बिहार को हमेशा ही बीमारू राज्य कहा जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में राज्य में विकास की जो बयार बही है उसे देखकर तो यही लगता है कि यह राज्य जल्दी ही अपनी बीमारू राज्य की छवि को बदलने में कामयाब हो जाएगा.
सड़कों के मामले में बिहार ने अभूतपूर्व तरक्की की है. जहां पहले राज्य के लोगों के लिए अच्छी सड़कें केवल सपने जैसी थी वहीं आज हालत यह है कि बिहार की सड़कों की चर्चा अब राज्य से बाहर भी होने लगी है.
राज्य सरकार का तो दावा है कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा सड़कों का निर्माण किया गया है.
राज्य में सड़क व्यवस्था के सुदृढ़ होने का सबसे बड़ा लाभ राज्य की जनता को हुआ है.
हालांकि राज्य में सरकारी परिवहन व्यवस्था की हालत अभी नहीं सुधरी है.
बिहार में सरकारी बसों की हालत अभी भी खस्ता है.
बिहार में एक सरकारी बस अड्डे पर बेकार पड़े बसों के इंजन.
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के दफ्तर में काम करते कर्मचारी.
बिहार में राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया है. इसका प्रमाण है पटना स्थिति बिड़ला एकेडमी.
राज्य में उद्योग धंधों की अभी भी कमी है. हालांकि निर्माण उद्योग फल फूल रहा है जिसकी वजह से ईंट के भट्ठों पर काम करनेवालों को काम की कमी नहीं है.
राज्य में चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी के निर्माण का काम भी जोरशोर से चल रहा है.
बिहार में विकास की इस बयार के पीछे सीधे तौर पर राज्य सरकार की नीतियों और इच्छाशक्ति का हाथ है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न केवल विभिन्न विकास योजनाओं की देखरेख करते हैं बल्कि खुद उनके क्रियान्वयन पर नजर भी रखते हैं.
नीतीश के विकास के एजेंडे का ही नतीजा था कि पिछले विधानसभा चुनवों में राज्य की जनता ने एनडीए को स्पष्ट बहुतमत के साथ फिर से सत्ता में बैठने का मौका दिया.
नीतीश कुमार ने भी जनता को निराश नहीं किया और उनके भरोसे पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की. राज्य में मंत्रियों द्वारा जनता दरबार लगाना इसकी एक मिसाल है.
राज्य में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
इसके पीछे राज्य सरकार की एक नीति ने लड़कियों और उनके परिजनों को विशेष रूप से प्रभावित किया है.
राज्य सरकार ने स्कूल जानेवाली लगभग 13 लाख से अधिक लड़कियों को साइकिलें दी हैं जिससे लड़कियों को स्कूल आने का प्रोत्साहन मिला.
अब तो मां-बाप भी जागरुक हो गए हैं और अपनी बेटियों को स्कूल भेजने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.
हाजीपुर के एक स्कूल के प्रांगण में बैठकर पढ़ाई करती लड़कियां.
राज्य में विकास की जो हवा बह रही है उसने न केवल मध्यम वर्ग के लोगों को बल्कि किसानों को भी उम्मीद दी है.
अच्छी सड़कें होने की वजह से किसानों को अपनी फसल बाजारों तक पहुंचाने में सुविधा हो रही है जिससे राज्य के किसान अब पहले की तुलना में धीरे धीरे खुशहाली की ओर बढ़ रहे हैं.
राज्य की सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार के लिए भी कदम उठाए हैं. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को देखते पर्यटक.
बिहार में कई जगह नए फ्लाईओवर बनाए गए हैं.
नए फ्लाईओवर बनने से सफर पहले से ज्यादा आरामदेह तो हुआ ही है, इससे समय की भी काफी बचत होगी.
कई अन्य स्थानों पर नए फ्लाईओवर बनने का काम चल रहा है.
निर्माणाधीन सड़क को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि बिहार अब वाकई तरक्की की नई राह बना रहा है.
