उत्तर प्रदेश में जिस तरह मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग से अपना सिक्का जमाया, उसी तरह बिहार में भी अब अलग-अलग दल इस तकनीक पर चलने की कोशिश कर रहे हैं.
कांग्रेस, राजद और जदयू-भाजपा गठबंधन इसी के रास्ते अलग-अलग वर्गों को लुभाने में लगे हैं. एक समय में बिहार में उच्च वर्ग की पार्टी मानी जाने वाली कांग्रेस ने अब पिछड़ों को लुभाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं.
दूसरी ओर लगभग 15 साल तक मुस्लिम-यादव संयोग से प्रदेश पर राज करने वाले लालू यादव अब अगड़ी जातियों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. राजद प्रमुख जोर दे रहे हैं कि वह ‘अगड़ी’ जातियों के विरोधी नहीं हैं. वहीं नीतीश कुमार भी ओबीसी और दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की फिराक में दिख रहे हैं.
लालू और पासवान दोनों ही राजद और लोजपा के वोट बैंक माने जाते हैं. लालू और पासवान एक साथ चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
बिहार में होने वाला विधानसभा चुनाव सभी पार्टियों के लिए नाक की लड़ाई साबित होने जा रहा है. कोई पार्टी कसर नहीं छोड़ना चाहती. पार्टियां कार्यकर्ताओं के साथ बच्चों को भी अपनी प्रचार सामग्री बांट रहे हैं.
बिहार चुनाव से पहले अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए चुनाव प्रचार करते कांग्रेस समर्थक.
दिवंगत दिग्विजय सिंह की भूमिका भी अहम हुआ करती थी.
यह वही इमारत है जिसपर पूरे देश में चुनाव कराने का सारा दारोमदार होगा. दिल्ली स्थित चुनाव आयोग का मुख्यालय.
घर के रसोई से कोई राजनीति के मैदान में कैसे आ जाता है, इसके प्रतीक के रूप में राबड़ी का नाम हमेशा याद रहेगा.
कैमरे को पोज देती बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी.
कभी नीतीश की सरकार बनाने में मदद करने वाले पासवान अब उनके खिलाफ चुनावों में नजर आएंगे.
बिहार चुनाव में कभी बूथ कैपचरिंग आम हुआ करती थी. बीते दशक में यह बदली है....लेकिन अब दूर दराज के इलाकों में इसका खौफ व्याप्त है.
राबड़ी देवी को विजयी कराने के लिए चुनाव प्रचार करते पार्टी के समर्थक.
सीवान से पूर्व राजद सांसद शहाबुद्दीन अब जेल में बंद हैं.
पटना से भाजपा के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, कई बार भाजपा के खिलाफ बयान देते हुए दिखते हैं.
लालू यादव का इस चुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है.
बिहार चुनाव में कभी बूथ कैपचर करना आम हुआ करता था. बीते दशक में यह स्थिति बदल गई है. लेकिन अभी दूर दराज के इलाकों में इसका खौफ व्याप्त है.
नीतीश कुमार लालू को और लालू नीतीश को 19 बता रहे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री जग्गनाथ मिश्रा.
1974 जेपी आंदोलनकारी मंच के बैनर तले जेपी आंदोलनकारियों ने मौन जुलूस निकाल कहा कि दो दिन के लिये जेल जाने वालों को भी सामान्य पेंशन मिलना चाहिए.
नीतीश अपने जनता दरबार से जनता के बीच काफी लोकप्रिय हुए हैं.
कीर्ति आजाद और शाहनवाज हुसैन.
मिथिलांचल के पारंपरिक वेषभूषा में सांसद कीर्ति आजाद. कीर्ति आजाद पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे भी हैं.
फुर्सत के पल बिताते लालू प्रसाद यादव.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी.
मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी.
नीतीश कुमार अपनी जीत के लिए अभी से जश्न मनाते हुए नजर आ रहे हैं.
नालंदा से सांसद रहे नीतीश कुमार ने प्रदेश की सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देकर बिहार विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण की थी.
सुशील कुमार मोदी और नीतीश कुमार कैमरे को पोज देते हुए.
नीतीश कुमार के साथ-साथ उनका पूरा परिवार उनकी जीत की कामना कर रहा है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जीत के लिए बुजुर्गों से आर्शीवाद लेते हुए.
पत्रकारों से बातचीत करते नीतीश कुमार और राम विलास पासवान.
केंद्र में रेल मंत्री रह चुके नीतीश ने लालू को हटा कर राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली.
ये है पटना स्थित बिहार विधानसभा भवन.
राजीव गांधी के सरकार में गृहमंत्री रह चुके बूटा सिंह बिहार के राज्यपाल रह चुके हैं और उन्होंने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करवाया.
नरेंद्र मोदी को लेकर जेडीयू और भाजपा कई बार आमने-सामने आ चुकी है. नीतीश चुनाव प्रचार में मोदी को बिहार में नहीं बुलाना चाहते.
रंजीता रंजन पहले अपने पति से संसद में ही मिल लेती थी लेकिन अब उन्हें मुलाकात करने के लिए तिहाड़ जेल जाना पड़ता है.
किसी समय पप्पू यादव भारतीय संसद के माननीय सांसद हुआ करते थे अब वो तिहाड़ जेल के कैदी हैं.
मीडिया भी इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा...
राष्ट्रीय जनता दल के कार्यालय से बाहर निकलता युवक.
किसी जमाने में राज्य की नीतियां यहां से निर्धारित होती थीं लेकिन अब यहां कोई नहीं जाता.
चुनाव से पहले सभी पार्टियां बिहार की गलियों में अपनी पार्टी की जीत के लिए अपने चुनाव चिन्हों का जोरदार प्रचार कर रही हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कामयाबी हासिल होने के बाद बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के लिए असली परीक्षा साबित होंगे, क्योंकि वह राज्य में पार्टी मामलों में सक्रियता से हिस्सा ले रहे हैं.
ये हैं पप्पू यादव...आरजेडी के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सीपीएम नेता अजित सरकार की 12 साल पहले हुई हत्या के मामले में दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.
किसी जमाने में लालू के अभिन्न दोस्त रहे राजीव रंजन अब जेडीयू में चले गए हैं. हवा का रुख सभी भांप लेते हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की सांसद एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन ने लोजपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली. रंजीता राजनीति की माहिर खिलाड़ी हो चुकी हैं.
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद भी राज्य चुनाव को लेकर काफी गंभीर हैं, इस कारण वह नरेंद्र मोदी को प्रचार में बिहार भेजना चाहते हैं.
लालू यादव के साले साधू यादव. साधू यादव अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.
दिल्ली सभी को लुभाती है लेकिन राज्य की राजनीति से कोई मुंह नहीं मोड़ना चाहता. संसद से बाहर निकलते सुभाष यादव.
कभी राजद का सहारा रहे लालू यादव के साले सुभाष यादव अब कांग्रेस में हैं.
नीतीश कुमार वोट के लिए जगह-जगह घूम रहे हैं.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी चुनावों में ताल ठोकने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
बिहार कांग्रेस में ‘बाहरी लोगों’ का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री और जदयू नेता नागमणि ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. संभावना व्यक्त की जा रही है कि नागमणि औपचारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे.