पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के बिना कांग्रेस का क्या होगा? इस सवाल पर लोग उस समय हमेशा बात करते थे जब साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 'मोदी लहर' के बाद भी इस राज्य में पार्टी का मनोबल कैप्टन ने बाकी राज्यों की तरह गिरने नहीं दिया. इतना ही नहीं बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इस मोदी लहर पर सवार होकर अमृतसर सीट से कैप्टन अमरिंदर को हरा नहीं पाए. पंजाब में कांग्रेस अगर मजबूती से डटी रही तो उसके पीछे कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसी शख्सियत थी.
2019 के चुनाव में बालाकोट स्ट्राइक के बाद राष्ट्रवाद की लहर पर सवार बीजेपी पूरे देश में छा गई तब भी कैप्टन अमरिंदर ने राज्य में कांग्रेस को थामे रखा और बीते चुनाव से ज्यादा सीट दिला दीं. कांग्रेस को 13 में से 8 सीटें मिली थीं. जबकि 2014 के चुनाव में उसे सिर्फ 3 सीटें मिली थीं. राज्य में आम आदमी पार्टी भी बड़ी ताकत के रूप में उभरी. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस को बहुमत मिला.
लोकसभा चुनाव 2019 की हार के बाद जब कांग्रेस के नेता एक-दूसरे को हार का दोषी ठहरा रहे थे तब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने परिपक्वता दिखाते हुए चुप्पी साधे रखी. दरअसल पंजाब ही एक ऐसा राज्य था जहां के कांग्रेस को थोड़ा सुकून मिल रहा था. चुनाव दर चुनाव हार रही कांग्रेस में कैप्टन सबसे मजबूत और विश्वासपात्र कमांडर बन चुके थे. गांधी परिवार के प्रति भी उनकी प्रतिबद्धता जाहिर थी.
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लेकिन बीजेपी से कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू की महत्वाकांक्षाओं ने पंजाब कांग्रेस में सिर फुटौव्वल शुरू करा दी. आज नतीजा ये है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस को छोड़कर उसी की जड़ें खोदने की कसम खा चुके हैं और अब वो बीजेपी के काफी नजदीक हैं. नवजोत सिद्धू अब नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोले दिखते हैं.
अब सवाल इस बात का है कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में कैप्टन अमरिंदर सिंह क्या गुल खिलाएंगे? क्या उनकी नई पार्टी कांग्रेस का नुकसान कर पाएगी. इस पर पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सिंह जादौन का कहना है कि अभी कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी का ढांचा और उससे जुड़ने वाले नेता सामने नहीं आए हैं. इसलिए अभी पूरा निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है. लेकिन अमरिंदर सिंह खुद की सीट का चुनाव जीत जाएंगे.
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जादौन के मुताबिक पंजाब के लोगों का कहना है कि अमरिंदर सिंह की पार्टी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा कर बीजेपी को फायदा देने की रणनीति पर अमल कर सकती है.
कांग्रेस में रहते हुए अमरिंदर सिंह ने बड़े चुनावी वायदों से सत्ता हासिल की थी. इन चुनावी वायदों में से काफी उन्होंने पूरे भी किए थे. इसलिए पंजाब के वोटरों के मन में कैप्टन की एक छाप तो है. विधानसभा चुनाव में 'अमरिंदर फैक्टर' के बारे में अभी कुछ भी साफ कहना जल्दबाजी होगी.