पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य हैं और पिछले 33 सालों से यहां वाम मोर्चे की सरकार है.
राज्य में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का सपना देख रहे भट्टाचार्य की परेशानियां बढ़ गई हैं.
ज्योतिबसु के निधन के बाद राज्य की सत्ता संभालने वाले बुद्धदेब भट्टाचार्य के लिए इस बार अपनी कुर्सी बचा पाना आसान नहीं लग रहा.
राज्य की सत्ता में लगातार 23 साल तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले ज्योति बसु भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जानेमाने राजनेता थे.
वे सन् 1977 से लेकर 2000 तक पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किया. वे सन् 1964 से 2008 तक सीपीएम पॉलित ब्यूरो के सदस्य रहे.
ज्योति बसु 8 जुलाई 1914 को कोलकाता के एक उच्च मध्यम वर्ग बंगाली परिवार में ज्योति किरण बसु के रूप में पैदा हुए. उनके पिता निशिकांत बसु, ढाका जिला, पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश में) के बार्दी गांव में एक डॉक्टर थे, जबकि उनकी मां हेमलता बसु एक गृहिणी थी.
21 जून, 1977 से 6 नवम्बर, 2000 तक बसु ने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.
बसु ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद से 2000 में स्वास्थ्यगत कारणों से इस्तीफा दे दिया.
1996 में ज्योति बसु भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए संयुक्त मोर्चा के नेताओं के सर्वसम्मति उम्मीदवार बनते दिखाई पड़ रहे थे, लेकिन सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो ने सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला किया, जिसे बाद में ज्योति बसु ने एक ऐतिहासिक भूल करार दिया.
1967 और 1969 में बसु के पश्चिम बंगाल के संयुक्त मोर्चे की सरकारों में उप मुख्यमंत्री बने.
1964 में जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन हो गया तो बसु नए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के पहले नौ सदस्यों में से एक बने.
ज्योति बसु का 17 जनवरी, 2010 को निधन हो गया.
ज्योति बसू के निधन से बंगाल में मानो वामदलों की रीढ़ ही टूट गई.
ज्योति बसू को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.
पश्चिम बंगाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय ज्योति बसू ने 1977 से लेकर नवंबर 2000 तक राज्य के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया.
1964 में जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन हो गया तो बसु नए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के पहले नौ सदस्यों में से एक बने. 1967 और 1969 में बसु के पश्चिम बंगाल के संयुक्त मोर्चे की सरकारों में उप मुख्यमंत्री बने.
बिमान बोस भी माकपा के एक लोकप्रिय नेता हैं और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं.
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी कुछ गिने चुने दिग्गज वाम नेताओं में से हैं जिन्हें राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनाने में कामयाबी मिली.
माकपा नेता सुभाष चक्रवर्ती पश्चिम बंगाल सरकार में परिवहन तथा खेल एवं युवा मामलों के मंत्री हैं और पार्टी में कद्दावर नेता माने जाते हैं.
राज्य में वाममोर्चा सरकार के साथ ही मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी(माकपा) के काडरों की समानांतर सरकार चल रही है. राज्य के घटनाक्रम में कब और कैसा फेरबदल करना है इस पर सरकार की अनुमति लेना उन्हें जरूरी नहीं लगता
राज्य में राजनीति की जड़ें श्रम संगठनों से जुड़ी हैं जो अपने पूर्वाग्रहों के चलते नहीं चाहते कि औद्योगिकीकरण हो. इसलिए सिंगूर में टाटा मोटर्स की बहुप्रतीक्षित कार नौनो का कारखाना खटाई में पड़ गया.
नंदीग्राम की घटना इस बात का जव्लंत उदाहरण है. नंदीग्राम में लोगों पर बर्बर अत्याचार हुए हैं.
नंदीग्राम की घटना इस बात का जव्लंत उदाहरण है. नंदीग्राम में लोगों पर बर्बर अत्याचार हुए हैं. माकपा काडरों ने महिलाओं के साथ दुराचार किया और लोगों की बर्बरता से हत्या कर डाली.
वर्तमान में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य भी इस मामले से यह कहकर पल्ला झाड़ चुके हैं कि सरकार मानती है कि नंदीग्राम में बड़ी भूल हुई है. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और लेखिका महश्वेता देवी ने इस बात के सबूत भी मुहैया करा दिए लेकिन सरकार ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.