पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार का संकट गहरा गया है. कांग्रेस और डीएमके के एक-एक विधायक ने रविवार को इस्तीफा दे दिया जबकि चार विधायक पहले ही साथ छोड़ चुके हैं. राज्य में कांग्रेस विधायकों के लगातार हो रहे इस्तीफे से वी नारायणसामी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार अल्पमत में आ गई है. पुडुचेरी के उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने कांग्रेस सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरने के लिए सोमवार को विधानसभा में सत्र बुलाया है. ऐसे में देखना है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के राइट हैंड रह चुके नारायणसामी सदन में बहुमत साबित कर पाते हैं कि नहीं?
पुडुचेरी की सियासत में कांग्रेस का चेहरा माने जाने वाले नारायणस्वामी के खिलाफ पार्टी विधायकों ने बागवत का बिगुल फूंक दिया है जबकि कांग्रेस उन्हीं की अगुवाई में एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरी है. पांच साल पहले कांग्रेस ने नारायणसामी को केंद्र की राजनीति से राज्य की सिसायत में भेजा था. वो मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-2 सरकार में प्रधान मंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे, लेकिन 2016 में उन्हें पुडुचेरी का सीएम बनाया गया था.
वी नारायणस्वामी का जन्म 30 मई 1947 को पुडुचेरी में वेल्लू और ईश्वरी के घर में हुआ था. उन्होंने बीए की पढ़ाई टैगोर आर्ट कॉलेज से की, मद्रास लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की और अन्नामलाई यूनिवर्सिटी से एलएलएम की पढ़ाई पूरी की.
नारायणसामी सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के क्षेत्र में अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष थे. संविधान क्लब के पूर्व सांस्कृतिक सचिव रहे हैं. भारत-चीन सोसाइटी के सदस्य चुने गए थे. खेल और क्लब के क्षेत्र में, वह वॉलीबॉल और बैडमिंटन खेले हैं. वह कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के साथ-साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के सदस्य भी रहे हैं.
नारायणसामी ने अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया और 80 के दशक में ही पुडुचेरी में राज्यमंत्री रहे. इसके बाद से लगातार केंद्रीय राजनीति में सक्रिय रहे. इसके बाद 1991 में राज्यसभा सदस्य चुने गए, लेकिन केंद्र में पहली बार 2008 में राज्य मंत्री बने. इसके बाद यूपीए-2 में पीएमओ में राज्यमंत्री रहे. गांधी परिवार से लेकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के करीबी माने जाते हैं.
पुडुचेरी में 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें आई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री की दौड़ में पुडुचेरी कांग्रेस अध्यक्ष नमाचिवयम भी शामिल थे, लेकिन केंद्रीय राजनीति और गांधी परिवार के करीबी होने का फायदा नारायणसामी को मिला. हालांकि, पार्टी के 15 विधायकों में से 10 नारायणसामी के पक्ष में थे इसलिए उनके नाम को मुख्यमंत्री के लिए चुना गया, लेकिन उन्हीं विधायकों में से पांच उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं और अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इसके चलते सियासी संकट खड़ा हो गया है. अब वो अपनी सरकार को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं, लेकिन नंबर गेम उनके खिलाफ है.
विधानसभा में सोमवार को तय बहुमत परीक्षण से पहले कांग्रेस के के. लक्ष्मीनारायणन और डीएमके के वेंकटेशन के इस्तीफा दे देने से सत्तारूढ़ गठबंधन समर्थक विधायकों की संख्या घटकर 12 हो गई है जबकि विपक्ष के पास 14 विधायक हैं. राज्य के विधानसभा में कुल 33 सदस्य है, जिनमें 30 निर्वाचित और तीन मनोनीत सदस्य होते है. हालांकि, 5 कांग्रेस, 1 डीएमके विधायक के इस्तीफा और 1 विधायक के आयोग्य करार दिए जाने के बाद कुल 26 सदस्य हैं.
पुडुचेरी विधानसभा की मौजूदा 26 सदस्यों की संख्या के आधार पर नारायणसामी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 14 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. नारायणसामी के नेतृत्व वाली सरकार को कांग्रेस के 9, डीएमके के 2 और एक निर्दलीय विधायकों के समर्थन मिलाकर 12 का आंकड़ा है जबकि विपक्ष के पास AINRC के 7, AIADMK के चार और तीन बीजेपी के मनोनीत सदस्य मिलाकर 14 होता है. ऐसे में सीएम नारायणसामी के लिए फ्लोर टेस्ट पास करना आसान नहीं होगा.