अंजनी कुमार सिंह, 56 वर्ष, मुख्य सचिव, बिहार
इस साल जून में उन्हें मुख्य सचिव बनाया गया. वह भी तब जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का पद छोड़ चुके थे. उनकी पदोन्नति पर नीतीश की पसंद की स्पष्ट छाप थी. 1981 बैच के आइएएस अफसर अंजनी अगस्त, 2012 से ही मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव थे और 17 मई को नीतीश के इस्तीफा देने तक उनसे जुड़े रहे. उन्हें मुख्य सचिव बनाने के लिए कई वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को दरकिनार किया गया.
प्रत्यय अमृत, 47 वर्ष, ऊर्जा सचिव
ऊर्जा सचिव और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लि. का अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक होने के नाते उन पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ऊर्जा क्षेत्र में अच्छा-खासा सुधार लाकर नीतीश कुमार के वादे को पूरा करने की जिम्मेदारी है. नीतीश ने ऐलान किया था कि यदि बिजली की हालत नहीं सुधरेगी तो वे दोबारा वोट मांगने नहीं आएंगे. बिहार पुल निर्माण निगम की कायापलट करने के लिए प्रधानमंत्री के लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं.
प्रमोद कुमार ठाकुर, 56 वर्ष, पुलिस महानिदेशक
उन्हें इसी साल जून में पुलिस महानिदेशक बनाया गया. वे विजिलेंस ब्यूरो के पुलिस महानिदेशक थे. उनके कार्यकाल में करीब आधा दर्जन भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त की गई. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पहले डीआइजी बने थे. वे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के आइजी भी रहे हैं. 1997 में पुसिल सेवा में विशिष्ट योगदान और 2005 में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.
आमिर सुब्हानी, 50 वर्ष, गृह सचिव, बिहार
बिहार सरकार किसी भी संकट के वक्त हमेशा सुब्हानी पर ही दांव लगाती है. 2009 में उन्हें गृह सचिव बनाया गया और मुश्किल योजनाओं को अंजाम देने के लिए सरकार को उनसे बेहतर और कोई विकल्प अब तक नहीं मिला है. राज्य की कानून-व्यवस्था असल में वे ही चलाते हैं. अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई का क्रेडिट उन्हें ही जाता है. मुख्यमंत्री अन्य अधिकारियों को उनके परफॉर्मेंस का उदाहरण देते हैं.
आनंद कुमार, 41 वर्ष, सुपर-30 के संस्थापक
सुपर-30 को अब विदेशों में भी सराहा जाने लगा है. टोक्यो यूनिवर्सिटी ने उन्हें बुलाया. जर्मन यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि ने खुद सुपर-30 का दौरा किया. सुपर-30 को टाइम मैगजीन ने एशिया का बेस्ट इंस्टीट्यूट बताया. प्रतिष्ठित पत्रिका मोनोकल ने दुनिया के 20 टीचर्स की सूची में आनंद को शामिल किया. सुपर-30 अब बड़ा आकार ले रहा है.
डॉ. अजय कुमार, 64 वर्ष, महासचिव, बीएमओए
उनकी कोशिशों से ही बिहार में पहली बार चिकित्सकों को सुनिश्चित प्रोमोशन मिलने लगा. प्रोमोशन के लिए राज्य में 127 पद ही थे, लेकिन चार माह पहले इसे बढ़ाकर 1,400 किया गया है. चिकित्सकों का एक ही वेतनमान था पर स्पेशलिस्ट चिकित्सक के लिए उच्चतर और सामान्य के लिए विशेष वेतनमान वृद्धि का प्रावधान किया गया है. उनकी कोशिशों की वजह से 2011 में चिकित्सकों के संशोधित सुरक्षा कानून को लागू किया गया
दिलजीत खन्ना, 46 वर्ष, संचालक, सिद्धार्थ एडवरटाइजिंग
दिलजीत ने 1987 में 15,000 रु. से एडवरटाइजिंग का काम शुरू किया था. अब उनकी एजेंसी पूर्वी भारत की सबसे बड़ी एडवरटाइजिंग एजेंसी है. इसका सालाना कारोबार अब करीब 20 करोड़ रु. है. बिहार की पहली एजेंसी, जो दूसरे राज्यों में भी पटना से संचालित होती है. झारखंड, असम, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश में भी कारोबार है.
रितुराज सिन्हा, 33 वर्ष, उद्योगपति
बीजेपी के राज्यसभा सदस्य आर.के. सिन्हा के बेटे रितुराज ने पिता की 150 करोड़ रु. की सिक्योरिटी कंपनी एसआइएस को 3,200 करोड़ रु. के टर्नओवर की कंपनी में बदल दिया और राजनीति में भी काबिलियत साबित की.लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी के इलेक्शन मैनेजमेंट वॉर रूम की कमान संभाली. उनकी कंपनी दुनिया की 10 शीर्ष कंपनियों के कुलीन क्लब में आ गई.
अरविंद पांडेय, 51 वर्ष, अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग)
1988 बैच के आइपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय क्रिएटिव पुलिसिंग के लिए जाने जाते हैं. दो माह पहले आइजी से एडीजी में प्रोमोशन पाए पांडेय मुकदमों की जड़ों को मिटाने की कोशिश करते हैं. वे पहले शख्स हैं, जिसने फरियादियों के लिए 24 घंटे पुलिस का दरवाजा खोल रखा था. मुजफ्फरपुर में डीआइजी रहने के दौरान जहांगीरी घंटा का प्रचलन शुरू किया.
एस.एम. राजू, 54 वर्ष, ग्रामीण विकास सचिव
कृषि स्नातक राजू ने मनरेगा के जरिए वृक्षारोपण को रोजगार के अवसरों से जोड़ दिया. इससे रोजगार निर्माण और पेड़ लगाने को बढ़ावा मिला. उनकी पहल से एक दिन में 96.5 लाख पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बना. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राजू की पहल को मान्यता दी.