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चुनाव

ये होंगे नरेंद्र मोदी के नव रत्‍न

ये होंगे नरेंद्र मोदी के नव रत्‍न
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नरेंद्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे तो कई दिग्गजों से मोदी की सेना सजेगी. फिलहाल कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी के कोरग्रुप में कौन-कौन होगा. मोदी तो बीजेपी के सबसे बड़े रत्‍न हैं, तो फिर मोदी के रत्‍न कौन-कौन होंगे:
ये होंगे नरेंद्र मोदी के नव रत्‍न
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राजनाथ सिंह: बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह मोदी के बेहद करीबियों में हैं. पार्टी के एक धड़े के तीखे विरोध के बावजूद राजनाथ ने ना सिर्फ मोदी को पहले प्रचार अभियान का प्रमुख बनाया बल्कि बाद में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया. राजनाथ की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मोदी जिनके साथ सीधे हॉट लाइन पर होते हैं, वो राजनाथ हैं.
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स्‍मृति ईरानी: छोटे परदे की चमक-दमक से निकलकर राजनीति के मैदान में उतरीं स्मृति ईरानी ही वो नेता हैं, जिन्होंने ‘नमो टी’ का आइडिया दिया. वो मोदी की छवि चमकाने में जी जान से लगी रहीं. वाकई 10 साल में माहौल इस कदर बदल गया कि कभी मोदी की विरोधी रहीं स्मृति अब मोदी की छोटी बहन बन गईं और अब उनकी आर्मी की एक अहम कमांडर भी. राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा संभालकर स्मृति ईरानी ने बीजेपी में अपना कद बढ़ा लिया, लेकिन उससे कहीं आगे नरेंद्र मोदी की नजरों में उनकी जगह ज्यादा बड़ी हो गई. मोदी खुद स्मृति का प्रचार करने अमेठी पहुंचे और जमाने को बताया कि छोटे परदे की मशहूर बहू उनकी छोटी बहन हैं.
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अमित शाह: कहते हैं कि अमित शाह पहले व्यक्ति थे, जिनसे मोदी ने राजनीति में खुद के आने की चर्चा की थी. उसी अमित शाह के जरिए मोदी ने देश जीतने की मुकम्मल तैयारी कर ली. 16 मई को नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे तो साबित हो जाएगा कि अमित शाह की रणनीति का जवाब नहीं. मोदी के करिश्‍माई चेहरे के पीछे एक दिमाग काम करता है, जिसका नाम अमित शाह है. तभी तो अमित शाह हैं नरेंद्र मोदी के नवरत्‍नों में शुमार.
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अरुण जेटली: नरेंद्र मोदी के एक और बेहद करीबी हैं अरुण जेटली. वो कानून अच्छी तरह जानते हैं और मोदी को कई पेचीदा मसलों पर कानूनी सलाह भी देते रहते हैं. लेकिन इन सबसे ज्यादा दोनों का रिश्ता बहुत पुराना है. वो दोस्ती हर संकट के दौर से गुजरते हुए मजबूत होती गई. ये बहुत कम लोगों को पता है कि जब केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात में नए मुख्यमंत्री की तलाश हो रही थी, तब नरेंद्र मोदी का नाम आगे बढ़ाने में जेटली की अहम भूमिका थी. जब पीएम उम्मीदवार बनाने की बारी आई तो भी मोदी का नाम आगे करने वालों में जेटली भी थे.
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नितिन गडकरी: जिनसे खतरा रहता है, वो भी कैसे करीब हो सकते हैं, इसकी एक मिसाल हैं नितिन गडकरी. नरेंद्र मोदी की आर्मी में आज गडकरी भी शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि मोदी के पक्ष में बनाया गया उनका माहौल रंग लाया. अब अगर मोदी का राज आया तो उन्हें बड़ी भूमिका मिल सकती है. नितिन गडकरी के लिए मोदी के नवरत्‍नों में शामिल होना बहुत आसान नहीं था. गडकरी के पार्टी अध्यक्ष रहते मोदी से उनके टकराव के कई मामले सामने आए.
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पीयूष गोयल: नरेंद्र मोदी के एक करीबी कमांडर हैं पीयूष गोयल, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं. वे बीजेपी के खजांची हैं. इनके पिता भी बीजेपी के खजांची ही होते थे. स्मृति ईरानी ने आइडिया दिया तो गोयल ने ‘नमो टी’ के आयोजन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया. अब अच्छे दिन आएं तो पीयूष की भी भूमिका बढ़ सकती है. जिस प्रचार की बदौलत मोदी के नाम का सिक्का चल रहा है, उसके पीछे मनी गेम में माइंड है पीयूष गोयल का. तभी तो इन्हें शुमार किया जाता है मोदी के नवरत्‍नों में.
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मुख्‍तार अब्‍बास नकवी: नरेंद्र मोदी के नाम पर जिस समुदाय में अगर-मगर की खबरें आती हैं, उसी अल्पसंख्यक समुदाय का एक नेता मोदी का बेहद करीबी है. जी हां, मुख्तार अब्बास नकवी इस चुनाव में मोदी की रैलियों के सबसे बड़े आयोजक रहे और उनसे मोदी की पुरानी यारी है. जिस वक्त नरेंद्र मोदी दिल्ली में बैठकर बीजेपी के सचिव का काम कर रहे थे, तब इसी पद पर एक और शख्स भी थे, जिनका नाम मुख्तार अब्बास नकवी था.
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राम माधव: मोदी के नवरत्‍नों में एक चेहरा संघ के अंदर से भी देख लीजिए, इनका नाम है राम माधव. राम माधव ने इंजीनियरिंग की, लेकिन संघ परिवार के अंदर नरेंद्र मोदी के लिए वो हमेशा से राजनीतिक इंजीनियरिंग करते रहे हैं. कहते हैं कि वो मोदी से सीधे हॉट लाइन से जुडे हुए हैं. मोदी राम माधव से पुराने संघसेवक रहे हैं. संघ के लिए मोदी का समर्पण भी जगजाहिर है. आज संघ मोदी के संग है, तो इसके पीछे राम माधव की बड़ी भूमिका मानी जाती है.
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