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मिजोरम में कांग्रेस ने समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन के दिए संकेत

मिजोरम विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले ही कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री लल थनहावला ने समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन के सकेंत दिए है. उन्होंने  बीजपी और एमएनएफ के अलावा बाकी दलों से समर्थन करने की बात कही है.

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मुख्यमंत्री लल थनहावला (फोटो-aajtak.in)
मुख्यमंत्री लल थनहावला (फोटो-aajtak.in)

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मिजोरम विधानसभा चुनाव की सभी 40 सीटों के लिए बुधवार को यानी 28 नवंबर को मतदान होंगे.  चुनाव से तीन दिन पहले कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री लल थनहावला ने रविवार को कहा कि यदि चुनावों के बाद सत्ताधारी कांग्रेस को बहुमत नहीं मिल पाता है तो ऐसी हालत में वह बीजपी और एमएनएफ को छोड़कर समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर खुला रुख अपनाएगी.

हालांकि कांग्रेस ने दावा किया कि ऐसी स्थिति पैदा नहीं होगी क्योंकि कांग्रेस को अपने दम पर पूर्ण बहुमत मिल जाएगा. मिजोरम में सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों की जरूरत होती है.

लल थनहावला ने कह कि यदि समान विचारधारा वाली पार्टियां मेरे पास आती हैं और मेरे नेतृत्व का समर्थन करना चाहती हैं तो उनका स्वागत किया जा सकता है. मुख्यमंत्री से पूछा गया था कि चुनावों के बाद साधारण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में क्या कांग्रेस गठबंधन करेगी.

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यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस किसके साथ गठबंधन में सहज महसूस करेगी, इस पर उन्होंने कहा, 'यह मैं अभी नहीं जानता, लेकिन बीजेपी और एमएनएफ से बिल्कुल गठबंधन नहीं करेंगे. बाकी समय आने दीजिए.

मिजोरम में विधानसभा की 40 सीटों के लिए बुधवार को होने चुनाव में बीजेपी की राह आसान नहीं है. यहां मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के तौर पर सहयोगी होने के बावजूद पार्टी अबकी बार अकेले ही चुनाव लड़ रही है.

फिलहाल राज्य में ललथनहवला के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस 2008 से यहां की सत्ता पर काबिज है. कांग्रेस लगातार तीसरी जीत पर नजर बनाए हुए है. मौजूदाी विधानसभा में कांग्रेस के 34 विधायक हैं जबकि एमएनएफ के पांच और मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का एक विधायक है.

कांग्रेस ने 2013 में अपनी सीटों में इजाफा किया था. जबकि 2008 में उसके पास 32 सीटें थीं. लगातार दो बार सत्ता में बने रहने के बाद आंतरिक कलह और सत्ता विरोधी लहर की वजह से कांग्रेस के लिए मिजोरम में मुश्किलें खड़ी होती दिख रही है. कांग्रेस के कई नेता पार्टी का साथ छोड़कर दूसरे दलों का दामन थाम चुके हैं.

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