चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र (44), जिला होशियारपुर का नजदीकी विधानसभा क्षेत्र है. होशियारपुर से चब्बेवाल 12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है. 2017 में चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र अलग हुआ. इससे पहले चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र के स्थान पर महीलपुर विधानसभा क्षेत्र था. चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर अकाली दल का बोलबाला रहा है. यहां से शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता और पूर्व पंजाब कैबिनेट मंत्री सरदार सोहन सिंह ठंडल ने लगातार चार बार चुनाव जीते हैं. पांचवी बार 2017 में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी डॉक्टर राजकुमार से 29000 से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा.
डॉ. राजकुमार, 2012 में सरदार सोहन सिंह ठंडल अकाली दल नेता से चुनाव हार चुके हैं. मौजूदा विधायक डॉ. राजकुमार पहले भाजपा में थे. बाद में ये कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस के विधायक डॉ. राजकुमार चब्बेवाल ने बाद में सांसद के लिए भी अपनी किस्मत आजमाई. लेकिन वह भाजपा के प्रत्याशी मौजूदा केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश से हार गए. विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल एससी रिजर्व सीट रही है. चब्बेवाल में ज्यादातर वोटर शेड्यूल कास्ट के हैं. इस बार अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे. माना जा रहा है कि इनके प्रत्याशी इस बार भी अकाली दल के सीनियर नेता सोहन सिंह ठंडल ही होंगे.
वह पहले भी चार बार चुनाव जीत चुके हैं और पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं. इस क्षेत्र में धार्मिक स्थल हरिया मेला सिखों का मशहूर धार्मिक स्थल है. यहां पर गुरु गोविंद सिंह जी ने हरि बेल लगाई थी. जो सदियां गुजर जाने के बाद भी अभी तक हरी हैं, सूखी नहीं. लोग इसे परमात्मा का आशीर्वाद मानते हैं. यहां लोग सिख धार्मिक पर्वों पर विशेष तौर पर वैशाखी उत्सव मनाने पहुंचते हैं. तरना दल के नाम से मशहूर हरिया बेला स्थल चब्बेवाल से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है.
चब्बेवाल में श्री गुरु हर राय साहिब कॉलेज फॉर वूमेन लड़कियों के लिए कॉलेज हरिया बेला संस्था की तरफ से बनाया गया है. विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल के कस्बा माहिलपुर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री शहीद सिंघा काफी मशहूर है. चब्बेवाल से 4 किलोमीटर की दूरी पर राजा महाराजा के समय से बने ऐतिहासिक मंदिर माता रानी देवी, हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थान काफी मशहूर है. चब्बेवाल में रियात बाहरा इंस्टीट्यूट भी काफी चर्चित है.
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राजनीतिक पृष्ठभूमि
2017 में 13 उम्मीदवारों ने अपना नाम चुनाव उम्मीदवार के तौर पर भरा था. जिनमें 11 पुरुष और 2 महिलाएं थीं. दो पुरुष और 2 महिलाओं के नाम रिजेक्ट होने के चलते मैदान में कुल 9 उम्मीदवार चुनाव के लिए उतरे. डॉ. राजकुमार कांग्रेस प्रत्याशी को 57857 वोट मिले. जबकि अकाली दल उम्मीदवार सरदार सोहन सिंह ठंडल को 28,596 वोट प्राप्त हुए. बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार गुरलाल सैला तीसरे नंबर पर रहीं. विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल बनने के बाद, कुल वोटरों की संख्या 1,34,625 है. जिनमें पुरुषों की संख्या 68,513 और महिलाओं की संख्या 66,112 है.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
डॉ. राजकुमार के पिता का नाम दर्शन सिंह है और 2017 विधानसभा चुनाव में उनकी आयु 47 वर्ष थी. डॉ राजकुमार के गांव का नाम मांझी, पोस्ट ऑफिस नारा तहसील और जिला होशियारपुर है. डॉ. राजकुमार की पत्नी का नाम हरबंस कौर है. इनके दो बेटे हैं.
कांग्रेस के मौजूदा विधायक डॉ राजकुमार पहली बार विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीते हैं. इससे पहले विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल के स्थान पर विधानसभा क्षेत्र महीलपुर था. यहां पर डॉ राजकुमार को 2012 में सरदार सोहन सिंह ठंडल ने हराया था. तब डॉक्टर राजकुमार कांग्रेस के प्रत्याशी थे. डॉ राजकुमार पेशे के तौर पर डॉक्टर हैं और इनके पंजाब में कई शहरों कस्बों में स्कैन सेंटर चल रहे हैं.
राजनीतिक समीकरण
शिरोमणि अकाली दल के सरदार सोहन सिंह ठंडल, 3 बार विधायक और एक बार पंजाब के कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाल चुके हैं. महालपुर-चब्बेवाल क्षेत्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. इस बार अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के सांझे उम्मीदवार हैं. इस बार उन्हें भी विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल के मजबूत दावेदार प्रत्याशी के रूप में माना जा रहा है और आने वाले 2022 चुनाव में कांग्रेस अकाली भाजपा के प्रत्याशी में जबरदस्त टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है.
वहीं भारतीय जनता पार्टी के एससी मोर्चा पंजाब के अध्यक्ष डॉक्टर दिलबाग राय भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. वह पहले भी कई बार लगातार विधानसभा चुनावों में उतर चुके हैं. लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई. डॉक्टर दिलबाग राय 2012 में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे. जिन्हें सरदार सोहन सिंह ठंडल, अकाली दल प्रत्याशी ने हराया था. उसके बाद कांग्रेस ने डॉ. राजकुमार को अपना उम्मीदवार 2017 में बनाया. जिसके बाद डॉ. दिलबाग राय कांग्रेस से बागी हो गए और उन्होंने आजाद उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल से चुनाव लड़ा.
उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हार के बाद डॉक्टर दिलबाग राय कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इस बार विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल से डॉक्टर दिलबाग राय भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. लेकिन भाजपा का पंजाब में किसान खेती कानून लागू होने के चलते लगातार विरोध हो रहा है. जिस कारण भाजपा के उम्मीदवार डॉ. दिलबाग राय को चुनाव मैदान में मजबूत दावेदार या प्रत्याशी नहीं माना जा सकता.