ओडिशा की सत्ता पर पिछले 19 साल से काबिज बीजू जनता दल (बीजेडी) के अध्यक्ष नवीन पटनायक लगातार पांचवी बार सत्ता में आने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं, बीजपी राज्य की सत्ता में विराजमान होने के लिए बेताब है तो कांग्रेस अपनी वापसी के लिए हाथ-पांव मार रही है. इसके चलते ओडिशा विधानसभा चुनाव की राजनीतिक लड़ाई काफी दिलचस्प बन गई है.
नवीन पटनायक साल 2000 में पहली बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद के सभी चुनाव उनकी पार्टी लगातार जीतते आ रही है. हालांकि पहली बार नवीन पटनायक को अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. कांग्रेस और बीजेपी सत्ताविरोधी लहर का फायदा उठाने की कोशिश में जुटी है. इसके चलते बीजेपी से नरेंद्र मोदी और कांग्रेस से राहुल गांधी दोनों लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं.
ओडिशा में कुल 147 विधानसभा सीटें है. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेडी को 117, कांग्रेस 16, बीजेपी 10 और निर्दलीय दो सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. इसके अलावा अलावा समता क्रांति दल और सीपीएम को भी एक-एक सीट मिली थी.
वोट फीसदी को देखें तो नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी को 43.4 फीसदी वोट हासिल हुए थे और 25.7 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. जबकि बीजेपी को 18 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे. राज्य में अलग - अलग सीटों पर चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवार 5 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हुए थे. नोटा पर कुल 1.3 फीसदी वोट पड़ा था, जबकि एसकेपी और सीपीएम दोनों पार्टियों को इस चुनाव में 0.4 फीसदी वोट मिले थे.
ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो रहे हैं. राज्य में चार चरण में मतदान होंगे. इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेडी, कांग्रेस और बीजेपी तीनों पार्टियां पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में है. हालांकि कांग्रेस और मनोबल और पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा हुआ है. दोनों पार्टियां ये मानकर चल रही है कि नवीन पटनायक के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी का उन्हें लाभ होगा. वहीं, बीजेडी नवीन पटनायक के एकछत्र राज्य के चलते सत्ता में एक बार फिर वापसी की उम्मीद लगाए हुए है.