पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध में उठे स्वरों को शांत करने के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंप दी है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को समिति के तीनों सदस्यों के साथ एक घंटा मंत्रणा भी की. माना जा रहा है कि मंगलवार शाम तक पार्टी हाईकमान समिति द्वारा दिए गए सुझाव पर कार्रवाई कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक पार्टी पंजाब कांग्रेस कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष सुनील जाखड़ को हटाकर, उनके स्थान पर किसी हिंदू या दलित चेहरे को जगह दे सकती है. अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी एक हिंदू चेहरे को और कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा किसी दलित चेहरे को भी दिया जा सकता है.
नया पार्टी अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी हाईकमान के करीबी विजय इंदर सिंगला और कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राजकुमार वेरका या चरणजीत चन्नी में से एक को बनाया जा सकता है. वहीं सूत्रों के मुताबिक अब नवजोत सिंह सिद्धू ने उपमुख्यमंत्री का पद लेने से भी इनकार कर दिया है.
सिद्धू VS कैप्टन: पंजाब कांग्रेस में मची कलह जल्द होगी खत्म! पैनल ने राहुल से की मुलाकात
2022 का नेता बनना चाहते हैं सिद्धू
पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू की नजर पार्टी अध्यक्ष के पद पर थी लेकिन उस पर भी सहमति बनती दिखाई नहीं दे रही है. पार्टी अध्यक्ष एक ऐसा चेहरा होगा जो सभी पक्षों को मंजूर हो. पार्टी हाईकमान के सामने अब सिद्धू को उनकी मर्जी के मुताबिक जगह देने की चुनौती है. एक तरफ कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं, वहीं सिद्धू भी अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए हैं.
सिद्धू कभी मुख्यमंत्री के शहर पटियाला में तो कभी कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के विधानसभा क्षेत्र अबोहर में होर्डिंग लगाकर खुद को 2022 के विधानसभा चुनाव का मुखिया बताने में लगे हैं. पार्टी हाईकमान क्या फैसला लेगा यह फिलहाल साफ नहीं है लेकिन सारी तस्वीर अगले एक-दो दिन में साफ हो जाएगी.
पंजाब में अकाली-बसपा में हुए सीटों के बंटवारे में किसे फायदा-किसे हुआ नुकसान
पंजाब कांग्रेस के भीतर क्या चल रहा है, इसका जायजा लेने के लिए आजतक ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉक्टर राजकुमार वेरका से बातचीत की. डॉक्टर वेरका ने कहा कि पार्टी आलाकमान जल्द ही सभी नेताओं की भूमिका तय कर देगी.
अनुशासन की पार्टी है कांग्रेस
डॉक्टर राजकुमार वेरका ने कहा, 'हर पार्टी अपने मंत्रियों के काम और विधायकों के रिपोर्ट कार्ड का आकलन करती है. सब नेताओं से बात कर ली गई है. एमएलए को भी सुन लिया है, मंत्रियों को भी. हमारी पार्टी एक अनुशासन वाली पार्टी है. सबको खुले विचार रखने का अधिकार है. सबने हाईकमान के आगे अपनी बात रख दी है. हाईकमान जो दिशा निर्देश जारी करेगा 2022 किसकी क्या भूमिका रहेगी उसे हाईकमान तय करेगा और उसके खिलाफ किसी को भी बोलने का अधिकार नहीं है. एक सप्ताह के भीतर कांग्रेस आलाकमान सब की भूमिका तय कर देगी. सबकी गलतफहमी दूर होंगी और सब लोग मिलकर 2022 का लक्ष्य हासिल करेंगे.'
विपक्षी पार्टियों का दलित प्रेम कुर्सी के लिए!
राजकुमार वेरका ने कहा कि एक तरफ जहां कांग्रेस ने हमेशा दलितों को प्रतिनिधित्व दिया है, वहीं अपनी हालत पतली देखकर विपक्षी दल दलित प्रेम का दिखावा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भीतर अचानक दलित प्रेम जागा है. इस पार्टी की कई राज्यों में अपनी सरकारें हैं. बीजेपी वहां पर दलित प्रेम क्यों नहीं दिखा रही. 10 साल तक अकाली दल और बीजेपी की सरकार रही, फिर क्यों दलित मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. आम आदमी पार्टी की भी दिल्ली में सरकार है, वहां पर दलित उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं है?'
दलितों के लिए कांग्रेस जल्द करेगी बड़ी घोषणा
कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने दलितों को हमेशा सम्मान दिया है. चाहे वह ज्ञानी जैल सिंह को देश का राष्ट्रपति बनाने की बात हो, या बूटा सिंह और सुशील कुमार शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना हो. बसपा, बीजेपी, अकाली दल और AAP जैसी पार्टियों में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है. यह सब कुर्सी की खातिर दलित प्रेम का दिखावा कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी दलितों की कितनी हितैषी है, उस बारे में जल्द ही एक बड़ी घोषणा की जाएगी.
पंजाब में दलित उपमुख्यमंत्री
नवजोत सिंह सिद्धू भले ही उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार न करें लेकिन जल्द ही किसी दलित विधायक या मंत्री की लॉटरी खुल सकती है. उसे उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
डॉक्टर राजकुमार ने कहा, 'हाईकमान ने पंजाब के दलित मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स से जुड़े मामलों का रिव्यू कर लिया है. कोरोना की वजह से यह सब कुछ देर से हो रहा है. जिस समुदाय का प्रतिनिधित्व कम है, उसे मौका दिया जा रहा है. जो भी शिकायतें हैं सब को दूर किया जाएगा. जनसंख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल में दलितों का प्रतिनिधित्व कम है. मैंने भी यह महसूस किया है. मुझे लगता है कि हाईकमान की ओर से जल्द इस पर फैसला लिया जाएगा.'
डॉ राजकुमार वेरका ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का पद किसे दिया जाना है, यह पार्टी हाईकमान तय करेगी और मंत्रिमंडल में किसको क्या जगह मिलेगी उसका अधिकार मुख्यमंत्री के पास है.