आधुनिक शहर मोहाली को पंजाब की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. यहां पर अब तक सभी बड़ी पार्टियों को मौका मिला है. 2017 विधानसभा चुनाव में तीनों प्रमुख दलों ने विधानसभा की एक एक सीट हासिल की. लेकिन मोहाली शहर से कोंग्रेस के बलबीर सिद्धू ने बड़ी जीत हासिल कर कैबिनेट मंत्री का पद हासिल किया. मोहाली कभी रोपड़ जिले का हिस्सा था और खरड़ विधानसभा में आता था. लेकिन अब जिले में तीन विधानसभा सीटे हैं. 2006 में मोहाली को जिला बनाया गया था. इसके बाद वर्ष 2014 में विधानसभा क्षेत्र मोहाली का गठन किया गया और इसे खरड़ विधानसभा क्षेत्र से अलग कर दिया गया. करीब 6 लाख की आबादी वाले जिले में मोहाली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 2 लाख 9 हजार 400 वोटर हैं. कांग्रेस सरकार की ओर से 13 अप्रैल 2006 को इसे जिले का रूप दिया गया था.
जिला बनाने के साथ ही ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया गया. जिसके जरिये पूरे मोहाली एरिया में डेवलपमेंट की गई. मोहाली छोटे से शहर से विश्वस्तरीय शहर में तब्दील हो गया. करीब 8 साल के बाद इस शहर को अलग से विधानसभा क्षेत्र बना दिया गया. 2014 में पहला विधानसभा इलेक्शन हुआ. मोहाली को सरकार की ओर से नया विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया. मोहाली शहर, इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने की वजह से अब आईटी, रियल एस्टेट के साथ चंडीगढ़ के बिलकुल क़रीब होने की वजह से एक बड़े औद्योगिक हब के रूप में विस्तार कर रहा है. मोहाली जिला, आनंदपुर साहिब लोक सभा क्षेत्र में आता है. जहां से वर्तमान में कांग्रेस के बड़े नेता मनीष तिवारी लोकसभा सांसद हैं.
विधानसभा चुनाव में मोहाली जिले की सीटो पर कोई एक दल वर्चस्व कायम नहीं कर सका है. इस नजरिए से वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखे तो मोहाली जिले की तीन विधानसभा सीटों ने तीनो प्रमुख दलों की झोली में एक एक सीट डाल दी. हालांकि शेष पंजाब में कांग्रेस की आंधी चलती दिखाई दे रही थी. लेकिन मोहाली जिले ने अपना फैसला अलग ही दिया. जहां हलका मोहाली से कांग्रेस उम्मीदवार बलबीर सिंह सिद्धू ने जीत की हैट्रिक बनाते हुए 27 हजार 738 रिकॉर्ड मतों के अंतर से AAP उम्मीदवार नरिंदर सिंह शेरगिल को शिकस्त दी.
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वहीं, हलका डेराबस्सी में एनके शर्मा ने जीत हासिल कर अकाली दल की लाज बचा ली. हालांकि उनकी जीत का अंतर दो हजार से भी कम वोटों का रहा. जबकि खरड़ में AAP उम्मीदवार कंवर संधू ने सीनियर कांग्रेसी नेता जगमोहन कंग को शिकस्त देकर जिले में पार्टी का खाता खोला. यह हलका अकाली दल व कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है.
हलका मोहाली से कांग्रेस के उम्मीदवार बलबीर सिंह सिद्धू विजयी रहे. उनकी जीत का अंतर पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2017 में लगभग 11 हजार अधिक था. उन्हें 66 हजार 844 मत मिले, जबकि आप उम्मीदवार नरिंदर शेरगिल को 38 हजार 971 मत मिले. वहीं, अकाली दल के उम्मीदवार टीपीएस सिद्धू 30 हजार 31 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. सिद्धू मोहाली के डीसी भी रहे थे और वो सीनियर अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के दामाद हैं. डेराबस्सी हलके में AAP का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. इस सीट पर शिअद के उम्मीदवार एनके शर्मा को 70 हजार 792 वोट मिले. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार दीपइंदर सिंह ढिल्लों को 9121 वोटों से हराया. ढिल्लों को 68 हजार 871 वोट मिले, जबकि AAP की उम्मीदवार सरबजीत कौर के पक्ष में 33150 मत पड़े.
मोहाली विधान सभा हलका में वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बलबीर सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नरिंदर सिंह शेरगिल को हराकर विजय हुए थे और अकाली दल का उम्मीदवार टीपीएस सिद्धू तीसरे नंबर पर रहा था. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पहले नंबर पर रही. हालांकि उसका वोट शेयर कम हुआ है. अकाली दल वोट शेयर बढ़ने से तीसरे नंबर से दूसरे नंबर पर आ गया है और आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर थी, लेकिन मुकाबले से बाहर होती दिखाई दी.
