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महाराष्ट्र में वोटिंग जारी, पढ़ें किस रीजन में कौन सा मुद्दा है भारी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की 288 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी के बीच सीधा चुनावी मुकाबला नजर आ रहा है. महाराष्ट्र के 6 रीजन में अलग-अलग चुनावी मुद्दे हावी हैं.

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महाराष्ट्र में वोटिंग जारी (फोटो-PTI)
महाराष्ट्र में वोटिंग जारी (फोटो-PTI)

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  • महाराष्ट्र में 288 सीटों पर वोटिंग जारी
  • महाराष्ट्र के 6 रीजन में कई चुनावी मुद्दे हावी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की 288 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी के बीच सीधा चुनावी मुकाबला नजर आ रहा है. लेकिन कई सीटों पर क्षेत्रीय दल AIMIM और प्रकाश अंबेडकर की बहुजन आघाड़ी पार्टी कई सीटों पर राजनीतिक समीकरण बिगाड़ते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं, बीजेपी और शिवसेना के बागी नेता कई सीटों पर उतरकर एनडीए के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.

उत्तर महाराष्ट्र: 35 सीटें

उत्तर महाराष्ट्र में कुल 35 विधानसभा सीटें आती हैं. नासिक, जलगांव और भुसावल आदि जिले इसी इलाके में आते हैं. अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित कई सीटें इसी हिस्से में हैं. ये इलाका कभी कांग्रेस का मजूबत दुर्ग हुआ करता था, लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी और शिवसेना अपनी पकड़ मजबूत बनाने में सफल रही हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरीश महाजन नॉर्थ महाराष्ट्र में बीजेपी का चेहरा हैं.

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वहीं, एनसीपी के दिग्गज नेता और पार्टी के ओबीसी चेहरा छगन भुजबल मैदान में हैं. उत्तर महाराष्ट्र में कृषि संकट, प्याज की गिरती कीमतें, सूखे का संकट और वन अधिकार अधिनियम जैसे मुद्दे हावी हैं. 2014 के चुनाव में नॉर्थ महाराष्ट्र की 35 सीटों में से बीजेपी 14, शिवसेना 7, कांग्रेस 7, एनसीपी 5 और अन्य को 2 सीटें मिली थीं.

विदर्भ: 62 विधानसभा सीटें

महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन बीजेपी को इस इलाके में अपनी जड़ें जमाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है. विदर्भ के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह जिसके साथ जाता है, एकमुश्त जाता है. 2014 के विधानसभा चुनाव में विदर्भ इलाके की कुल 62 सीटों में से बीजेपी 44 सीटें जीतने में सफल रही थी. जबकि शिवसेना को 4, कांग्रेस को 10, एनसीपी को 1 और अन्य को 4 सीटें मिली थीं.

विदर्भ में किसानों की आत्महत्या और सिंचाई परियोजनाएं एक बड़ा मुद्दा है. यह इलाका महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याओं के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यहां दलित समुदाय की बड़ी आबादी है और जीत-हार में अहम भूमिका मानी जाती है. सीएम फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से चुनावी मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस का इस इलाके में चेहरा माने जाने वाले नाना पटोले विदर्भ की सकोली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

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मराठवाड़ा: 46 विधानसभा सीटें

महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाके में सबसे बड़ा मुद्दा पीने के पानी की कमी, कृषि संकट और बेरोजगारी है. जबकि यह पूरा इलाका कृषि पर आधारित है. मराठवाड़े इलाके में कुल 46 विधानसभा सीटें आती हैं. 2014 के चुनाव में मराठावाड़ा इलाके की 46 सीटों में से बीजेपी 15, शिवसेना 11, कांग्रेस 9, एनसीपी 8 और अन्य को 3 सीटें मिली हैं. इस तरह बीजेपी और शिवसेना ने पिछले चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया था.

मराठवाड़ा कभी शंकरराव चह्वाण, उनके पुत्र अशोक चह्वाण, विलासराव देशमुख, शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर, शिवराज पाटिल और गोपीनाथ मुंडे जैसे दिग्गजों का इलाका माना जाता था. जलसंकट यहां की सबसे बड़ी समस्या है. 2016 में पीने का पानी के लिए यहां ट्रेन से पानी भिजवाना पड़ा था.

पश्चिमी महाराष्ट्र: 71 सीट

पश्चिम महाराष्ट्र को चीनी बेल्ट के तौर पर पहचाना जाता है. एनसीपी का यह इलाका मजबूत गढ़ है. चीनी मिलों को सहकारी समितियों के जरिए चलाने वाले स्थानीय नेताओं के माध्यम से यहां की राजनीति चलती रही है. 2019 के चुनाव में एनसीपी सभी चार संसदीय सीटें जीती हैं, वे इसी इलाके की हैं. 2014 के चुनाव में पश्चिम महाराष्ट्र की 71 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 24, शिवसेना 13, कांग्रेस 10, एनसीपी 19 और अन्य 4 सीटें जीतने में सफल रही थी.

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बीजेपी ने इस इलाके से एनसीपी के राजनीतिक सफाए के लिए उनके नेताओं को अपने साथ मिलाया. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस और एनसीपी से आए मराठा नेताओं को उतारा है. हालांकि कांग्रेस के पूर्व सीएम सुशील कुमार शिंदे, पृथ्वीराज चव्हाण और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट इसी इलाके से आते हैं. पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली, सतारा और पुणे में बाढ़ पीड़ितों को समय पर राहत की कमी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इसके अलावा आर्थिक मंदी और उद्योगों को बंद होना बीजेपी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है.

कोंकण: 39 सीटें

महाराष्ट्र का कोंकण इलाके में 39 विधानसभा सीटें आती हैं. इस इलाके में रायगढ़ और रत्नागिरी जैसे बड़े शहर आते हैं. रायगढ़ और रत्नागिरी में एनसीपी कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है. नानर रिफाइनरी रत्नागिरि में एक चुनावी मुद्दा बना हुआ है. विपक्ष के विरोध करने के चलते बीजेपी और शिवसेना इस मुद्दे पर बैकफुट पर खड़ी नजर आ रही है. इसी के चलते शिवसेना भी इस रिफाइनरी के विरोध में खड़ी हो गई है. बीजेपी का यहां चेहरा नारायण राणे बने हुए हैं, बीजेपी ने उनके बेटे नितेश राण को कोंकण क्षेत्र से उतारा है. 2014 के चुनाव में कोंकण रीजन के तहत आने वाली 39 सीटों में से बीजेपी 10, शिवसेना 15, कांग्रेस 1, एनसीपी 8 और अन्य को 6 सीटें मिली थी.

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मुंबई: 36 विधानसभा सीटें

मुंबई रीजन में कुल 36 विधानसभा सीटें आती हैं. मुंबई में कांग्रेस और एनसीपी खराब बुनियादी ढांचे के आरोपों के साथ बीजेपी और शिवसेना को हराने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी हैं. मुंबई में पीएमसी बैंक घोटाला, इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड, आरे कॉलोनी लड़ाई और आर्थिक मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. आदित्य ठाकरे इस बार वर्ली से चुनावी मैदान में उतरे हैं.

मुंबई में शिवसेना बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसी तरह कांग्रेस एनसीपी से ज्यादा सीटों पर मैदान में है. 2014 के चुनाव में मुंबई क्षेत्र की 36 सीटों में से बीजेपी 15, शिवसेना 14, कांग्रेस 5 और अन्य को 2 सीटें मिली थीं. जबकि एनसीपी अपना खाता नहीं खोल सकी थी.

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