अब प्रदेश की साफ-सुधरी सड़कों पर वाहन सरपट भागते दिखाई पड़ते हैं.
अधिकांश जनता अपने गांव-कस्बों में नई सड़क पाकर बेहद खुश है.
ऐसा लगता है कि बिहार अब वाकई तरक्की की नई राह बना रहा है.
बिहार में कई जगह नए फ्लाईओवर बनाए गए हैं.
बिहार के अस्पतालों की सेहत भी अब सुधरने की राह पर है.
अस्पताल के स्टाफ भी अब सही समय पर अपने दायित्व का निर्वाह करने पहुंचने लगे हैं. प्रशासन ने आगाह कर दिया है कि काम में लापरवाही कतई स्वीकार नहीं की जाएगी.
कई अस्पतालों में अत्याधुनिक साजो-सामान लाए गए हैं. इससे चिकित्सा की गुणवत्ता में भी काफी सुधार हुआ है.
बाढ़ में स्थापित किया गया एनटीपीसी का नया प्लांट.
बिजली के नए प्लांट से जनता को रोजगार भी मिल सकेगा.
बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाने से बिहार सचमुच काफी तरक्की कर सकेगा.
राजधानी पटना में एक चौराहे पर विज्ञापन देखता आदमी.
साफ-सुथरी सड़क पर परिवार के साथ घूमने का आनंद की कुछ और है.
पटना में अब कई कंपनियों के शोरूम खुल चुके हैं. ज्यादा विकल्प मौजूद होने के बाद जनता अब खरीददारी में ज्यादा दिलचस्पी भी लेने लगी है.
मध्यवर्ग की आय में इजाफा होने के बाद अब लोग अपनी पसंद की बाइक खरीदने शोरूम पहुंचने लगे हैं.
जगह-जगह एटीएम खुल जाने से लोगों को काफी सहूलियत हुई है.
ऊंचाई से ली गई राजधानी पटना के गांधी मैदान व चौराहे की भव्य तस्वीर.
बदलते बिहार में नाविकों की स्थिति भी सुधरी है.
नदियों से बालू निकालने का काम भी अब तेज गति से हो रहा है.
ज्यादातर गांवों में अब खुशहाली पांव पसारने लगी है.
छोटे कस्बों में भी अब कारें ज्यादा संख्या में दिखाई देने लगी हैं.
शिक्षा की स्थिति में और सुधार के लिए जरूरी है कि छोटे बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजा जाए.
गांव की महिलाओं में अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास नजर आने लगा है.
बिहार के एक गांव में चाक पर मिट्टी के सामान बनाता आदमी.
अच्छी सड़कें देखकर लोग मोटरसाइकिल को सचमुच अपनी शान की सवारी समझने लगे हैं.
प्रदेश में ईंट-भट्टी का काम भी जोरों पर है.
लोग नए तरह के शॉपिंग सेंटर में जाकर खरीददारी का लुत्फ उठाते हैं.
राजधानी पटना के एक शॉपिंग सेंटर का नजारा.
लोग नए तरह के शॉपिंग सेंटर में जाकर खरीददारी का लुत्फ उठाते हैं.
मध्यवर्ग की आय में इजाफा होने से ऐसे लोग शॉपिंग सेंटर में जमकर खरीददारी का लुत्फ उठाते हैं.
प्रदेश के दुकानों की तस्वीर भी अब बदलने लगी है.
प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेले में घुड़सवारी का प्रदर्शन करता आदमी.
सोनपुर मेले का आनंद उठाते लोग.
सोनपुर मेले में बिकने के लिए कई उत्तम नस्ल के घोड़े लाए जाते हैं.
मेले में घुड़दौड़ प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है.
बिहार के गांवों में भले ही तमाम सुविधाएं उपलब्ध न हों, पर बच्चे पढ़ाई में ज्यादा रुचि लेते नजर आने लगे हैं.
शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का स्थान पहले से ही उल्लेखनीय रहा है. अब इसे और आगे ले जाने का दायित्व नई पौध पर है.