राहुल गांधी यानि कांग्रेस की ताकत, राजनीति की मैराथॉन का हीरो, युवा पीढ़ी का नया नेता. लेकिन इसके अलावा राहुल गांधी की एक और पहचान है वो युवाओं के स्टाइल आइकॉन भी हैं.
राहुल गांधी चाहे राजनीति के गलियारो में हो या फिर उनसे दूर उनका अंदाज हमेशा सुर्खियों में रहता है.
इन दिनों भी राहुल का नया लुक काफी चर्चा में हैं. बॉलिवुड से लेकर मॉदलिंग तक की तमाम ग्लैमर क्वीन्स की बातचीत का ये नया हॉट टॉपिक है.
कांग्रेस पार्टी में नई जान फूंकने का बीड़ा उठाए राहुल गांधी को हर कोई किसी स्टाइल आइकन से कम नहीं आंकता. लेकिन राहुल गांधी का स्टाइल है कि रोज़ एक नया लुक दिखता है.
राहुल गांधी के चेहरे हल्की हल्की दाढ़ी है, बस ये लुक ही चर्चा का विषय बन बैठा.
अब राहुल गांधी की दीवानगी का आलम हम आपको क्या बताएं. दीपिका को राहुल की हल्की दाढ़ी अच्छी लगती है. ये अलग बात है कि आम तौर पर लोगों को खासकर महिलाओं को क्लीन शेव राहुल पसंद आते हैं.
मौका बदला मौसम बदला और बदले साथ के लोग, तो राहुल का लुक भी बदला.
राहुल के लुक पर जाने माने हेयर स्टाइलिस्ट भी अपनी राय रखते हैं. जावेद हबीब और अंबिका पिल्लई भी राहुल गांधी को क्लीन शेव रहने की सलाह देती हैं.
हिंदुस्तान की ज़्यादातर युवा पीढ़ी कांग्रेस के राहुल बाबा को बेहद पसंद करती है.
राहुल क्या करते हैं, कैसे चलते हैं, उनका हेयरस्टाइल कैसा होना चाहिए, उनके चेहरे पर हल्की दाढ़ी उनकी खूबसूरती को निखारती है या फिर क्लीन शेव में राहुल कहर ढाते हैं. राहुल गांधी को चाहने वाले उनके हर स्टाइल पर नज़रें गढ़ाए रखते हैं.
राहुल की स्टाइल ही नहीं उनके अंदाज भी जुदा हैं. ये युवा नेता मौके के मुताबिक लिबास पहनकर हर जगह अपनी अलग छाप छोड़ता है.
राजनीतिक दौरे में अगर राहुल नेता होते हुए भी आम आदमी लगते हैं तो क्रिकेट स्टेडियम में आम दर्शक होकर भी वो खास लगते हैं.
राजनीति और शतरंज में कोई भेद नहीं तभी तो मौके की नजाकत को भांपकर राजनेता अपना चोला बदलते हैं. कंग्रसे के युवराज मौके की नजाकत भी समझते हैं और ज़माने के दस्तूर भी, शायद इसलिए आम लोगों में वो आम आदमी की तरह नजर आते हैं तो खास लोगों के बीच बेहद खास.
जाहिर है उनका पहनावा उनकी छवि को और निखार देता है. राजनीतिक दौरों पर उनका एक ही मकसद होता है जनता के बीच जाकर जनता के दिल की बात जानना.
जब भी वो किसी गांव या कस्बे के दौरे पर होते हैं तो सफेद कुर्ता पजामा उनकी पहचान होती है. ये पहनावा बयां करता है राहुल की सादगी को और ये सादगी आम जनता के दिल को छू जाती है.
जनता रैलियों के दौरान राहुल के पैरो में कभी कोल्हापुरी चप्पल तो कभी स्पोर्ट्स शूज़ होते हैं. ये दोनों अलग-अलग अंदाज बया करते हैं. चप्पल में झलकती है सहजता औऱ स्पोर्ट्स शूज़ से रफ्तार.
