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पंजाब में दलित और किसानों की आवाज बंत सिंह 'आप' में शामिल

जनवरी 2006 में पड़ोस के गांव के ही जमींदारों ने बंत सिंह के दोनों हाथ-पैर काट दिए गए थे. बंत सिंह के साथ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह अपनी नाबालिग बेटी से हुए सामूहिक बलात्कार के विरोध में इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे थे. उसके बाद झब्बर पंजाब में दलित और किसान आंदोलन की आवाज बनकर उभरे.

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बंत सिंह झब्बर
बंत सिंह झब्बर

पंजाब में दलित आंदोलन की आवाज बन चुके वामपंथी नेता बंत सिंह झब्बर अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. रविवार को मनसा में पार्टी एक कार्यक्रम के दौरान पंजाब प्रभारी संजय सिंह की मौजूदगी में झब्बर ने AAP की सदस्यता ग्रहण की. झब्बर इससे पहले सीपीआई (एमएल) के सदस्य थे और लंबे समय से भूमिहीन किसानों और दलितों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.

'आप' की सदस्यता ग्रहण करते वक्त झब्बर ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व से उन्हें अब कोई उम्मीद नहीं बची है, पार्टी अब बड़े जमींदार के हाथों में जा चुकी है और मैं अब भी गरीब भूमिहीन किसान ही हूं. आम आदमी पार्टी ने बंत सिंह के पार्टी में शामिल होने को एक अच्छा संकेत बताया है.

कौन हैं बंत सिंह झब्बर

जनवरी 2006 में पड़ोस के गांव के ही जमींदारों ने बंत सिंह के दोनों हाथ-पैर काट दिए गए थे. बंत सिंह के साथ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह अपनी नाबालिग बेटी से हुए सामूहिक बलात्कार के विरोध में इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे थे. साल 2002 में उनकी बेटी के साथ सामूहित बलात्कार किया गया था जिसके बाद बंत सिंह कटे पांव से कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते रहे और आखिर में दोनों को सजा दिलाई. उसके बादबंत सिंह पंजाब में दलित और किसान आंदोलन की आवाज बनकर उभरे.

बंत सिंह पर हमला करने वाले नवदीप सिंह और हरबिंदर सिंह ने भी इसी कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. मामले में नवदीप सिंह और उनका सहयोगी सात साल जेल की सजा काट चुके हैं. जब बंत सिंह से इस पर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये दिन भी देखना पड़ेगा. ये बात अलग है कि मेरी बेटी की जिंदगी खराब करने वाले भी अब आम आदमी पार्टी में हैं, लेकिन मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा.

बंत सिंह के संघर्षों पर निरुपमा दत्त ने ‘द बैल्ड ऑफ बंत सिंह’के नाम से एक किताब भी लिखी थी जो 21 जनवरी 2015 को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रिलीज की गई.

मनसा से पार्टी के प्रत्याशी नजर सिंह ने दोनों पक्षों के एक साथ पार्टी में शामिल होने को सौह्रार्द की मिसाल बताया है. उधर बंत सिंह के 'आप' में जाने को सीपीआई (एमएल) ने पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया है. पार्टी के संगठन मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भगवंत सिमोन ने कहा कि पार्टी के साथ उनके कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन हम यह नहीं जानते थे कि वह इतना बड़ा फैसला ले लेंगे.

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