2. लोकसभा चुनाव में शिवसेना को बड़ी लीड

वर्ली विधानसभा सीट मुंबई दक्षिण संसदीय सीट के तहत आती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कांग्रेस के दिग्गज नेता मिलिंग देवड़ा को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. इससे बड़ी बात यह थी कि इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली वर्ली विधानसभा क्षेत्र से अरविंद सावंत को 38 हजार मतों की लीड मिली थी. मोदी सरकार में अरविंद सावंत केंद्रीय मंत्री हैं. ऐसे में आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से चुनावी मैदान में उतरने से बड़ा फायदा हो सकता है.

3. मराठियों और एलीट क्लास वोटर किंगमेकर

वर्ली विधानसभा सीट पर मराठा समुदाय के वोटर किंगमेकर की भूमिका में है. इसके अलावा यह इलाका काफी हाई प्रोफाइल माना जाता है, इस इलाके में कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनी के दफ्तर भी हैं. आदित्य ठाकरे की छवि जिस तरह की रही है, ऐसे में वह एलीट क्लास के साथ मराठी लोगों के साथ खुद को बेहतर तरीके से कनेक्ट कर पाते हैं. ऐसे में शिवसेना एलीट क्लास के वोट को भी हासिल करने में सफल रह सकती है.

Advertisement

4. वर्ली पर शिवसेना का कब्जा

वर्ली विधानसभा सीट से मौजूदा समय में शिवसेना के सुनील शिंदे विधायक हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनील शिंदे को 60625 वोट मिले थे. उन्होंने NCP के नेता और पूर्व मंत्री सचिन अहीर को 23 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी. जबकि बीजेपी ने भी अपना प्रत्याशी उतारा था. इसके बावजूद शिवसेना इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की थी. इतना ही नहीं 2009 में शिवसेना को इस सीट पर हराने वाले एनसीपी से हराने वाले सचिन अहीर ने हाल ही में  शिवसेना का दामन थाम लिया है, जिसके चलते वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे की राह को आसान बना दिया है.

5. बांद्रा ईस्ट सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक

आदित्य ठाकरे का घर मुंबई के बांद्रा ईस्ट विधानसभा क्षेत्र में आता है. बांद्रा ईस्ट विधानसभा सीट में मुस्लिम समाज की बड़ी आबादी रहती है, जो मूलत: शिवसेना का वोटर नहीं माना जाता है. ऐसे में आदित्य ठाकरे के बांद्रा सीट से उतरने पर मुस्लिम मतदाता उनकी जीत की राह में रोड़ा बन सकते थे. शायद इसीलिए लिए आदित्य ठाकरे ने बांद्रा के बजाय वर्ली सीट से उतरने का मन बनाया है.

Advertisement
Advertisement