भारत के हर रंग को अपने में समेटने की कोशिश करते राहुल जिस राज्य में जाते हैं उसकी संस्कृति के रंग में रंग जाते हैं. शायद इसीलिए फैशन डिज़ाइनर भी उनके अंदाज के कायल हैं.
जनता के बीच युवा नेता तो युवाओं के स्टाइल आइकॉन राहुल गांधी जब अपने परिवार के साथ होते हैं तब वो कभी एक मासूम बच्चे की तरह मस्ती करते हैं तो कभी एक जिमम्दार भाई की भूमिका में नजर आते हैं.
सबसे रसूखदार राजनीतिक परिवार में जन्मे और अमेरिका से बड़ी डिग्रियां लेकर लौटे राहुल गांधी को आम लोगों का साथ अनायास खींचता है. राह चलते ढाबे का खाना या किसी के घर के खाने की खुशबू नाक तक पहुंच गई तो फिर पेटपूजा करने में जरा भी संकोच नहीं.
पांच साल पहले अमेठी से सांसद बन जाने के बावजूद राहुल की राजनीति उनकी मां के इशारे पर घुमा करती थी. लेकिन दो साल में ही उन्होंने राजनीति की बारीकियों को पकड़ा और 2006 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को उबारने के लिए रोडशो पर निकले पड़े.
आम लोगों के बीच अपनी खुशियों को खोजना और आम लोगों की तरह ही उसे पूरा करना बिलकुल यही है राहुल मंत्र.
ब्रिटेन और अमेरिका में पढ़े-लिखे राहुल गांधी को लोगों के बीच रहना बेहद पसंद है.
ब्रिटेन और अमेरिका में पढ़े-लिखे राहुल गांधी को लोगों के बीच रहना बेहद पसंद है और अपने दोस्तों के बीच बने रहने के लिए वो ब्लैकबेरी फोन का भी जमकर इस्तेमाल करते हैं.
राहुल गांधी भले ही कांग्रेस के युवराज कहलाते हैं लेकिन युवराजों वाले नाज नखरों से वो कोसों दूर हैं. वो एक ऐसे मस्त मौला शख्स हैं जो 56 पकवान भी शौक से खाते हैं और गरीब के घर की सूखी रोटी भी उन्हें लजीज लगती है.
तमगा युवराज का और पद कांग्रेस महासचिव का. सुनने में रुतबा काफी बड़ा लगता है लेकिन कौन कहेगा कि इनके जीने का अंदाज हमसे-आपसे अलग है. आखिर बंदा ये बिंदास जो ठहरा.
आम जनता के बीच, आम जनता के लिए और आम जनता से. राहुल की बिंदास जिंदगी का बेशक यही मूलमंत्र है.
कौन कहता है कि राजनीति के बड़े खिलाड़ी आम लोगों के बीच नहीं जाते, उनसे दो हाथ की दूरी बनाकर रखते हैं. यकीकन राहुल को देखकर ये भ्रम भी दूर हो जाता है.
राहुल अगर राजनीति में संजीदा और जिम्मेदार नेता हैं तो फुर्सत के लम्हों में वो बिंदास और बेफिक्र भी हैं. राहुल की जिन्दगी के ये वो लम्हें हैं जिनमे राहुल दुनिया से दूर होकर भी दुनिया से जुड़े रहते हैं.
ये बंदा बिंदास नहीं तो और क्या है. दुनिया से बेफिक्र, राजनीति की आपाधापी से कोसो दूर अपनों के बीच मस्ती और सूकुन के कुछ पल को जी भरकर जी लेने की तमन्ना.
जैसा देश वैसा भेस, राहुल इस बात को बखूबी समझते हैं इसीलिए विदेश में राहुल सूट बूट में खुद को एक आदर्शवादी हिन्दुस्तानी के तरह कामयाबी से पेश करते हैं.
राहुल गांधी के लिबास वक्त और मौके के हिसाब से भले ही बदल जाते हैं लेकिन उनकी मासूम मुस्कान और सादगी भरा व्यवहार हमेशा एक जैसा ही रहता है, उनके कपड़ों पर दाग जरूर लग जाते हैं लेकिन दिल हमेशा साफ रहता है.