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पढ़ें-पिछले दो विधानसभा चुनावों में कैसे रहे थे पंजाब के नतीजे

पिछले 10 साल से राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सत्ता है जो बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों इस बार एंटी इंकंबैसी फैक्टर का लाभ उठाकर सत्ता पर कब्जे की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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2012 में जीत का जश्न मनाते अकाली कार्यकर्ता
2012 में जीत का जश्न मनाते अकाली कार्यकर्ता

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देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान आज हो गया है. पंजाब में भी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं. पंजाब के चुनाव इस बार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां आम आदमी पार्टी की एंट्री हुई है जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. पिछले 10 साल से राज्य में शिरोमणि अकाली दल की सत्ता है जो बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों इस बार एंटी इंकंबैसी फैक्टर का लाभ उठाकर सत्ता पर कब्जे की लड़ाई लड़ रहे हैं.

2012 के चुनावों में बादल की दमदार वापसी
पंजाब का चुनावी इतिहास देखते हुए 2012 के चुनाव में सबको कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद थी लेकिन शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन ने 117 सीटों वाली इस विधानसभा में कुल मिलाकर 68 सीटें जीत लीं. कांग्रेस यहां 46 सीटें ही जीत सकी जबकि 3 सीटें अन्य के खाते में गईं. इस तरह शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में सफल रहा और प्रकाश सिंह बादल एक बार फिर मुख्यमंत्री बने.

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2007 के चुनाव में गई अमरिंदर की सत्ता
2007 के चुनावों के समय कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी थी और अमरिंदर सिंह सरकार के मुखिया थे लेकिन वोटरों ने जो जनादेश दिया उसने कांग्रेस की सरकार से छुट्टी कर दी. पार्टी को इन चुनावों में महज 44 सीटें मिल सकीं. शिरोमणि अकाली दल को 49 और बीजेपी को 19 सीटें मिलीं. इस तरह शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन सत्ता पर काबिज होने मे सफल रहा. अन्य को इन चुनावों में 5 सीटें मिलीँ.

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