नवीन पटनायक एक बार फिर मुख्यमंत्री के तौर पर उड़ीसा की बागडोर संभाल सकते हैं. इंडिया टुडे-एक्सि माई इंडिया एग्जिट पोल ने ओडिशा की सत्ता में पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) की आसान वापसी का अनुमान जताया है.
BJD को साधारण बहुमत
पोल के मुताबिक बीजेडी को 147 सदस्यीय विधानसभा में 89-105 सीटें मिलने की संभावना है. यानी की पार्टी को साधारण बहुमत मिलने जा रहा है. एग्जिट पोल के नतीजे बताते हैं कि साल 2000 से उड़ीसा के मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे पटनायक में अब भी ओडिशा के लोगों का भरोसा बना हुआ है.
BJP का शानदार प्रदर्शन
पोल के मुताबिक ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी भी शानदार प्रदर्शन करने जा रही है. बीजेपी को 29 से 43 सीट मिलने का अनुमान है. इसके मायने है कि अब तक ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी रही कांग्रेस के तीसरे स्थान पर खिसक जाने की संभावना है. बता दें कि 2014 ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. इंडिया टुडे-एक्सिस-माई-इंडिया पोल के मुताबिक कांग्रेस को 8 से 12 सीट पर जीत मिल सकती है. 2014 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 16 सीट पर जीत हासिल हुई थी. पोल के मुताबिक इस बार विधानसभा चुनाव में अन्य दलों को 0 से 3 सीट मिलने का अनुमान है.
दलबदल का BJP को लाभ
राज्य में अभी तक सत्तारूढ़ बीजू जनता दल की सीटों का आकंड़ा पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले थोड़ा नीचे रह सकता है. बता दें कि हालिया महीनों में बीजू जनता दल के कई हाई प्रोफाइल नेताओं ने दलबदल कर बीजेपी का दामन थामा है. पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि इस दलबदल का लाभ बीजेपी को मिला है.
BJP के वोट शेयर में उछाल
बीजेडी का वोट शेयर इस बार कमोवेश पिछले विधानसभा चुनाव जैसा ही रहने वाला है. बीजेडी को पोल के मुताबिक इस बार 44% वोट शेयर मिल सकता है. 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेडी को 43.4% वोट प्रतिशत मिला था. वोट शेयर के मामले में एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी लंबी छलांग मारने जा रही है. बीजेपी का वोट शेयर पिछले चुनाव में 18% था. ये आकंड़ा इस बार बढ़ कर 35% तक पहुंचने का अनुमान है. पोल के आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस का वोट शेयर 2014 के 25.7% के मुकाबले इस बार घट कर 16% पर आ सकता है.
जनहित योजनाओं से BJD को मिला फायदा
बीजेडी के प्रवक्ता ससमित पात्रा कहते हैं, “जहां तक जनादेश का सवाल है, नवीन पटनायक का नेतृत्व और बीजेडी सरकार ने जिस तरह काम किया है, उससे ओडिशा के वोटर काफी हद तक संतुष्ट हैं. यही वजह है हम भारी बहुमत से सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं.”
नवीन पटनायक के लंबे समय तक विश्वासपात्र रहे और अब बीजेपी का दामन थाम चुके नेता जय पांडा एग्जिट पोल पर अपनी प्रतिक्रिया में कहते हैं, “मैं कोई आंकड़ों का अनुमान नहीं लगाना चाहता. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि नतीजे काफ़ी अच्छे रहेंगे. ओडिशा में लोगों में बदलाव की भावना काफी प्रबल है.”
वहीं कांग्रेस नेता सत्य प्रकाश नायक एग्जिट पोल के नतीजों को निराशाजनक बताते हैं. नायक कहते हैं, “एग्जिट पोल के अनुमानों को लेकर ना तो जश्न मनाने की जरूरत है और ना ही निराश होने की. अधिकतर मामलों में ऐसे पोल नाकाम साबित हुए है. क्या किसी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान जताया था. इसलिए 23 मई तक इंतज़ार कीजिए.”
अगर जातिवार एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखें तो नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं में अच्छा प्रदर्शन किया है. वहीं बीजेपी को सामान्य वर्ग के मतदाताओं से खासा समर्थन मिला है. चार कार्यकाल से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जमीनी स्तर पर जिन जनहित योजनाओं को लागू किया, इसका लाभ उन्हें मिल रहा है. इसी के दम पर वे एंटी इंक्मबेंसी फैक्टर से भी पार पा रहे लगते हैं. ओडिशा विधानसभा चुनाव से पहले नवीन पटनायक ने महत्वाकांक्षी कालिया (निश्चित आय और गुजारे के लिए कृषक सहायक) योजना की शुरुआत की थी. 10,180 करोड़ रुपये की इस योजना का राज्य में 67 लाख किसानों को लाभ मिला.
ओडिशा एग्जिट पोल के नतीजे
मोदी की लोकप्रियता नवीन के लिए चुनौती
नवीन पटनायक की पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापसी करने तो जा रही है लेकिन उसके लिए बीजेपी का राज्य में उभार बड़े फिक्र की बात है. कांग्रेस का राज्य में खिसकता आधार बीजेपी का फायदा बनता जा रहा है. हालांकि नवीन पटनायक अब भी राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता है, लेकिन अब उन्हें अपनी पार्टी में ही असंतोष की सुगबुगाहट का सामना गाहे-बगाहे करना पड़ता है. इसे हवा देने में बीजेपी का हाथ होने के ही कयास लगाए जाते हैं.
ओडिशा का अनुभव बताता है कि नवीन पटनायक की मजबूत मुख्यमंत्री की छवि का मुकाबला नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर मज़बूत छवि हुआ. इसने सीधे मुकाबले की स्थिति बनाई.
त्रिपुरा की तरह यहां भी बीजेपी का मानना रहा है कि 19 साल से सत्ता में होने की वजह से नवीन पटनायक के खिलाफ एंटी इंक्मबेंसी फैक्टर को हवा देकर अपने पक्ष में भुनाया जा सकता है. खास तौर पर ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी ने बीते 5 साल में संगठन को मजबूत करने के लिए खासी मेहनत की. यही वजह है कि 2017 में राज्य में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी ने कुल 896 जिला परिषद में से 297 पर जीत हासिल की. जबकि 2012 में बीजेपी को सिर्फ 36 जिला परिषदों पर ही जीत हासिल हुई थी.
जैसा कि एग्जिट पोल के आंकड़े बताते हैं कि इस बार तो नवीन पटनायक बीजेपी की चुनौती को पार पाने में सफल होते नजर आ रहे हैं. लेकिन युवा वर्ग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता और एंटी इंक्मबेंसी फैक्टर की वजह से भविष्य में ओडिशा भी अगर त्रिपुरा जैसी राह पकड़ता नज़र आए तो कोई बड़ी बात नहीं.