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'पंजाब में BJP पहली बार खुलकर सामने आई है', समझें PM मोदी के इस बयान के मायने

पंजाब की सियासत में बीजेपी और अकाली दल पहली बार अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरे हैं. अकाली दल के साथ गठबंधन के चलते बीजेपी पंजाब में छोटे भाई की भूमिका में रही है, लेकिन दोस्ती टूटने के बाद पहली बार वो अपना सियासी आधार पूरे राज्य में फैलाने में जुटी है. यही वजह है कि पीएम मोदी कह रहे हैं कि बीजेपी पंजाब में अब खुलकर सामने आई है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी पंजाब में पहली बार अकेले दम पर चुनाव में है
  • गठबंधन के चलते बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में थी

पंजाब विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में अपने पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल और पंजाब की सियासत पर खुलकर बात की. इस दौरान पीएम ने परिवारवाद के मुद्दे पर बात करते हुए 'बादल परिवार' को भी निशाने पर लिया तो साथ ही कहा कि पंजाब में बीजेपी सबसे भरोसेमंद दल के रूप में उभरी है, जिससे दो नए सहयोगी साथ आए हैं और सियासत के महारथी पार्टी में शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में बीजेपी पहले की तुलना में अब बहुत यशस्वी होगी. 

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पीएम मोदी ने पंजाब में अकाली दल ने साथ छोड़ने के सवाल पर कहा कि मेरी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नीतियां उस समय के लिए अनिवार्य थीं. पंजाब के अंदर शांति का माहौल बने. बीजेपी ने अपने सियासी स्वार्थ की बजाए पंजाब का हित सर्वोपरि माना था. उसके लिए बीजेपी ने नुकसान को भी सहा, लेकिन हम पहली बार खुलकर सामने आए हैं. बीजेपी पंजाब में सबसे विश्वसनीय पार्टी के रूप में उभरी है. राजनीति के जो महारथी हैं, वे हमारी पार्टी में शामिल हुए हैं. बीजेपी के साथ दो दल जुड़ गए हैं-कैप्टन साहब और ढींढसा जी. पंजाब में जो लोग दबे हुए थे वे भी हमारे साथ आए हैं.

अकाली दल ने तोड़ी 22 साल पुरानी दोस्ती

दरअसल, किसान आंदोलन के चलते शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी के साथ 22 साल पुरानी दोस्ती तोड़कर गठबंधन से अलग हो गई है. अकाली दल से नाता तोड़ने के बाद पंजाब की सियासत में बीजेपी के लिए सियासी तौर पर चुनौती खड़ी है, लेकिन राज्य में अपना राजनीतिक विस्तार बढ़ाने का अवसर भी खुल गया है. अकाली दल से बीजेपी का गठबंधन 1997 में हुआ था. 

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पंजाब में 1999 के लोकसभा और 2002 और 2017 के चुनावों में खराब प्रदर्शन के बावजूद गठबंधन जारी रहा. इस दौरान बीजेपी की जितनी भी केंद्र में सरकार बनी सब में अकाली दल के नेता मंत्री बने. यही नहीं 1997 में बीजेपी के साथ आने का राजनीतिक फायदा अकाली को मिला और प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री बने. पंजाब में पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी दल की सरकार ने पांच साल का सफर पूरा किया था. अकाली दल के चलते बीजेपी पूरे पंजाब में अपना सियासी आधार नहीं खड़ी कर सकी.

अकाली दल से अलग होने पर बीजेपी को फायदे भी हुए

पंजाब की कुल 117 सीटों में से बीजेपी महज 23 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है, लेकिन अकाली दल से अलग होने के बाद अब उसे पूरे राज्य में आधार बढ़ाने का सियासी मौका मिल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंटरव्यू में पंजाब में बीजेपी के लिए इसी सियासी नुकसान का जिक्र कर रहे थे. इतना ही नहीं शिवसेना और अकाली दल के साथ रहते हुए बीजेपी राजनीतिक परिवारवाद के मुद्दे पर खुलकर विपक्षी दलों पर वार नहीं कर पाती थी. लेकिन, अब दोनों ही दल एनडीए से अलग हो चुके हैं तो बीजेपी परिवारवाद के मुद्दे पर आक्रमक तेवर अपना लिए हैं. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र की सबसे बड़ी दुश्मन हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने सपा के मुलायम सिंह यादव के साथ प्रकाश सिंह बादल परिवार का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कुछ दलों के लिए राजनीति में जब परिवार ही सर्वोपरि होता है, परिवार को बचाओ पार्टी बचे न बचे, देश बचे न बचे. ये जब होता है तो सबसे बड़ा नुकसान प्रतिभा को होता है. सार्वजनिक जीवन में जितनी अधिक प्रतिभा आए वो जरूरी है. ऐसे में परिवारवादी पार्टियां नए प्रतिभा को सामने नहीं आने देती. मोदी की बातों से साफ हो गया है कि यूपी ही नहीं बल्कि अब पंजाब और देश के दूसरे हिस्से में राजनीतिक परिवारवाद के मुद्दे पर बीजेपी ने खुलकर खेलने की रणनीति बना ली है. 

