बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एजेंडा आजतक
2014 के सेशन 'क्या खोया क्या पाया' में शिरकत की.
नीतीश कुमार ने इस मौके पर कहा कि राजनीति में
पाने की इच्छा नहीं होनी चाहिए. छात्र जीवन से ही मैं
सामाजिक विचारधारा से जुड़ा, जिसमें विचारधारा ही
सबकुछ है. जेपी मूवमेंट में जब भाग लिया तब तो सोचा
भी नहीं था कि कभी चुनाव लड़ेंगे.
नीतीश ने कहा कि आज की पावर पॉलिटिक्स की
खासियत है कथनी और करनी में फर्क. कुछ भी कह दो
ताकि वोट मिल जाए. हमारा कभी ऐसा सोचना नहीं रहा,
ऐसे में कुछ खोने का कोई गम ही नहीं.
नीतीश कुमार ने कहा कि मोदी से मेरी कोई व्यक्तिगत
दुश्मनी नहीं है. आडवाणी और अटल जी के नेतृत्व में
हमारे संवैधानिक मूल्यों की हमेशा रक्षा हुई. लेकिन अब
जो बात है वह समाज को बांटने की बात है. ऊपर से
भले ही बात हो सबका साथ सबका विकास. अब सिर्फ
एक नेता नहीं, पूरी पार्टी कट़टरपंथ की ओर जा रही है.
मेरे लिए इस पर फैसला लेना मुश्किल नहीं था. हम
कोई सरकारी नौकरी करने नहीं आए. सिर्फ सत्ता में बने
रहने के लिए साथ बना रहे, ये गलत लगा.