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मिजोरम में 20 साल पुराना इतिहास दोहरा पाएंगे जोरामथंगा? त्रिकोणीय लड़ाई में फंसा MNF-BJP गठबंधन

मिजोरम के चुनाव में सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट और बीजेपी का गठबंधन त्रिकोणीय लड़ाई में फंस गया है. सत्ताधारी गठबंधन को इसबार जोराम पीपुल्स मूवमेंट और कांग्रेस की मजबूत चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. क्या जोरामथंगा 20 साल पुराना इतिहास दोहरा पाएंगे? 

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मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा (फाइल फोटोः पीटीआई)
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा (फाइल फोटोः पीटीआई)

मिजोरम में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सूबे की जनता अगले पांच साल के लिए अपनी सरकार चुनने को 7 नवंबर के दिन मतदान करेगी. पांच राज्यों के चुनाव का आगाज ही मिजोरम में मतदान के साथ होगा. वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी. मिजोरम में चुनाव कार्यक्रम के ऐलान के साथ ही सियासी हलचल तेज हो गई है. सूबे की सत्ता पर काबिज मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) एक्टिव मोड में आ गई है तो वहीं विपक्षी कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है.

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एमएनएफ अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. सीएम जोरामथंगा खुद आइजोल पूर्व-1 और डिप्टी सीएम टावनलुइया तुइचांग सीट से चुनाव मैदान में हैं. एमएनएफ ने एक-एक सीट को लेकर तैयारी का प्लान बनाया है, विपक्षी व्यूह भेदने की रणनीति को पार्टी अंतिम रूप देने में जुट गई है. जोरामथंगा 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव जीतकर 10 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनकी कोशिश 2023 में भी वही इतिहास दोहराने की है.

दूसरी तरफ, कांग्रेस भी पांच साल बाद सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है. पूर्व सीएम लालथनहलवा एक्टिव हैं और सूबे में अलग-अलग विधानसभा सीटों के दौरे कर रहे हैं, नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं. लालदुहान भी चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं. लालदुहान की पार्टी जोराम पीपुल्स मूवमेंट भी जमीन पर अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है.

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2018 के चुनाव में क्या थे नतीजे

साल 2018 के चुनाव में तब की सत्ताधारी कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली थी. पार्टी महज पांच सीटें ही जीत सकी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालथनहलवा अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे. जोरामथंगा के नेतृत्व वाली मिजो नेशनल फ्रंट को 40 सदस्यों वाली मिजोरम विधानसभा की 26 सीटों पर जीत मिली थी. जोराम पीपुल्स मूवमेंट आठ सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.  पांच सीटों से निर्दलीय जीते थे.

क्या है सूबे का समीकरण

मिजोरम विधानसभा की 40 में से 39 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. प्रदेश की केवल एक सीट सामान्य है. एससी के लिए सूबे में कोई भी सीट आरक्षित नहीं है. करीब 9 लाख मतदाताओं वाले पूर्वोत्तर के इस राज्य में बीजेपी भी जोरामथंगा के नेतृत्व वाली सरकार के समर्थन में है. हालांकि, संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर एमएनएफ विपक्ष के साथ खड़ी नजर आई थी.

सीएम जोरामथंगा ने कहा था कि हम एनडीए के साथ हैं लेकिन केंद्र की हर नीति का समर्थन नहीं करते. उन्होंने ये भी कहा था कि हम एनडीए से नहीं डरते. मिजोरम में सीएए लागू हुआ तो गठबंधन तोड़ लेंगे. इसके बाद बीजेपी की मिजोरम इकाई ने पलटवार करते हुए जोरामथंगा को गठबंधन तोड़ लेने की चुनौती दे डाली थी. चुनाव में एमएनएफ और बीजेपी के गठबंधन को लेकर भी संशय है.

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