बिहार के गोपालगंज मे आजादी के एक साल बाद 1948 में एक निहायत ही गरीब परिवार में जन्मे लालू ने राजनीति की शुरुआत जयप्रकाश आन्दोलन से की.
लालू यादव 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. 1997 में जब उन्हें चारा घोटाले और आय से अधिक संपत्ति से जुड़े सीबीआई मामलों के कारण जेल जाना पड़ा तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया.
लालू यादव 1977 में 29 साल की उम्र में लोकसभा के सदस्य बने. 1997 में उन्होंने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया.
लालू प्रसाद जमीन से जुड़े उन कुछ गिने चुने नेताओं में से हैं जिन्होंने अपनी किस्मत को खुद से बनाया है.
लालू यादव पहले बिहार के छपरा से चुनाव लड़ते थे लेकिन चुनाव क्षेत्रों के नए परिसीमन के बाद छपरा चुनाव क्षेत्र समाप्त हो गया. इसलिए उन्होंने सारन से चुनाव लड़ा.
अपनी चटपटी बातों से लोगों को लुभाने वाले लालू यादव तमाम घोटालों के बीच फंसे होने के बावजूद काफी लोकप्रिय हैं.
1997 मे जब सीबीआई ने उनके खिलाफ चारा घोटाले मे आरोप पत्र दाखिल किया तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा, लेकिन अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बने रहे.
लालू प्रसाद का एक खास शौक है, बड़े-बड़े आन्दोलनकारियों की जीवनियां पढना और राजनीतिक चर्चा करना.
अपनी बात कहने का लालू का खास अन्दाज है, यही अन्दाज लालू को बाकी राजनेताओ से अलग करता है.
2004 में लोकसभा चुनाव मे एनडीए की करारी हार के बाद के बाद लालू यूपीए के शासन काल में गृह मन्त्री बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस के दबाव के बाद रेलमन्त्री बनने को राजी हुए. हालाकि लालू ने रेलवे को मुनाफे में लाकर सबको चकित कर दिया.
लालू प्रसाद यादव ने रेलमंत्री के रूप में रेल सेवा का भारत में कायापलट कर डाला. रेलवे की व्यवसायिक सफलता की कहानी को समझने के लिए हार्वर्ड जैसे कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों ने रेल मंत्रालय के मुख्यालय का दौरा किया.
भारतीय प्रबंध संस्थान, बंगलौर और भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रशिक्षण देने वाली लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी, मसूरी ने लालू यादव को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया.
रेल मंत्रालय संभालने के बाद रेल मंत्रालय अचानक अरबों रुपए के मुनाफे में आ गया. लालू यादव के इस कुशल प्रबंधन की चर्चा भारत ही नहीं पूरे विश्व में होती है.
बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे मे कुल्हड़ की शुरुआत, लालू हमेशा से ही सुर्खियों मे रहे.
लालू के आलोचक चाहे कुछ भी कहें लेकिन लालू एक जमीन से जुड़े और हाजिर जवाब राजनेता है, जिनका एक अच्छा खासा जनाधार है.
भारतीय रेल की सफलता की कहानी को जानने के लिए देश विदेश से छात्रों का आना जारी रहा.
मैनेजमेंट के छात्रों के साथ लालू प्रसाद यादव.
बिहार के गोपालगंज मे आजादी के एक साल बाद 1948 मे एक गरीब परिवार मे जन्मे लालू ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश आन्दोलन से की, तब वे एक छात्र नेता थे.
सोमनाथ चटर्जी, इंद्र कुमार गुजराल के साथ लालू प्रसाद यादव.
लालू की प्रसिद्दि का यह आलम है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में भारत की राजनीति में सिर्फ लालू की ही बात करना पसन्द करते है.
लालू के जनाधार में एम-वाई यानी मुस्लिम और यादवों के फैक्टर का बड़ा योगदान रहा है.
लालू को क्रिकेट में काफी दिलचस्पी है, वे बिहार क्रिकेट एसोसियेशन के अध्यक्ष भी है. और उनका सुपुत्र एक अच्छा क्रिकेटर भी है.
रेलवे मन्त्री रहते हुए लालू प्रसाद को काफी विवादों से समाना करना पड़ा. रेलवे में कुल्हड़ चलाने का फैसला उन्हीं का था.
लालू का अन्दाज ही कुछ निराला है. आज भी लालू की खबर और उनसे जुड़ी तमाम बातों को जानने के लिए लोगों में उत्सुकता रहती है.
लालू का एक ही सपना है, भारत का प्रधानमंत्री बनना, अब देंखे इनका यह सपना कब पूरा होता है.
पी चिदंबरम के साथ गुफ्तगू करते लालू प्रसाद.
राजनीति के धुरंधर लालू क्रिकेट के भी शौकीन हैं.
रेलमंत्री रहते हुए लालू प्रसाद अक्सर रेलवे का औचक निरीक्षण करने पहुंचे जाते थें.
