दिल्ली के कई इलाकों में पानी के टैंकर्स के पीछे होने वाली लोगों की धक्का परेड...पाइप से होने वाले पानी की सप्लाई का दिन में निश्चित वक्त...बहुत सुबह जाग कर पानी को टंकियों में पहुंचाने की जहमत...ये सब इसलिए क्योंकि पानी की हर बूंद मायने रखती है.
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लेकिन क्या घर की टोंटियों या टैंकर्स से आने वाला पानी पीने के लिए सुरक्षित है? दिल्ली और आसपास के शहरों जैसे कि नोएडा और गुरुग्राम के बाशिंदे ये नहीं जानते कि उनका पीने का पानी कितना सुरक्षित और कितना साफ़ है?
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आबादी के मामले में दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. ऐसे में इस महानगर के लिए पीने के सुरक्षित पानी का सवाल और बड़ा हो जाता है. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार जहां पानी को बिल्कुल सुरक्षित बताती है वहीं केंद्र सरकार ऐसा नहीं मानती.
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पानी की क्वालिटी को लेकर इस सियासी तकरार से हट कर इंडिया टुडे ने पानी का सच लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. देश के किसी भी मीडिया हाउस की ओर से ये अपनी तरह का पहला मिशन था. दिल्ली और आसपास के दो शहरों में सप्लाई के जरिए आने वाले पानी को परखने के इस मिशन में स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक टीम की मदद ली. ज़मीनी स्थिति जानने के लिए इंडिया टुडे के रिपोर्टर्स के साथ विशेषज्ञों की टीम दिल्ली के सातों लोकसभा क्षेत्रों में पहुंची. इसके अलावा गुरुग्राम और नोएडा में भी पानी की क्वालिटी परखी गई.
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9 दिसंबर से शुरू हुए इस मिशन के लिए हर क्षेत्र में लोगों के द्वार-द्वार खटका कर पानी के सैम्पल इकट्ठा किए गए. इसके बाद इन सैम्पलों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से निर्धारित मानकों का पालन करने वाली विश्व स्तरीय लैब में भेजा गया.
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वैज्ञानिकों ने सैम्पल वाले पानी में मौजूद हर तरह के दूषण (भौतिक, सूक्ष्म जैविक और रासायनिक) का विश्लेषण किया. इन नमूनों को रंग, गंध, जहरीले तत्व, बैक्टीरिया और अन्य अशुद्धियों के लिए जांचा गया.
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इंडिया टुडे के साथ मौजूद रहे अहम स्वतंत्र विशेषज्ञों में से एक डॉ. डी के चटर्जी ने सतर्क किया कि दिल्ली के घरों में पाए जाने वाले RO पर पीने के पानी के लिए पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुआ जा सकता.
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डॉ. चटर्जी ने कहा, ‘अगर पीने के पानी में कुल घुले सॉलिड्स (TDS) की बात की जाए तो अगर ये 250 से कम हैं और 500 से ज्यादा है तो ये पीने के लिए सुरक्षित नहीं है. दिल्ली में अधिकतर लोग RO प्यूरीफॉयर्स का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन वो ये नहीं जानते कि ये प्यूरीफॉयर्स TDS 50 से भी कम कर देते हैं जिससे पानी साफ तो बहुत लगता है लेकिन ये पीने के लिए असुरक्षित होता है.’
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जहां तक दिल्ली का सवाल है तो बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड हर व्यक्ति के लिए हर दिन 50 गैलन पानी प्रति व्यक्ति के हिसाब से आपूर्ति करने का दावा करता है. इस काम के लिए ट्रीटमेंट प्लान्ट्स के फैले संजाल, पम्पिंग स्टेशनों और 9,000 किलोमीटर के डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का सहारा लिया जाता है.
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दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि वो राजधानी में शुद्ध और पूरी तरह फिल्टर्ड पानी की आपूर्ति करता है. लेकिन इसके बावजूद दिल्ली के नागरिकों से पानी की खराब क्वालिटी की शिकायतें मिलती रहती हैं. इंडिया टुडे की टेस्ट मुहिम ने पानी की क्वालिटी को लेकर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ कर दिया.
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बता दें कि 16 नवंबर 2019 को दिल्ली के पानी की क्वालिटी को लेकर उस वक्त सियासी जुबानी जंग छिड़ गई थी जब केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) की एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में पाया गया था कि भारत के 21 शहरों में से दिल्ली का पानी पीने के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित है.
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पासवान की इस कवायद के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार में BIS की रिपोर्ट को खारिज कर दिया. साथ ही केंद्र पर ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ करने का आरोप लगाया.
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सुरक्षित पानी की तलाश में हमारी टीमें सबसे पहले ईस्ट दिल्ली क्षेत्र में गईं. मयूर विहार के वसंत अपार्टमेंट में रहने वाले परिवार ने पानी की क्वालिटी को लेकर गंभीर समस्या बताई.
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इस परिवार के सदस्य हृदय ने कहा, ‘पानी की भारी किल्लत है. ताजा पानी सिर्फ सुबह आता है. ज्यादातर समय ये नहीं आता. ये गंदा, छिछला होता है जिसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.’
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आधुनिक टेस्टिंग किट्स से लैस स्वतंत्र वैज्ञानिकों ने इंडिया टुडे के पत्रकारों के साथ हृदय के घर से पानी के सैम्पल लिए. इसके लिए पहले इंटरनेशनल प्रोटोकॉल्स के मुताबिक टोंटी को स्टर्लाइज्ड किया गया.
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दक्षिण दिल्ली के कालकाजी में भी घरों में जाकर सैम्पल इकट्ठे किए गए. नई दिल्ली के वसंत विहार, नॉर्थ ईस्ट के चांदनी चौक, वेस्ट दिल्ली के साथ नोएडा और गुरुग्राम में भी यही कवायद की गई.
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इंडिया टुडे के तीन दिन के मिशन से ये खुलासा हुआ कि पानी की क्वालिटी हर जगह एक जैसी नहीं है. कुछ क्षेत्रों में ये क्वालिटी अच्छी और कुछ में खराब मिली. पानी की क्वालिटी के इस पैमाने पर नौ क्षेत्रों में पांच सफल हुए और चार नाकाम रहे.
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क्वालिटी टेस्ट में कौन से इलाके पास और कौन से फेल?
ईस्ट दिल्ली, वेस्ट दिल्ली, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली और गुरुग्राम में आपूर्ति वाला पानी बैक्टीरिया दूषण की वजह पीने के लिए असुरक्षित पाया गया.
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मयूर विहार, द्वारका, बुराड़ी और गुरुग्राम की टेस्ट रिपोर्ट से सामने आया- बैक्टीरियोलॉजिकल टेस्ट के संदर्भ में पानी की IS: 10500-2012 से पुष्टि नहीं हुई, इसलिए यहां का पानी पीने के लिए सुरक्षित नहीं है.
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हालांकि नई दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, चांदनी चौक, नॉर्थ वेस्ट और नोएडा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए चिंता की बात नहीं है क्योंकि यहां आपूर्ति वाला पानी पीने के लिए सुरक्षित पाया गया. यहां की टेस्ट रिपोर्ट में मात्राएं सुरक्षित सीमा में मिलीं.