कांग्रेस में शामिल होने के बाद सबसे पहले नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर पहुंचे. यहां उन्होंने स्वर्ण मंदिर के दर्शन किए. दरबार साहब का आशीर्वाद लिया और परिक्रमा की. दरबार साहब के दर्शन करने के बाद भगवान से क्या मांगा इस बारे में नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि धर्म की स्थापना हो. धर्म भूखे को रोटी खिलाना है, रोते हुए को हंसा देना है.
उन्होंने कहा कि पंजाब के विकास की राह की बाधा को खत्म करना है. धर्म वो है जो कमजोरी को ताकत में तब्दील करता है. हार को जीत में तब्दील करता है. पंजाब कर्जे में है लेकिन पंजाब का जज्बा और स्वाभिमान जग गया है. सबसे बड़ा मुद्दा पंजाब में क्या होगा, इस पर नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि पंजाब में खुशहाली आए. नौजवान पीढ़ी को संस्कारों के साथ जोड़ना है. उन्होंने कहा कि जात-पात, धर्म से ऊपर उठकर गुरु घर के चारों दरवाजे खुले हैं. एक कुदरत के सभी बंदे हैं. यही आवाज यहां से निकलती है. उन्होंने कहा कि जो कर्ज में डूबा हुआ है, भय की आग में जल रहा है. सिद्धू ने कहा कि धर्म का सवाल हो तो डरना मत. कायर आदमी हर रोज 50 बार मरता है. बहादुर जीवन में एक बार मरता है.
जब सिद्धू से पूछा गया कि दरबार साहब से बादलों की हार मांगी या कांग्रेस की जीत . इस पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मैंने एक ही कहा है, लक्ष्मी चलायमान है. यह ठहरनेवाली नहीं है. इस गुरु धर्म नगरी में अच्छाई की स्थापना हो. वक्त की पुकार गुरु सुनता है. पंजाब के विकास की हर बाधा हरो. पंजाब में जो कर्जा हो गया था वह वापस आएगा. भगवान से आशीर्वाद लिया है.