
अमृतसर सेंट्रल विधानसभा सीट अमृतसर की शहरी सीट है. इस विधानसभा सीट के अधिकतर हिस्से शहरी इलाके में आते हैं. अमृतसर सेंट्रल व्यावसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस इलाके के चुनाव में व्यापारी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है. व्यापारियों के मुताबिक उनसे जुड़े मुद्दों के समाधान की बात तो हर उम्मीदवार ने हर चुनाव में की लेकिन इस दिशा में किसी ने कोई ठोस पहल नहीं की.
अफगानिस्तान से आने वाले ड्राई फ्रूट्स का मार्केट भी सेंट्रल विधान सभा क्षेत्र में ही पड़ता है. इस विधानसभा क्षेत्र में कई इलाके ऐसे हैं जहां सरेआम नशीले पदार्थ बिकते हैं. नशीले पदार्थ की बिक्री की जानकारी पुलिस के पास भी है लेकिन कभी भी पुलिस ने इनके खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत कभी नहीं उठाई है. ये मसला लगातार चुनाव में उठता रहा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
पंजाब के अमृतसर की अमृतसर सेंट्रल विधानसभा सीट साल 1972 में अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर 1972 के चुनाव में कांग्रेस के परताप चंद विजयी रहे थे. 1977 में इस सीट से जनता पार्टी के बलराम दास टंडन ने कांग्रेस के उमीदवार दरबारी लाल को करीब 12 हजार वोट से हरा दिया. दरबारी लाल ने 1980 और 1985 में लगातार दो बार इस सीट से विजयश्री हासिल की. बीजेपी ने 1992 में लक्ष्मीकांत चावला को इस सीट से उतारा और उन्होंने दरबारी लाल को मात भी दी. 1997 में भी बीजेपी के लक्ष्मीकांत विजयटी रहे. साल 2002 में दरबारी लाल ने लक्ष्मीकांत को शिकस्त दी और विधानसभा पहुंचे.
साल 2007 के चुनाव में जनता ने फिर से बीजेपी के लक्ष्मीकांत को विधानसभा भेज दिया और वे शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और उन्हें स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी दी गई. स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए लक्ष्मीकांत ने अपनी ही सरकार के लिए समय-समय पर असहज करने वाली स्थितियां उत्पन्न कीं और धरने भी दिए. साल 2012 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने लक्ष्मीकांत चावला का टिकट काट दिया और उनकी जगह पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुग को उम्मीदवार बनाया तो वहीं कांग्रेस ने ओम प्रकाश सोनी को उम्मीदवार बनाया. ओमप्रकाश सोनी, तरुण चुग को करीब 12 हजार वोट के अंतर से मात देकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे.
2017 का जनादेश
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी के सामने बीजेपी से तरुण चुग ही चुनाव मैदान में थे. परिणाम भी 2012 के चुनाव वाले ही रहे. ओम प्रकाश सोनी ने 2017 में भी बीजेपी के तरुण चुग को करारी शिकस्त दी. 2012 में जहां कांग्रेस उम्मीदवार की जीत का अंतर 12 हजार वोट का था, वहीं 2017 में यह अंतर 21 हजार वोट का हो गया. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 1.10 लाख वोटर हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री 64 साल के ओम प्रकाश सोनी पांच बार विधायक रहे हैं. ओम प्रकाश सोनी के पास कैप्टन सरकार में चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग का प्रभार है. ओम प्रकाश सोनी की गिनती कांग्रेस के उन नेताओं में होती है, जो जनता के बीच लोकप्रिय हैं और मतदाताओं पर अच्छी पकड़ रखते हैं. देखना होगा कि 2022 के चुनाव में ओम प्रकाश सोनी जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं या नहीं.