Panchayat Aaj Tak Punjab: पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सियासी समीकरण और राजनीतिक सरगर्मियों पर चर्चा करने के लिए चंडीगढ़ में 'पंचायत आजतक' कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में श्वेता सिंह से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि इस चुनाव में विचारधारा की मौत हो चुकी है और अगर पंजाब में कोई हिंदू और सिख के बीच मतभेद की बात करता है तो वह आईएसआई के हाथों खेल रहा है.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि आप किसी भी पार्टी को उठा लीजिये आपको वहां कांग्रेस का उम्मीदवार मिलेगा. मनीष ने कहा, "आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को देखिये. 117 में से 80 या 90 कांग्रेस के हैं. अगर आप लुधियाना ले लीजिये, वहां जो चुनाव लड़ रहे हैं. वो हमारे चेयरमैन थे. जो लुधियाना सेंट्रल से चुनाव लड़ रहे हैं. वो यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. इसी तरह से अगर आप भाजपा के उम्मीदवार देखेंगे तो वहां भी ज़्यादातर कांग्रेस के ही लोग है. लगभग अगर आप पंजाब की पूरी पृष्ठभूमि को उठाकर देखेंगे तो ज़्यादातर उम्मीदवार कांग्रेस के ही हैं. इसीलिए यह चुनाव एक अजीब संदेश देश को भेज रहा है कि विचारधारा की पूरी तरह से मौत हो चुकी है."
इसपर उनसे पूछा गया कि सुनील जाखड़ कह रहे हैं कि मुझे इसलिए साइडलाइन किया गया है क्योंकि मैं एक हिन्दू हूं. इसपर क्या कहेंगे? इसका जवाब देते हुए मनीष तिवारी ने कहा, "सुनील जाखड़ जी का जो बयान है वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इस बात को सार्वजनिक तौर पर कई बार कह चुका हूं कि पंजाब में हिंदू और सिख का कोई फर्क नहीं है. पंजाब की जो पृष्ठभूमि है उसका मूलभूत आधार ये है कि 'मानस की जाति सबै एकै पहिचारबो.'"
मनीष ने आगे कहा, "पंजाब में जो हिंदू और सिख की बात करता है. वह पंजाब की राजनीतिक स्थिरता का सबसे बड़ा दुश्मन है और वह सीधे-सीधे आईएसआई के हाथों में खेल रहा है. मैंने सार्वजनिक तौर पर यह बात कही है कि अगर पंजाब में हिन्दू और सीख की बात होती तो मैं श्री आनंदपुर साहिब से कभी सांसद नहीं बन पाता. जहां पर 13 अप्रैल 1699 को गुरु गोविंद सिंह महाराज ने खालसा पंथ की संरचना की थी."
मनीष ने कहा कि पंजाब में अगर कोई हिन्दू सिख की बात करता है. या जात पात की बात करता है तो इससे बड़ा पंजाब का नुकसान हो ही नहीं सकता. सितंबर 2021 में चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया. सुनील जाखड़ फरवरी 2022 में जब चुनाव हो रहा है तब ऐसी बात कह रहे हैं. उन्हें इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए. चुनाव आते जाते रहेंगे, मुख्यमंत्री बदलते रहेंगे. लेकिन अगर पंजाब की सामाजिक एकता का नुकसान होता है. अगर राज्य की सामाजिक एकता के ऊपर आंच आती है तो यह सीधा-सीधा भारत की सुरक्षा को कमजोर करता है."
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