scorecardresearch
 

Punjab Exit Polls 2022: पंजाब में कहां गलती कर बैठी कांग्रेस, क्या सिद्धू होते चन्नी से बेहतर विकल्प?

Exit Poll Punjab 2022: पंजाब की जनता को 10 मार्च का इंतजार है. लेकिन एग्जिट पोल बता रहा है कि सूबे में आम आदमी पार्टी सरकार बना सकती है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सिद्धू चन्नी से बेहतर विकल्प साबित हो सकते थे? वहीं वो कौन सी वजह थी जिसके तहत कांग्रेस हाईकमान ने चन्नी पर भरोसा जताया.

Advertisement
X
चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू (फाइल फोटो)
चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चन्नी और सिद्धू में तकरार कई बार सामने आई
  • कैप्टन ने भी कांग्रेस से छिटककर नई पार्टी बनाई

Exit Poll Punjab 2022: पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर सूबे की जनता इस बार किसकी सरकार बनवाने जा रही है, इसका फैसला तो 10 मार्च को होगा. नतीजों से पहले सोमवार को इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल सामने आ गया है. इसमें सूबे में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनती हुई नजर आ रही है. पंजाब में आम आदमी पार्टी को 41 फीसदी वोट शेयर के साथ ही 90 सीटें तक मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. अगर यही अनुमान नतीजों में बदलते हैं तो पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी सरकार बना सकती है. 

Advertisement

जिस कांग्रेस पर सूबे की जनता ने 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भारी विश्वास जताते हुए 77 सीटें झोली में भर दी थीं, एग्जिट पोल के मुताबिक वही कांग्रेस वोटों के लिए तरसती हुई नजर आ रही है. ऐसे में सवाल ये है कि कांग्रेस कहां चूक कर बैठी.

अगर राजनीतिक परिदृश्य की बात की जाए तो चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के बीच की खटपट जगजाहिर हुई थी. सिद्धू इस बात का दावा करते रहे कि चन्नी सरकार सूबे के लिए बेहतर नहीं हैं. हालांकि उन्होंने ये बात साफ तौर पर तो नहीं कही, लेकिन उनके ट्वीट्स लगातार इस ओर इशारा करते रहे. 

इस बार कांग्रेस 19-31 सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सिद्धू चन्नी से बेहतर विकल्प साबित हो सकते थे? हालांकि, कांग्रेस हाईकमान ने 111 दिन तक सीएम की कुर्सी संभालने वाले दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी पर भरोसा जताया था. चन्‍नी को चुनने के पीछे कांग्रेस की रणनीति ये रही कि पार्टी ने दलित सिख कार्ड खेला.

Advertisement

इसके साथ ही पंजाब की पॉलिटिक्‍स में एक कहावत चर्चित है कि जो मालवा जीत लेता है, वही सरकार बना लेता है. 

बता दें कि मालवा क्षेत्र में 7 लोकसभा सीटें आती हैं. इनमें फिरोजपुर, फरीदकोट, बठिंडा, लुधियाना, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब और पटियाला शामिल हैं. लेकिन इनमें दलित सिख ही इनमें ज्‍यादा हैं. जबकि सिद्धू को लेकर ये बात साफ तौर पर कही जा सकती है कि वह सूबे में खुद को सीएम प्रोजेक्ट करवाना चाह रहे थे. क्योंकि चन्नी से पहले सिद्धू की कैप्टन अमरिंदर सिंह से तकरार भी जगजाहिर थी. जब सिद्धू की बजाय चन्नी को कांग्रेस ने सीएम प्रोजेक्ट किया तो उन्होंने चुनावी जनसभाओं में अपनी नाराजगी साफ तौर पर जाहिर की. अगर कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर विचार करें तो ये कहना आसान नहीं होगा कि नवजोत सिंह सिद्धू चन्नी से बेहतर विकल्प साबित हो सकते थे. 
 

 

Advertisement
Advertisement