ओडिशा विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए लगातार पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने जा रहे हैं. नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) दो-तिहाई बहुमत के साथ लगातार पांचवीं बार चुनाव जीत गई. बीजेडी ने ओडिशा की 146 विधानसभा सीटों में से 112 सीटों पर जीत हासिल की.
ओडिशा में 147 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन एक उम्मीदवार की मृत्यु होने और बाद में चक्रवात फोनी के कारण केंद्रापाड़ा जिले की पतकुरा विधानसभा सीट पर चुनाव टाल दिया गया था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई. बीजेपी ने 23 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की.
हालांकि, अन्य राज्यों की तरह बीजेपी इस बार ओडिशा में भी मजबूत स्थिति में हैं. मौजूदा विधानसभा में बीजेपी के महज 10 विधायक थे और अब उसके 23 विधायक हो गए. कांग्रेस को 9 सीटें मिली. कांग्रेस राज्य में 2000 से ही राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी है. अभी पार्टी के 16 विधायक हैं.
ओडिशा में लोकसभा चुनाव के पहले चार चरणों के साथ ही विधानसभा चुनाव की 147 सीटों पर चुनाव कराया गया था.
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साल 2000 से ओडिशा के मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे नवीन पटनायक पर लोगों का भरोसा अब भी बरकरार है. इससे पहले इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल ने ओडिशा की सत्ता में पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) की आसान वापसी का अनुमान जताया है. पोल के मुताबिक ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 29 से 43 सीट मिलने का अनुमान है. इसके मायने है कि अब तक ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी रही कांग्रेस के तीसरे स्थान पर खिसक जाने की संभावना है.
साल 2014 के विधानसभा चुनाव नतीजों की बात करें तो बीजेडी को 117, कांग्रेस को 16 और भारतीय जनता पार्टी 10 सीट पर जीत हासिल हुई थी. 5 साल पहले के चुनाव में अगर वोट प्रतिशत के आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेडी को 43.4 प्रतिशत वोट प्रतिशत मिला था. जबकि, बीजेपी का वोट शेयर पिछले चुनाव में 18 फीसदी था और कांग्रेस का वोट शेयर 2014 में 25.7 प्रतिशत रहा था.
नवीन पटनायक की लोकप्रियता बरकरार
कांग्रेस का राज्य में खिसकता आधार बीजेपी का फायदा बनता जा रहा है. हालांकि नवीन पटनायक अब भी राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता है, लेकिन अब उन्हें अपनी पार्टी में ही असंतोष की सुगबुगाहट का सामना गाहे-बगाहे करना पड़ता है. इसे हवा देने में बीजेपी का हाथ होने के ही कयास लगाए जाते हैं. ओडिशा का अनुभव बताता है कि नवीन पटनायक की मजबूत मुख्यमंत्री की छवि का मुकाबला नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर मजबूत छवि हुआ. इसने सीधे मुकाबले की स्थिति बनाई.