मोहाली के लोगों ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 66844 वोट दिए थे जो लोकसभा चुनाव में 3464 वोट कम होकर 63380 वोट पर ही रह गए. इसी हलके में अकाली दल को विधानसभा चुनावों में 30031 वोट मिले थे जो लोक सभा चुनाव में 20697 अधिक वोट मिलने से बढ़कर 50782 हो गए. जबकि विधान सभा चुनाव के दौरान दूसरे नंबर पर रहने वाली आम आदमी पार्टी को 38971 वोट मिले थे जो लोकसभा चुनाव में 30612 वोट कम होकर 8359 ही रह गए. इसी प्रकार हलके में कांग्रेस और AAP पार्टी का वोट शेयर कम हुआ है और अकाली दल का वोट शेयर बढा है.
2012 में बनाए गए विधानसभा हलके मोहाली को बलबीर सिंह सिद्धू के रूप में पहला मंत्री मिला है. बलबीर सिंह सिद्धू 2007 से लगातार कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. पहला चुनाव उन्होंने खरड़ विधानसभा क्षेत्र से जीता था और उसके बाद दो बार चुनाव मोहाली विधानसभा क्षेत्र से जीते हैं. जानकारों के अनुसार सिद्धू को पंजाब मंत्रीमंडल में कांग्रेस नेता अंबिका सोनी की सिफारिश पर जगह मिली. बलबीर सिंह सिद्धू पिछले दो चुनावों में विजयी रहे, लेकिन अकाली दल की सरकार बनी थी. इस बार सिद्धू ने हैट्रिक लगाई और सरकार कांग्रेस की बनी. इससे सिद्धू को मंत्री बनने का अवसर मिला.
मोहाली जिले से सिद्धू एक मात्र कांग्रेसी विधायक:
मोहाली जिले की तीन विधानसभा सीटों में से एक मोहाली पर ही कांग्रेस के बलबीर सिंह सिद्धू की जीत हुई थी. डेराबस्सी विधानसभा सीट अकाली दल के एनके शर्मा ने जीती और खरड़ विधानसभा हलके की सीट आम आदमी पार्टी के कंवर संधू ने जीती थी. इसलिए बलबीर सिंह सिद्धू को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया.
कंग की हार ने सिद्धू को मंत्रीमंडल में पहुंचाया:
खरड़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार जगमोहन सिंह कंग कई बार सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वो 2017 का चुनाव हार गए थे. इस कारण बलबीर सिंह सिद्धू की लगातार तीसरी जीत होना और कंग का हारना मंत्रीमंडल में सिद्धू को ले जाने में मददगार साबित हुआ है. यदि कंग जीत जाते तो कंग का मंत्रीमंडल में शामिल होना तय था.
अंबिका सोनी से वफादारी लाई मंत्रीमंडल तक:
लोकसभा हलका आनंदपुर साहिब के 9 विधानसभा हलकों में से सिद्धू, अंबिका सोनी के अति नजदीकियों में शामिल हो गए हैं. सिद्धू की सोनी से वफादारी उनके मंत्रीमंडल तक पहुंचाने में मददगार साबित हुई हैं. सिद्धू द्वारा लोकसभा चुनाव में सोनी के लिए काम करना सोनी के कोटे के रूप में सामने आया है.
कैप्टन, रामूवालिया, ढींढसा परिवारों को हराया
सिद्धू के खिलाफ अकाली राजनीति के धुरंधर चुनाव लड़ते रहे हैं. 2007 का चुनाव सिद्धू ने अकाली नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन कंवलजीत सिंह के बेटे जसजीत सिंह बन्नी को हराकर जीता. 2012 में उन्होंने केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया को हराया और 2017 का विधानसभा चुनाव उन्होंने अकाली दल के हैवीवेट नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के दामाद एवं विगत सरकार के वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा के बहनोई पूर्व आईएएस कैप्टन तेजिंदर पाल सिंह सिद्धू को हरा कर जीता.
बलबीर सिंह सिद्धू मोहाली शहर से विधायक हैं तो उनके सगे छोटे भाई अमरजीत सिंह सिद्धु यहीं के मेयर हैं. बलवीर सिद्धू का जन्म बरनाला ज़िले के तपा मंडी में 1959 को सरदार जंग सिंह सिद्धू के घर में हुआ. इनकी माता का नाम रंजीत कौर है. बलवीर सिद्धू के परिवार में उनका एक बेटा, एक बेटी और पत्नी हैं. बलबीर सिद्धू को पंजाब में एक शराब कारोबारी और बड़े व्यवसायी के रूप में जाना जाता है. मोहाली से विधायक बनने के बाद सिद्धू स्वास्थ्य मंत्री बने और मोहाली में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने का दावा करते हैं.