लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को उस समय के एकीकृत हिन्दुस्तान के कराची शहर में हुआ.
लालकृष्ण आडवाणी का सिंधी में नाम लाल किशनचंद आडवाणी है.
सन् 2002 से 2004 के बीच आडवाणी देश के उप-प्रधानमंत्री रहे और वह इस समय मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के वरिष्ठ नेता है.
आडवाणी 10वीं और 14वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं.
आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में एक स्वयं सेवक के रूप में अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी.
आडवाणी को 1947 में कराची में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में सचिव बनाया गया. इसके साथ ही उन्हें मेवाड़ भेजा गया, जहां सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे.
1951 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की तो आडवाणी इसके सदस्य बन गए.
जनसंघ में कई पदों पर अपनी सेवाएं देने के बाद आडवाणी 1972 में इसके अध्यक्ष चुने गए.
जनसंघ के जनता पार्टी में विलय के बाद आडवाणी व अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में लोकसभा चुनाव लड़ा.
केन्द्र में जब पहली बार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी, जनता पार्टी की सरकार बनी तो आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई.
जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी बनी तो आडवाणी इसके प्रमुख नेताओं में थे और उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता चुना गया.
1986, 1993 और 2004 में आडवाणी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का अध्यक्ष चुना गया.
1989 में बीजेपी ने आडवाणी के नेतृत्व में राम जन्मभूमि का मुद्दा प्रमुखता से उठाया. जिसकी परिणति 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी विध्वंस के रूप में सामने आई.
आडवाणी 2005 में पाकिस्तान यात्रा पर गए और मुहम्मद अली जिन्ना की कब्र पर जाकर उनकी तारीफ की तो देशभर में उनकी खूब आलोचना हुई.
2004 में अटलबिहारी वाजपेयी के सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने के बाद आडवाणी बीजेपी के सबसे बड़े और प्रमुख नेता बन गए.
2004-2009 के बीच आडवाणी लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे. इस दौरान उमा भारती, मदन लाल खुराना और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं से उनकी खूब अनबन हुई.
आडवाणी के अनुसार यूपीए-1 के दौरान हुए कैश फॉर वोट मामले में उन्होंने ही अपने सांसदों को इस मामले का भंडाफोड़ करने की इजाजत दी थी.
दिसंबर 2005 में मुंबई में आयोजित बीजेपी के सिल्वर जुबली कार्यक्रम में आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया और राजनाथ सिंह को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया.
2006 में वाराणसी में बम ब्लास्ट के बाद आडवाणी ने सुरक्षा के मुद्दे पर यूपीए सरकार की नाकामी को उजागर करने के लिए भारत सुरक्षा यात्रा निकाली.
एक समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बीजेपी का राम और आडवाणी को लक्ष्मण कहा जाता था.
आडवाणी ने लोकनायक जयप्रकाश के गांव सिताब दियारा से अपनी 'जन चेतना यात्रा' की शुरुआत की है.
आज से जनचेतना रथ यात्रा पर निकले वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के रथ को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव से बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने रवाना किया.
आडवाणी ने 'भारत सुरक्षा यात्रा' के दौरान करीब 6000 किमी की दूरी तय की.
आडवाणी की 'भारत सुरक्षा यात्रा' गुजरात में द्वारका से शुरू होकर दिल्ली तक पहुंची.
लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह ने 6 अप्रैल से 10 मई 2006 के बीच 'भारत सुरक्षा यात्रा की'.
आडवाणी को जनादेश रथयात्रा को नक्सली इलाके में तेलंगाना में खूब सफलता मिली.
14 राज्यों और दो केंद्र शासित राज्यों से होते हुए चारों जनादेश यात्राएं 25 सितंबर को भोपाल पहुंची, जहां विशाल जन रैली हुई.
आडवाणी ने मैसूर से जनादेश यात्रा की शुरुआत की जबकि जम्मू, पोरबंदर और कलकत्ता से भाजपा के अलग-अलग नेताओं ने इसी दिन जनादेश यात्रा शुरू की.
11 सितंबर 1993 को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस के मौके पर जनादेश यात्रा शुरू हई.
आज से शुरू हुई आडवाणी की 'जन चेतना रथ यात्रा' का समापन 20 नवंबर को दिल्ली पहुंच कर होगा.
2009 लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे, लेकिन एक बार फिर यूपीए चुनाव जीती और मनमोहन सिंह ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद संभाला.
लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी।
26 जून, 1975 को आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान गिरफ्तार किए गए और उन्हें भारतीय जनसंघ के दूसरे सदस्यों के साथ बंगलौर सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया।
12 सितम्बर, 1947 - देश के विभाजन के दौरान सिंध छोड़कर प्रोपेलर एयरक्राफ्ट से दिल्ली पहुंचे।
आडवाणी ने 1997 में भारत की स्वतंत्रता की स्वर्ण-जयंती मनाने के लिए स्वर्ण-जंयती रथ यात्रा आरम्भ की।
आडवाणी ने 1960-1967 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक राजनीतिक पत्रिका ''ऑर्गेनाइजर'' में सहायक संपादक का पद संभाला.
आडवाणी के गृहमंत्री रहते हुए 1999 में कारगिल की जंग हुई और आतंकवादी 2001 में संसद पर हमला करने पहुंच गए.
गुजरात के सोमनाथ से शुरू हुई आडवाणी की रामरथ यात्रा लगभग पूरे उत्तर भारत का चक्कर लगाकर बिहार पहुंची तो बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इसे रोक दिया.
आडवाणी गुजरात के गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचते हैं. उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी भी राजनीति में सक्रिय हैं.
कराची के सेंटर पैट्रिक्स हाई स्कूल और सिंध में हैदराबाद के डीजी नेशनल कॉलेज से पढ़ाई करने वाले आडवाणी ने बंबई युनिवर्सिटी के गवर्मेंट लॉ कालेज से स्नातक किया.
अब तक 'राम रथ यात्रा', 'जनादेश यात्रा', 'स्वर्ण जयंती रथ यात्रा', 'भारत उदय यात्रा' और 'भारत सुरक्षा यात्रा' कर चुके आडवाणी अब 'जनचेतना यात्रा' पर निकले हैं.
2006 में वाराणसी में बम ब्लास्ट के बाद आडवाणी ने सुरक्षा के मुद्दे पर यूपीए सरकार की नाकामी को उजागर करने के लिए भारत सुरक्षा यात्रा निकाली.