पत्रकारों के प्रश्नों का बेबाकी से जबाव देते लालू प्रसाद यादव.
ऐसा कम ही देखा गया हो जब लालू यादव, लालकृष्ण आडवाणी और सीताराम येचुरी एक साथ खड़े हों.
बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू से जुड़ी काफी कहानियां लोगों के सामने आई. कई लोग उन्हें मसखरा कहने से नहीं चुकते.
पत्नी राबड़ी देवी के साथ लालू प्रसाद यादव प्रसन्न मुद्रा में.
बिहार में अपने मुख्यमंत्रीत्व में लालू प्रसाद यादव ने समाज के पिछड़े तबकों को आगे लाने के लिए काफी प्रयास किए.
लालू प्रसाद यादव अपनी भाषण शैली के कारण आमजनों में काफी लोकप्रिय हैं. उनकी जनसभा में भाषण सुनने के लिए लोगों की कमी नहीं रहती.
पार्टी के चुनाव चिन्ह लालटेन को सिर पर उठाए लालू प्रसाद यादव.
पत्रकारों से घिरे लालू यादव यादव, राबड़ी देवी एवं अन्य नेतागण.
बेटी की शादी के दौरान पीली धोती पहने लालू फोन पर बात करते हुए.
बेटी की शादी के दौरान व्यवस्था पर नजर रखे लालू प्रसाद यादव.
अपनी बेटी की शादी के दौरान लालू प्रसाद यादव की एक तस्वीर.
लालू की शासन बिहार में रही नहीं. पत्रकार जब बिहार के विकास की बात कहते हैं तो लालू नाराज हो उठते हैं. बिहार के विकास के बहाने उन्हें अंतत: नीतीश की तारीफ ही सुननी पड़ती है.
लालू की इस तरह की तस्वीर देखकर लोग अपनी हंसी रोक नहीं सकते.
इंडिया टुडे के ग्रुप एडीटर प्रभु चावला के साथ लालू प्रसाद यादव.
आजतक के स्टूडियो में कार्यक्रम की रिकॉडिंग के दौरान लालू प्रसाद यादव.
आजतक के साप्ताहिक कार्यक्रम 'सीधी बात' में प्रभु चावला के प्रश्नों के जबाव देते लालू प्रसाद.
लालू प्रसाद यादव अपने चश्मे को ठीक करते हुए.
एक सेमिनार के दौरान ऊंघते हुए लालू प्रसाद.
'डिजास्टर मैनेजमैंट इन द इंडियन रेलवे' किताब के विमोचन के दौरान लालू प्रसाद यादव.
लालू यादव की हाजिर जवाबी का कोई जवाब नहीं.
संसद भवन पर पत्रकारों को अपनी फोटो खिंचवाते समय प्रसन्न मुद्रा में लालू जी.
राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसन्नचित मुद्रा में फोटो खिंचवाते हुए.
किसी बात को लेकर नाराज लालू प्रसाद गुस्से की मुद्रा में.
संसद भवन में पत्रकारों से बचकर निकलते लालू यादव.
पत्रकारों से घिरे रहने वाले लालू प्रसाद यादव भी कई मौके पर पत्रकारों के सवालों को जवाब देना मुनासिब नहीं समझते.
ऐसा कम ही देखा गया है कि लालू प्रसाद यादव कभी सोच में डूबे होंगे. लेकिन लालू जी जो भी कहते या बोलते हैं लगता है सोच-समझ कर करते हैं.
आजतक के स्टूडियो में गंभीर मुद्रा में बैठे लालू प्रसाद यादव.
रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रेल के इंजन के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाते लालू प्रसाद.
दिन भर की व्यस्तता के बाद घर पर आराम फरमाते लालू जी.
संसद भवन के प्रांगण में खड़े राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव.
पत्रकार हर बात पर लालू की टिप्पणी चाहते हैं क्योंकि लालू हर बात का हंस कर जबाव देते हैं. हंस कर जबाव देने में तो लालू को महारथ हासिल है ही.
रेल मंत्री के दौरान संसंद में रेल बजट पेश करने से पहले पत्रकारों से रेलवे बजट की फाइल के साथ फोटो खिंचवाते हुए.
लालू प्रसाद यादव का गवई अंदाज हरकिसी को लुभाता है.
पत्रकारों से घिरे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव.
चुनाव जीतने के बाद लालू को प्रसंशकों ने माला पहनाई. चेहरे पर छाई शिकन बताती है कि फूलों की यह माला काफी भारी है.
पार्टी का चुनाव चिन्ह लिए लालू यादव और अपनी पत्नी राबड़ी देवी के साथ.
रेल भवन में पत्रकारों से प्रेस कॉफेंस के करते लालू प्रसाद और सुशील कुमार शिंदे.
रेल मंत्री के दौरान अपने मंत्रालय में विदेशी मेहमानों के साथ लालू प्रसाद यादव.