बीजेपी का लिटमस टेस्ट 2022 का चुनाव

पंजाब में बीजेपी का शहरी मतदाताओं के बीच राजनीतिक आधार रहा है, लेकिन अकाली दल के चलते ग्रामीण इलाकों में पकड़ नहीं बना सकी थी. ऐसे में अकाली दल से बीजेपी के अलग होने का पहला लिटमस टेस्ट 2022 के चुनाव में देखने को मिल सकता है. किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण इलाकों में बीजेपी लिए राजनीतिक राह और कठिन हो सकती है.

इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि किसान कह रहा है कि मेरा खेत तो उतना है, मेरी फसल उतनी है, लेकिन मेरे घर में उतने पैसे कभी नहीं आए. सारे बिचौलिए गए. छोटा किसान आज बीजेपी की जय-जयकार कर रहा है. 

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पीएम मोदी ने पंजाब घटना का इंटरव्यू में जिक्र करते हुए कहा, 'मैं पंजाब में बहुत रहा हूं. मेरा बड़ा नाता रहा है. मैं अपनी पार्टी का काम वहां करता था. पंजाब के लोगों की जो वीरता है ना, मैंने देखी है. पंजाब में जब मैं अपनी पार्टी का काम करता था. उस समय आतंकवाद से हालत बड़ी खराब थी. शाम के बाद कोई निकल नहीं पाता था. शायद मोगा में थे या तरणतारण में थे मुझे याद नहीं है आज. मुझे अगले स्टेशन पर जाना था, लेकिन कार्यक्रम के कारण देर हो गई. पुरानी एंबेसडर मेरे पास थी, जो दुर्भाग्य से रास्ते में खराब हो गई. कोशिश कर रहे थे लेकिन गाड़ी चल नहीं रही थी. खेत में दो-तीन सरदार थे. उन्होंने भी धक्के लगाने में मदद की, लेकिन गाड़ी नहीं चली. 

पीएम ने कहा, 'फिर हमने कहा कि हमें नजदीक से कोई मैकेनिक मिलेगा कि नहीं. उन्होंने कहा कि यहां तो बहुत दूर-दूर है, अभी कोई मिलेगा नहीं. उन्होंने मुझे कहा कि देखो भाई तुम्हें बुरा न लगे तो एक बात करूं. मैंने कहा- क्या. वो बोले कि गाड़ी यहां छोड़ दो, तुम और तुम्हारा ड्राइवर खेत में हमारे साथ चलो. झोंपड़ी है वहां खाना खा लो, रात को रुक जाओ. इसक बाद उन्हें पता चला कि मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं तो उन्होंने कहा कि भाई ठीक है तुम भाजपा के हो कुछ भी हो. तुम आज रात मेरे यहां रुकना. उन्होंने मेरे खानपान की व्यवस्था की. दूसरे दिन सुबह उनका बेटा जाकर एक मैकेनिक को ले आया तब गाड़ी ठीक हुई. मैं मैंने पंजाब का ये दिल देखा है. पंजाब के सरदारों के भाव को जानता हूं.'

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माना जा रहा है कि पीएम मोदी इस बात का जिक्र करके पंजाब के सरदारों और किसानों की दिल जीतने की कवायद की है. 

दरअसल, पंजाब की सियासत में अब तक का इतिहास रहा है कि बीजेपी जब भी कमजोर हुई है, उसका लाभ कांग्रेस को मिला है. पंजाब में 1997 के दौरान जब बीजेपी को 18 सीटें मिलीं तो प्रदेश में सरकार अकाली-बीजेपी की बनी. 2002 में बीजेपी तीन सीटों पर सिमट गई और प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी. 2007 में 19 और 2012 में 12 सीटें बीजेपी को मिलीं तो प्रदेश में कांग्रेस सत्ता से दूर रही. 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजे को देखें बीजेपी की महज तीन सीटें आईं और सत्ता कांग्रेस को मिली. इससे साफ जाहिर है कि हिंदू वोट के बंटने का फायदा कांग्रेस को होता रहा है, लेकिन पंजाब में अब हिंदू वोटों के लिए तीन पार्टियां है. 

पंजाब का बड़ी संख्या में हिंदू वोटर है. मालवा इलाका हिंदू वोटों का गढ़ माना जाता है, जहां करीब 67 विधानसभा सीटें आती हैं. यहां बीजेपी के चलते अकाली दल को सियासी फायदा होता रहा है, क्योंकि बीजेपी के चलते पंजाब के हिंदू वोट बैंक अकाली दल के पक्ष में जाता रहा है लेकिन अब बीजेपी खुद पहली बार मैदान में है. पंजाब में बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर और सुखदेव ढींढसा की पार्टी से जरूर गठबंधन किया है, लेकिन खुद बड़े भाई की भूमिका में है. ऐसे में बीजेपी को भले ही इस चुनाव में फायदा न मिले, लेकिन पंजाब में राजनीतिक ग्राफ बढ़ाने की जुगत में है तभी तो पीएम मोदी कह रहे हैं कि पंजाब में पहली बार हम खुलकर सामने आए हैं.

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